ओपिनियन पोस्‍ट ब्‍यूरो

नोएडा। शहर में एसी मेट्रो सिटी बसों ने दस्‍तक तो दे दी है, लेकिन उसके नंबर, रूट और किराये से आप वाकिफ नहीं हैं तो आप परेशान हो सकते हैं। इसके नंबर कुछ इस प्रकार हैं-एम 1 प्‍लस और एम 1 माइनस आदि। किराया चार स्‍टाप तक 10 रुपये और उससे अधिक स्‍टाप तक जाने के लिए 15 रुपये है। रूट प्‍लस और माइनस के आधार पर तय किए गए हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार प्‍लस और माइनस बस नंबर का चुनाव कर सकते हैं।

सेक्‍टर-15 मेट्रो स्‍टेशन पर खड़ी बस के कंडक्‍टर ने बताया कि यहां से सेक्‍टर-12 और रजनीगंधा चौक की ओर जाने के लिए बसें बन कर चलेंगी, जो हर 15 मिनट पर उपलब्‍ध होंगी। बस का आकार लो फ्लोर बसों से थोड़ा छोटा है। इन बसों का रंग गहरा हरा है। इसका फ्लोर भी लो फ्लोर बसों के मुकाबले थोड़ा और लो है।

बसों के संचालन जुड़ी एक समस्‍या यह है कि सेक्‍टर-12 मेट्रो अस्‍पताल की तरफ से सेक्‍टर-15 मेट्रो स्‍टेशन आने वाली बस हरौला मार्केट होते हुए गुजरती है। इस मार्केट की सड़क पर शाम चार बजे से रात नौ बजे तक इतना ज्‍यादा ट्रैफिक जाम रहता है कि 500 मीटर का फासला तय करने में बस को आधा घंटा भी लग सकता है। यह तब है, जब इस रूट को वनवे कर दिया गया है। यह भी सच है कि तमाम लोग वनवे का पालन नहीं करते हैं। ट्रैफिक पुलिस वाले कभी कभार कहीं कहीं वनवे का उल्‍लंघन करने वालों को रोकते हैं।

दूसरी समस्‍या यात्री किराये को लेकर है। इस बस में कम से कम किराया 10 रुपये है, जबकि फोर सीटर ऑटो इससे ज्‍यादा दूरी का सफर केवल पांच रुपये में तय कराता है। उदाहरण के लिए सेक्‍टर-11 मदर डेरी से सेक्‍टर 15 मेट्रो स्‍टेशन तक इस बस में 15 रुपये किराया लगता है, जबकि इस दूरी के लिए सवारी ऑटो वाले केवल सात रुपये लेते हैं। रोजाना आने जाने वाले छोटे व मध्‍यम वर्ग व नौकरीपेशा लोगों की जेब पर यह बोझ दोगुने से अधिक है। ऐसे में इस बात की ज्‍यादा गुंजाइश है कि लोग इस बस की बजाय सवारी ऑटो से चलना ज्‍यादा पसंद करेंगे।

बता दें कि देश की राजधानी दिल्‍ली का उपनगर नोएडा अत्‍याधुनिक शहर तो बन गया, लेकिन यहां आंतरिक परिवहन के लिए कोई पुख्‍ता व्‍यवस्‍था नहीं हो पाई थी। हालांकि अभी तक फोर सीटर और ई-रिक्‍शा को लोग आंतरिक परिवहन के साधन के रूप में इस्‍तेमाल कर रहे हैं। फोर सीटर वाले 11 सवारियां भरे बिना आगे नहीं बढ़ते तो ई-रिक्‍शा वाले 10 कदम चलने के भी 10 रुपये ले लेते हैं।