आठ महीने बाद फ्रांस को एक और बड़े हमले का शिकार होना पड़ा है। फ्रांस के नीस शहर में बास्तील डे का जश्न मना रहे लोगों को ट्यूनीशिया मूल के एक शख्स ने ट्रक से कुचल दिया। इसमें 84 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में कई महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हमलावर 60 से 70 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रक चला रहा था। वह करीब 100 मीटर तक लोगों को कुचलता चला गया। एक मोटरसाइकिल सवार ने कूदकर ट्रक पर चढ़ने की कोशिश की ताकि वह हमलावर को रोक सके लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली। इससे पहले नवंबर 2015 में पेरिस में आईएस के हमले में 130 लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि हमलावर का संबंध किसी आतंकवादी संगठन से था या नहीं। इस घटना को देखते हुए फ्रांस ने आपातकाल की अवधि को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है।
हमलावर ट्रक
हमलावर ट्रक

फ्रांस के बास्तीय के किले में क्रान्तिकारियों और खूंखार कैदियों को रखा जाता था। 14 जुलाई, 1789 को प्रदर्शनकारी भीड़ ने किले को तोड़ दिया था। यहीं से फ्रेंच रिवॉल्यूशन की शुरुआत हुई थी। इसलिए 14 जुलाई को बास्तील डे को नेशनल डे की तरह सेलिब्रेट किया जाता है।

मोदी-ओबामा ने की निंदा

इस हमले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि वे इस हमले से चकित हैं और इस तरह की हिंसा का कड़ा विरोध करते हैं। इस दुख की घड़ी में भारत फ्रांसिसियों के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि वे आशा करते हैं कि हमले में घायल हुए लोग जल्द स्वस्थ हो जाएंगे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ट्वीट कर नीस हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना जाहिर की। उन्होंने कहा कि वे हमले में घायलों के स्वास्थ्य में जल्द सुधार के लिए प्रार्थना करेंगे। साथ ही फ्रांस और अन्य देशों के साथ मिलकर आतंक के खिलाफ चल रही लड़ाई तेज करेंगे। वे इस हमले की कड़ी निंदा करते हैं।

दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी इस हमले की निंदा की और फ्रांस को हर संभव मदद देने की पेशकश की है। उन्होंने बयान जारी किया कि अमेरिका हमले में मारे जाने वालों के परिवार के साथ है। उन्होंने अपनी टीम को निर्देश दे दिए हैं कि वे फ्रांसिसी प्रशासन की हर संभव मदद करें और हमले के जिम्मेदारों को सजा हो।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने नीस में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और इसे बर्बर-कायरतापूर्ण करार दिया। सुरक्षा परिषद ने हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद ने कहा कि किसी भी तरह की आपराधिक या आतंकी गतिविधि को सही नहीं ठहराया जा सकता है।

कैसे हुई घटना 
नीस के एक बीच प्रॉमनाड दिस आंगले में बास्तील-डे का जश्न मनाया जा रहा था। सैकड़ों लोग वहां माैजूद थे और आतिशबाजी देख रहे थे। नेशनल डे के दौरान लोग आतिशबाजी देख रहे थे। तभी हमलावर भीड़ से भरी सड़क पर दो किमी तक लोगों को रौंदते हुए ट्रक चलाता गया। मौके पर मौजूद पुलिस ने ट्रक पर फायरिंग कर हमलावर को मार गिराया। लेकिन तब तक वह कई लोगों को कुचल चुका था। ट्रक के अंदर कई ग्रेनेड और बंदूकें मिली हैं। इस घटना को देखते हुए फ्रांस में तीन महीने के लिए स्टेट ऑफ इमरजेंसी बढ़ा दी गई है। इस हमले पर फ्रांस के राष्ट्रपित फ्रांस्वा ओलांद ने कहा, “फ्रांस ऐसे हमलों से डरने वाला नहीं है, वह काफी मजबूत है।” एक चश्मदीद ने बताया कि समुद्र किनारे से एक तेज रफ्तार सफेद ट्रक भीड़ में घुसता चला गया। हमने लोगों को कुचले जाते और लोगों की लाशों के टुकड़ों को इधर-उधर उड़ते देखा। वहां बिल्कुल अफरा-तफरी का माहौल था और लोग चीखते-चिल्लाते भाग रहे थे। एक अफसर के मुताबिक, ट्रक ड्राइवर भीड़ से भरी सड़क पर 2 किमी तक लोगों को रौंदता रहा। सड़क खून से सन गई और पूरी सड़क पर लाशें पड़ी हुई हैं। 15 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, ट्रक चालक ने भीड़ में ट्रक घुसाने से पहले पुलिस पर गोलियां भी चलाईं। घटनास्थल पर मौजूद लोगों द्वारा बनाई गई वीडियो में गोलियों की आवाजें भी सुनी जा सकती हैं। इस घटना में 150 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
France Truck Attack
फ्रांस ही निशाने पर क्यों 
फ्रांस सीरिया और इराक में अमेरिकी फौज का साथ देता रहा है। इसलिए आईएसआईएस उसे निशाना बना रहा है। फ्रांस माली और लीबिया में भी अमेरिकी सेना का साथ दे चुका है। फ्रांस ने विदेशों में जिहादियों से लड़ाई के लिए 10 हजार सैनिक भेज रखे हैं। यूरोप में जर्मनी के बाद फ्रांस दूसरा सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है। यहां 47 लाख 10 हजार मुस्लिम रहते हैं। ऐसे में, आईएसआईएस यहां अपना स्लीपर सेल आसानी से एक्टिव कर लेता है। फ्रांस की सीमा कई ऐसे देशों से सटी है जहां पलायन का संकट है। ऐसे में कट्टरपंथी लोग आसानी से फ्रांस में एंट्री ले सकते हैं। फ्रांस के दूर-दराज इलाकों में बेरोजगारी के कारण मुस्लिम युवा आतंकवाद का रास्ता अपना रहे हैं। जानकारों का मानना है कि फ्रांस से 500 से ज्यादा मुस्लिम जिहादियों के साथ लड़ने सीरिया और इराक तक जा चुके हैं।
डेढ़ साल में 13 आतंकी हमले
फ्रांस में 2003 से 2013 तक यानी 10 साल में सिर्फ पांच आतंकी हमले हुए थे। इनमें 9 लोगों की मौत हुई थी। वहीं पिछले डेढ़ साल में यानी दिसंबर 2014 से जुलाई 2016 के बीच 13 हमले हो चुके हैं। इनमें 239 लोग मारे जा चुके हैं। इस हमले ने नंवबर 2015 में हुए आतंकी हमले की यादें ताजा कर दी, जिसमें पेरिस शहर के कई जगहों पर हुई गोलीबारी में 130 लोग मारे गए थे।