हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि और आलोचक केदारनाथ सिंह का दिल्ली में उपचार के दौरान निधन हो गया। वह 83 साल के थे। बताया जा रहा है कि वह लंबे समय से बीमार से। पेट में संक्रमण की दिक्कत काफी समय से झेल रहे थे, जिसके चलते उन्हें दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती करवाया गया था।

केदारनाथ सिंहवे अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के कवि रहे। इनका जन्म जन्म 1 जुलाई 1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गाँव में हुआ था। इन्होंने बनारस विश्वविद्यालय से साल 1956  में हिन्दी में एम॰ए॰ और 1964 में पी-एच॰ डी॰ की उपाधि प्राप्त की। इन्होंने जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र में बतौर आचार्य और अध्यक्ष काम किया था।

केदारनाथ सिंह की कविताओं के अनुवाद लगभग सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, स्पेनिश, रूसी, जर्मन और हंगेरियन आदि विदेशी भाषाओं में भी हुए हैं। कविता पाठ के लिए इन्होंने दुनिया के अनेक देशों की यात्राएँ की। साल 2013 में केदारनाथ सिंह को साहित्य के सबसे बड़े सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह हिन्दी के 10वें लेखक थे। कवि केदारनाथ सिंह के ‘जमीन पक रही है’, ‘यहां से देखो’, ‘बाघ’, ‘अकाल में सारस’ आदि कई कविता संग्रह मशहूर रहे। जिसमें से ‘बाघ’ उनकी लंबी कविताओं में से सबसे चर्चित कविता रही।