नई दिल्ली। मणिपुर में 18 सैन्यकर्मियों की हत्या के लिए कथित रूप से जिम्मेदार नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-खापलांग (एनएससीएन-के) को कठोर आतंकवाद निरोधी कानून के तहत एक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया गया है।
गृहमंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि हाल ही में जारी एक राजपत्र अधिसूचना में सरकार ने अवैध गतिविधियां (उन्मूलन) अधिनियम, 1967 के तहत एनएससीएन-के, उसके तमाम मुखौटा संगठनों और समूहों को आतंकवादी घोषित कर दिया।
एनएससीएन-के ने मार्च 2001 में शांति समझौते पर दस्तखत किये थे। उसपर आरोप लगाया गया था कि भारत-म्यांमार सीमा से लगे उसके नियंत्रण वाला क्षेत्र परेश बरूआ नीत उल्फा गुट, आई के सोंगबिजित नीत एनडीएफबी और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ मणिपुर सरीखे मेइती सशस्त्र समूहों के लिए तेजी से सुरिक्षत इलाके में बदलता जा रहा है। इसके बाद, एनएससीएन-के मार्च में संघर्ष विराम समझौते से एकतरफा तौर पर हट गया।
प्रवक्ता ने बताया कि एनएससीएन-के ने निर्दोष असैनिकों और सुरक्षा बलों की हत्या कर और मणिपुर के चंडेल जिले में सेना के काफिले पर चार जून को हमला समेत अन्य हिंसक गतिविधियों में शामिल हो कर आतंकवादी कृत्य किए हैं।
एनएससीएन-के पूर्वोत्तर के कुछ अन्य आतंकवादी समूहों के साथ मिल कर ‘यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ साउथ ईस्ट एशिया’ के बैनर तले हमलों की एक श्रंखला में संलिप्त रहा है।