पाकिस्तान की राष्ट्रीय जनगणना में पहली बार देश के ट्रांसजेंडर लोगों की भी गिनती होगी। इसी के साथ वह दुनिया के ऐसे देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जहां ट्रांसजेंडर लोगों को भी गिना जाता है।

पाकिस्तान के लाहौर हाई कोर्ट के चलते 19 साल बाद मार्च 2017 में पाकिस्तान में शुरु होने जा रही राष्ट्रीय जनगणना में पहली बार ट्रांसजेंडर लोगों को भी गिना जाएगा। कोर्ट ने पाकिस्तान सरकार और नेशनल डाटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी को यह आदेश दिया है।

कोर्ट ने यह फैसला एक ट्रांसजेंडर वकार अली की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।  वकार ने मामले पर याचिका शुरुआत नवंबर 2016 में दी थी। अली ने अपनी याचिका में लिखा था कि पाकिस्तान में ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज की अवहेलना झेलनी पड़ती है और अदालत से मांग की कि देश की छठी जनगणना में उन्हें भी शामिल करके उनके बुनियादी अधिकारों की बहाली होनी चाहिए।

पाकिस्तान में आधिकारिक आंकड़े तो नहीं हैं लेकिन एडवोकेसी ग्रुप ट्रांस एक्शन के मुताबिक 19 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान में ऐसे 5,00,000 ट्रांसजेंडर लोग हैं। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने एक साल पहले ही ट्रांसजेंडर लोगों को वोटिंग और संपत्ति का अधिकार देकर उन्हें एक पूर्ण नागरिक की मान्यता दी।

बता दें कि साल 2011 में नेपाल दुनिया का पहला देश बना, जहां राष्ट्रीय जनगणना में लोग महिला, पुरुष के अलावा एक तीसरी श्रेणी यानि ट्रांसजेंडर (पासपोर्ट में ‘O’) के रूप में भी खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। भारत में भी 2011 की जनगणना में ही तीसरे जेंडर को पहली बार शामिल किया गया था।

2013 में जर्मनी यूरोप का पहला देश बना, जहां माता-पिता बिना किसी स्पष्ट लैंगिक पहचान के पैदा हुए अपने बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनवाते समय लिंग वाला स्थान खाली छोड़ सकते हैं। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और बांग्लादेश में भी पासपोर्ट के लिए थर्ड जेंडर लिखना स्वीकार्य है।