देबदुलाल पहाड़ी
भारतीय बिस्कुट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईबीएमए ) के अध्यक्ष बी.पी. अग्रवाल ने मंगलवार को दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में यह मांग करते हुये कहा कि बिस्कुट को 18 फीसदी जीएसटी के दायरे में रखे जाने से इस क्षेत्र का विकास थम गया है. बिस्किट निर्माताओं, विशेष रूप से एसएमई क्षेत्र, इसमें 18% की दर पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लागू होने के कारण मुश्किल के दौर से गुजर रहे हैं। यह उद्योग 18% जीएसटी लागू होने के बाद मंद पड़ गया है और इसे दोबारा सुचारु करने के लिए जीएसटी की दर को 12% तक कम करने की जरूरत है।
बिस्किट एक बड़े पैमाने पर उपभोग किया जाने वाला खाद्य उत्पाद है, स्वच्छता से संसाधित बिस्किट के उपभोक्ता मुख्य रूप से गरीब वर्ग के लोग हैं, लेकिन बिस्कुट को एक प्रीमियम उत्पाद समझा गया है, जिसे समृद्ध समाज द्वारा उपभोग किया जाने वाला समझकर इसे उच्च कर प्रणाली में शामिल कर लिया गया है।
“बिस्किट कम लागत पर स्वच्छता, ऊर्जा, पोषण की तलाश करने वाले रिक्शा चालकों और कम पैसा पाने वाले मजदूरों द्वारा उपयोग किया जाने वाला आम उत्पाद है। इसी तरह के खाद्य उत्पादों जैसे कि मिठाईयां (5%), प्रसंस्कृत सूखे मेवे (5%), चाय (5%), जूस, नमकीन, जाम/जेली, नूडल्स, पास्ता, टमाटर केच-अप (सभी 12%) पर जीएसटी कम है। जबकि बिस्किट पर जीएसटी 18% लगाया गया है। हम सरकार को बिस्किट उद्योग पर 18% जीएसटी लागू करने के फैसले की दोबारा समीक्षा करने का आग्रह करते हैं। इस उद्योग के विकास में स्थिरता से बचने के लिए जीएसटी की दर को 12% तक लाने की आवश्यकता है।” भारतीय बिस्कुट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईबीएमए) के अध्यक्ष श्री बी पी अग्रवाल ने ये बातें कहीं।
क्रेमिका बिस्कुट के प्रबंध निदेशक श्री अनूप बेक्टर ने कहा कि “बिस्किट गेहूं, वनस्पति तेल, चीनी और दूध जैसे कृषि उत्पादों से बना है और बिस्कुट के उच्च उत्पादन से अधिक संख्या में किसानों को फायदा होता है। बिस्किट उद्योग में अत्यधिक श्रमिक जुटे हैं, और इसके उत्पादन में स्थिरता आने से इस उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जिससे अनुमान है कि लगभग 7.5 लाख कर्मचारियों को प्रत्यक्ष रूप से बेरोजगारी का खतरा और 30 लाख से अधिक व्यक्तियों जिसमें विपणन, खुदरा नेटवर्क, परिवहन आदि जुड़े हैं उनपर अप्रत्यक्ष रूप से असर होगा। उन्होंने कहा कि यह उद्योग विभिन्न प्रकार की लागतों पर भी आधारित है और उनकी कीमतों में बढोत्तरी का असर भी होता है। इसके साथ ही ऊंची कर दर से भी यह उद्योग प्रभावित हो रहा है।
बॉन बिस्किट के सीईओ श्री पंकज अग्रवाल ने कहा, “बिस्किट उद्योग को परिवहन, ईंधन, पैकेजिंग, मजदूरी आदि की उच्च लागत के कारण इनपुट/सामग्री की कीमत में वृद्धि के अधीन किया जाता है।”
आईबीएमए ने पहले ही माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरन कौर बादल और सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों जो कि जीएसटी परिषद् के सदस्य हैं उनको विस्तृत व्यौरा पेश किया है। आईबीएमए ने संसद में मौजूद विभिन्न राजनीतिक दलों के सभी सदस्यों से इस उद्योग को जीएसटी के 12% के निचले स्लैब पर लाने के लिए समर्थन देने की मांग की है। बिस्किट पर जीएसटी की दर को कम करने से उत्पादन बढ़ेगा और यह केन्द्रीय और राज्य सरकारों के राजस्व को प्रभावित नहीं करेगा।” क्राउन बिस्किट के निदेशक श्री दीपक भरवानी ने ये बातें कहीं।