प्रतापगढ़ के कंधई मधुपुर और अमरोहा के मेंहदीपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रात्रि प्रवास किया। वे कंधई मधुपुर जा रहे थे और रास्ते में नई सड़क बनी मिल गई। सड़क की गुणवत्ता की जांच कराने के लिए वे अचानक रुक गए। अधिकारियों ने फावड़ा मंगाकर सड़क खुदवाई और फिर योगी जी आगे बढ़े। कंधई मधुपुर गांव में चौपाल के बजाय मंच सरीखी व्यवस्था प्रशासन ने बनाई थी जिसमें जनता और मंच के बीच काफी फासला था। सुरक्षा घेरा सीधे संवाद में अड़चन पैदा कर रहा था। सीएम ने खुद ही गांव वालों से सुरक्षा घेरा के भीतर आने को कहा। फिर क्या था? अफसरों की शिकायत शुरू हो गई। शौचालय और आवास योजना पर जनता की राय मांगी तो जनता की ओर से रिश्वत मांगने के आरोप अधिकारियों-कर्मचारियों पर लगे। सीएम के तेवर तल्ख हो गए। उन्होंने जिलाधिकारी एस कुमार एवं सीडीओ आरके यादव को मंच पर बुलाया और आरोपों पर जवाब मांगने लगे। भला अधिकारी क्या जवाब देते। मुंह लटकाए रहे। सीएम ने सुबह तक आवास और शौचालय का रुपया पात्रों को देने का अल्टीमेटम दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री 26 अप्रैल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के मेंहदीपुर गांव पहुंचे। यहां पर भी रात में चौपाल लगाकर योगी ने जनता की नब्ज टटोली। उन्होंने गांव को देश की रीढ़ बताया। योगी ने कहा कि गोरखनाथ पीठ ने हमेशा जातिवाद और छुआछूत का विरोध किया है। मुझसे पहले मेरे गुरु और दादा गुरु ने मलिन और दलित बस्तियों में सहभोज किया है। अब मैं बतौर सीएम इस परंपरा को आगे बढ़ा रहा हूं। पुरानी स्मृतियों को ताजा करते हुए फैजाबाद के सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि फैजाबाद के बाल्दा बस्ती में महंत अवैद्यनाथ ने वर्ष 1993 में सहभोज का आयोजन किया था। अस्पृश्यता पर उनका भावुक संबोधन आज भी जेहन में ताजा हो जाता है। बाल्दा में सफाईकर्मियों की अच्छी खासी तादाद है और उन्हीं के बीच बैठकर उन्होंने गोरखनाथ मठ के अन्य पुजारियों के साथ भोजन किया था। उसके बाद बड़ा परिवर्तन यह हुआ कि बाल्दा के प्रति लोगों की धारणा में बड़ा बदलाव आ गया।
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