देबदुलाल पहाड़ी।

जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और जहाजरानी मंत्रालय, रेल मंत्रालय,  मध्य प्रदेश सरकार और महाराष्ट्र सरकार के बीच 28 अगस्‍त को इन्दौर-मनमाड 362 किलोमीटर नई रेल परियोजना के बीच करारनामे पर हस्ताक्षर किए गए। इस नई परियोजना के पूर्ण होने पर इंदौर से मुम्बई की दूरी 171 किलोमीटर कम हो जाएगी।

इस अवसर पर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और देवेन्द्र फड़नवीस के अलावा केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी,  रेलमंत्री पीयूष गोयल,  रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे

केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि मध्य प्रदेश की व्यापार राजधानी इंदौर से मुम्बई एवं मनमाड की दूरी काफी कम हो जाएगी। इससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही सामान ले जाने वाले कन्टेनर अब इंदौर से मनमाड़ सीधे जा सकेंगे और मनमाड़ से जवाहर लाल नेहरू पोर्ट भी जा सकेंगे और पोर्ट का पूरा फायदा ले सकेंगे। व्यापार के अलावा पर्यटन और आम लोगों को भी आवाजाही में सुविधा मिलेगी। इस परियोजना की लागत लगभग 8,575 करोड़ रुपये होगी।

गडकरी ने कहा कि इस नई रेल लाइन के बनने का फायदा रेलयात्रियों को भी होगा। रेल लाइन पर यात्री ट्रेनें भी चलेंगी। अभी दिल्ली से बेंगलुरु या चेन्नै जाने वाली ट्रेनों का सफर भी 150 से 200 किलोमीटर तक कम हो जाएगा।

इस तरह से सफर में तीन से पांच घंटे तक की कटौती हो सकती है। इसके अलावा यह रेल लाइन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के जिन क्षेत्रों से गुजरेगी,  वे पिछड़े और ट्राइबल एरिया हैं। रेल लाइन बनने से इन क्षेत्रों का भी विकास होगा।

उन्होंने बताया कि रेल लाइन के लिए जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस लाइन के निर्माण के लिए दो ब्रिज का टेंडर प्रॉसेस भी शुरू कर दिया गया है। यह प्रोजेक्ट पांच वर्ष में तैयार कर लिया जाएगा।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारा इग्गतपुरी,  नासिक और सिनार से होते हुए पुणे, खेद,  धुले और नारदाना से होते हुए जाएगा। परियोजना शुरू होने के बाद लगभग 15 सौ करोड़ रुपये का पहले 10 साल के अंदर कुल आर्थिक लाभ मिलेगा। इसके अलावा रोजगार अवसर में वृद्धि होगी,  प्रदूषण में कमी होगी।

साथ ही तेल खपत में भी कमी होगी। इस परियोजना में मध्य प्रदेश सरकार या उसके नामित उपक्रम की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। परियोजना पूर्ण होने पर उत्तरी भारत के हिस्से जैसे लखनऊ,  ग्वालियर,  कानपुर,  आगरा और इंदौर धुले भोपाल क्षेत्र से कार्गो को जवाहर लाल नेहरू पोर्ट और मुम्बई जाने पर होने वाले व्यय में काफी कटौती होगी।