सुनील वर्मा ।
खादी ग्राम उद्योग आयोग द्वारा साल 2017 के लिए प्रकाशित कैलेंडर और टेबल डायरी से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर हटाए जाने पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। कैलेंडर के कवर फोटो और डायरी में बड़े से चरखे पर खादी कातते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर है। मोदी की तस्वीर गांधी के सूत कातने वाले क्लासिक पोज में है। जहां एक साधारण से चरखे पर अपने ट्रेडमार्क पहनावे में खादी बुनते गांधी की ऐतिहासिक तस्वीर थी, वहां अब कुर्ता-पायजामा-वेस्टकोट पहने मोदी नया चरखा चलाते दिखते हैं।
कर्मचारियों से हुई विरोध की शुरुआत
गोल ऐनक और सफेद धोती पहने गांधी जी की चरखा चलाती ऐतिहासिक फोटो पिछली कई पीढि़यों के जेहन पर अब तक अमिट छाप छोड़ चुकी है। लेकिन इस दफा पहली बार है कि मोदी अपने विशिष्ट पहचान वाले परिधान कुर्ता-पायजामा-जैकेट पहने थोड़े आधुनिक से चरखा चलाते नजर आ रहे हैं। इस बदलाव से हैरान-परेशान कर्मचारियों ने कैलेंडर और डायरी के लांच के समय कल मुंबई के विले-पार्ले स्थित मुख्यालय पर मुंह पर काली पट्टी बांधकर मौन-प्रदर्शन भी किया।
खादी उद्योग आयोग के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने कहा, ‘हम सरकार द्वारा सुनियोजित तरीके से महात्मा गांधी के विचारों, दर्शन और आदर्शों से मुक्ति पाने की कोशिशों से दुखी हैं। बीते साल, पहली कोशिश प्रधानमंत्री के फोटो को कैलेंडर में शामिल कर की गई थी।’
2016 में खादी उद्योग के कर्मचारी संघ ने कैलेंडर मामले को प्रबंधन के समक्ष सख्ती से उठाया था और तब उनसे वादा किया गया था कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा। कर्मचारी ने कहा, ‘लेकिन, इस साल तो सबकुछ साफ ही हो गया। तस्वीरें भी और गांधीजी की शिक्षाएं भी; जिन्होंने आजादी की लड़ाई के दौरान खादी को आम गरीब अवाम के लिए स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनाया था। लेकिन इस बार कैलेंडर और डायरी दोनों से गांधीजी गायब ही कर दिया गया।
आयोग का अपना तर्क
खादी ग्राम उद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना का इस बारे में अलग ही तर्क है । उन्होंने इस बारे में सवाल पूछने पर कल ही ये सफाई देकर कहा था की ‘पूरा खादी उद्योग ही गांधी जी की विचारधारा पर केंद्रित है। वह केवीआइसी की आत्मा हैं, इसलिए उनकी अनदेखी करने का तो सवाल ही नहीं उठता।’ विनय कुमार सक्सेना स्पष्ट करते हैं कि ‘मोदी बहुत लंबे समय से खादी पहनते आ रहे हैं। उन्होंने इसे जनमानस में तो ख्याति दिलाई ही है, विदेशियों के बीच भी इसे प्रसिद्ध कर दिया है। दरअसल वह खादी के सबसे बड़े ब्रांड एम्बेस्डर हैं।’
गाँधी के प्रपोत्र ने कहा – मोदी को चाहिए कि वो इस आयोग को बंद कर दें
कैलेंडर और टेबल डायरी में गांधी की जगह मोदी की तस्वीर लगने पर महात्मा गाँधी के प्रपोत्र तुषार गांधी ने तीखे भी तीखी प्रतिक्रिया दी है ।
गांधीजी के प्रपोत्र का कहना है कि ‘ वक्त आ गया है कि बापू अब खादी ग्राम उद्योग आयोग को राम-राम कह दें। तुषार गांधी का कहना है कि यूं भी खादी ग्राम उद्योग आयोग ने खादी और बापू दोनों की विरासत को कमजोर ही किया है। लिहाजा मोदी को चाहिए कि वो इस कमीशन को निरस्त कर दें।
तुषार गांधी पीएम मोदी पर भी बरसे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि मोदी को 10 लाख के सूट पसंद हैं और शायद खादी भी गरीबों की पहुंच से बाहर हो गई है। गांधी ने साफ किया कि ये उनकी नाराजगी नहीं बल्कि दर्द है।
तुषार गांधी का कहना था कि जो लोग बापू के कातिल के हिमायती हैं उनके बारे में वो कुछ नहीं कहना चाहते। उनकी राय में स्वाधीनता संग्राम में कोई योगदान ना करने वाले लोग खादी की अहमियत नहीं समझ सकते।
शुरू हुआ राजनीतिक विरोध
लेकिन इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग ले लिया है । राजनीतिक दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) की ओर से जारी कैलेंडर से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जगह प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर लगाए जाने पर आलोचना की है। आम आदमी पार्टी ( आप ) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा है- ‘गांधी बनने के लिए कई जन्मों की तपस्या करनी पड़ती है। चरखा कातने की ऐक्टिंग करने से कोई गांधी नहीं बन जाता, बल्कि उपहास का पात्र बनता।’
शिवसेना ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है । शिवसेना सांसद आनंद अंशुल ने कहा ‘खादी विभाग के कैलेंडर और डायरी से बापू की फोटो हटाकर मोदी की फोटो लगाना चिंताजनक और गंभीर मामला है ।
दूसरी और सूक्षम और लघु उद्योग मंत्री कलराज मिश्र ने कहा है कि अभी उन्होंने कैलेंडर और डायरी देखे नहीं है । लेकिन इससे ये नहीं समझना चाहिए कि गाँधी की उपयोगिता और महत्त्व कम हो गया है । गाँधी की जगह कोई नहीं ले सकता ।
कांग्रेस का कहना है कि मोदी इस मामले में देश से माफी मांगें। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला के मुताबिक इस घटना से साबित हुआ है कि मोदी सिर्फ अपनी पब्लिसिटी में दिलचस्पी रखते हैं। मोदी खुद को राष्ट्रपिता से बड़ा दिखाना चाहते हैं। हालांकि सूट-बूट की सरकार चलाने वाले मोदी ऐसा कर नहीं पाएंगे। सुरजेवाला का आरोप था कि बीजेपी गांधीजी की विरासत को देश के जेहन से मिटाना चाहती है। सुरजेवाला ने कहा कि ये गुनाह है और इसके लिए दोषी अधिकारियों को फौरन बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री से तस्वीर को फौरन हटाने की भी मांग की।
उल्लेखनीय है कि मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के समय से ही खादी की अपनी पोशाकों के लिए जाने जाते रहे हैं। आधी बाजू का आरामदेह रंगीन ‘मोदी कुर्ता’ खासकर युवाओं के बीच फैशन स्टेटमेंट बन चुका है।