कैसे लुट गया पेटीएम

नई दिल्ली। मोबाइल वॉलेट कंपनी पेटीएम ने शुक्रवार को कहा कि उसके 48 ग्राहकों ने उसे 6.15 लाख रुपये का चूना लगाया है। यह खबर ऐसे समय में आ रही है जब नोटबंदी ने जेब खाली कर रखी है और पीएम नरेंद्र मोदी डिजिटल पेमेंट को जीवनशैली बनाने की अपील कर रहे हैं। देश की नबंर वन मोबाइल वॉलेट कंपनी पेटीएम के दावे के बाद सीबीआई ने इस सिलसिले में केस दर्ज किया है।

पेटीएम देश की सबसे बड़ी मोबाइल वॉलेट कंपनी है और इसके पास 15 करोड़ से ज्यादा ऐक्टिव ग्राहक हैं। इसके जरिये ई-कॉमर्स और बिल पेमेंट किए जा सकते हैं। सरकार के नोटबंदी के फैसले बाद जब लोग परेशान हो गए तो उन्होंने ई-वॉलेट का विकल्प अपनाया और पेटीएम की चांदी हो गई।

हर रोज पेटीएम से हजारों लोग जुड़ने लगे,  जिसमें आम लोगों के साथ छोटे दुकानदार भी शामिल हैं। लेकिन अब ये दुकानदार परेशान हैं। कभी इनके पैसे फंस जा रहे हैं तो कभी सप्लायर पेटीएम से भुगतान लेने से मना कर देता है। बीते बुधवार को कुछ देर के लिए पेटीएम का सर्वर डाउन रहा, जिसके चलते लोगों को भुगतान लेने में दिक्कतें आईं। अब पेटीएम ने अपने लुटने का दावा किया है।

पिछले कुछ दिनों से पेटीएम के सर्वर में लगातार दिक्कतें आ रही हैं। कंपनी ने दावा किया था कि लोग उसके साथ लगातार जुड़ रहे हैं। ऐसे में वह अपने सर्वर की क्षमता और दुरुस्त करने में जुटी हुई है। कंपनी अपने सर्वर को भी अपडेट कर रही है। हालांकि कंपनी ने यह नहीं बताया कि कब तक उसका सर्वर ठीक हो जाएगा। इसके अलावा कंपनी ने यह भी नहीं बताया है कि सर्वर डाउन होने का कारण क्या है।

नोटबंदी के बाद लोगों ने ऑनलाइन भुगतान की तरफ रुख किया है और इससे मोबाइल वॉलेट पेटीएम का इस्तेमाल बढ़ा है। डिजिटल इंडिया की दिशा में पेटीएम ने भी लोगों को निराश नहीं किया और उन्हें कई आकर्षक ऑफर भी दिए। इसके बावजूद लोगों के साथ धोखाधड़ी होने की खबरें आना किसी झटके से कम नहीं है।

दिल्ली के कनॉट प्लेस में तीन पुश्‍तों से पान की दुकान लगाने वाले विजय शुक्ला को नोटबंदी के बाद जब नकदी की दिक्कतें आने लगीं तो उन्होंने पेटीएम अपना लिया। उन्‍होंने सोचा था कि पेटीएम से भुगतान लेने से उनकी समस्या दूर हो जाएगी। लेकिन अब वो परेशान हैं। कभी इंटरनेट धीमे चलता है तो कभी सर्वर डाउन होने से भुगतान लेने में दिक्कतें आ रही हैं।

क्वालकॉम के सीनियर डायरेक्टर प्रॉडक्ट मैनेजर ने कहा था कि दुनिया भर के अधिकतर बैंकिंग और वॉलेट ऐप्स हार्डवेयर सिक्योरिटी का इस्तेमाल नहीं करते। वे पूरी तरह एंड्रॉयड मोड में चलते हैं और यूजर्स के पासवर्ड को आसानी से चुराया जा सकता है। यूजर्स के फिंगरप्रिंट्स को भी कैप्चर किया जा सकता है। भारत में डिजिटल वॉलेट्स और मोबाइल बैंकिंग ऐप्स के लिए यह बड़ी चिंता की बात है।

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