डॉ. संतोष कुमार तिवारी

17 नवंबर 2018 को पोर्टलैंड, ओरेगाओं, अमेरिका में हिमटू आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने के वास्ते एक रैली आयोजित हो रही है। भारत में हिमटू एक आंदोलन के तौर पर अभी शुरू नहीं हुआ है, परंतु इसकी जरूरत महसूस की जा रही है। भारत में ‘सेव इंडियन फेमिली मूवमेंट’ के तौर पर पचास से ज्यादा गैर सरकारी संगठनों का एक समूह है जिसका एक उद्देश्य पुरुषों को यौन उत्पीड़न से बचाना भी है। इस समूह का हेल्पलाइन नंबर भी है जिस पर कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति बात कर सकता है।
हिमटू अभी तक पूरी तरह से गैर राजनीतिक है। इस पर न्यूयार्क टाइम्स में लेख भी प्रकाशित हो चुके हैं।
43 वर्षीय इटैलियन अभिनेत्री आसिया अरजेंटों पर जिमी बेनेट नामक अभिनेता और संगीतज्ञ ने आरोप लगाया है कि आसिया ने उसके साथ उस समय यौन दुराचार किया था जब वह 17 वर्ष का था। अभिनेत्री आसिया उस समय 37 वर्ष की थी। 19 अगस्त 2018 को न्यूयार्क टाइम्स ने खबर छापी कि मुंह बंद रखने के लिए आसिया ने जिमी को 3 लाख 80 हजार डालर (लगभग 2 करोड़ 77 लाख 40 हजार रुपये) दिए हैं। आसिया ने यह स्वीकार भी किया कि उसने यह रकम जिमी को दी है। परंतु आसिया ने बचाव में कहा- ‘मेरे जिमी के साथ किसी प्रकार के सेक्स संबंध नहीं रहे।’ आसिया ने कहा कि जिमी अत्यंत अर्थ संकट में था इस कारण उसने ये आरोप लगाए। आसिया ने यह भी बताया कि मशहूर टेलीविजन प्रजेंटर एंथनी बोर्डेन की सलाह पर उसने बदनामी से बचने के लिए यह रकम जिमी को दी थी। एंथनी बोर्डेन आसिया का ब्वायफ्रेंड था जिसने जून 2018 आत्महत्या कर ली थी।
जिमी बेनेट का यह मामला हिमटू की श्रेणी में आता है। हिमटू की श्रेणी में वे पुरुष भी आते हैं जिन पर यौन शोषण के गलत आरोप कुछ महिलाओं ने लगाए हैं।
लंदन के अखबार गार्जियन में 2014 में छपी एक खबर के मुताबिक ब्रिटेन में पिछले पांच वर्षों में कम से कम 109 महिलाओं पर बलात्कार के झूठे आरोप लगाने के लिए मामले दर्ज किए गए।
हिमटू का एक मामला न्यूयार्क में तब सामने आया जब 13 अगस्त 2018 से न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक खबर छापी। यह खबर थी कि न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की 66 वर्षीय अत्यंत वरिष्ठ महिला प्रोफेसर एविटा रोनेल ने किस प्रकार अपने से 30 वर्ष छोटे पुरुष निरमोड रीटमैन का यौन शोषण किया। निरमोड रीटमैन कभी उनका छात्र रहा था। करीब 11 महीने तक रोनेल के खिलाफ जांच चली, तब यह खुलासा हुआ। बाद में विश्वविद्यालय ने रोनेल को सस्पेंड कर दिया। हालांकि इतना काफी नहीं था, परंतु रोनेल के पक्ष में कई शिक्षाविदों ने एक पत्र लिखा। पत्र लिखने वालों में अधिकतर महिलाएं थीं।
इराक, यूगांडा, ट्यूनेशिया, चिली, सीरिया समेत दुनिया की तमाम जेलों से ऐसी खबरें मिलती रही हैं कि वहां पुरुष कैदियों के साथ बहुत वीभत्स तरह के यौन दुराचार किए जाते हैं। परंतु तमाम मानवाधिकार आयोग इस विषय पर शांत बैठे दिखते हैं। दुराचार के शिकार इन पुरुष कैदियों की कहीं कोई सुनने वाला नहीं है। कई दुराचार तो ऐसे हैं जिन्हें महिलाओं के मामले में यौन उत्पीड़न समझा जाता है, जबकि पुरुषों के मामले में उन्हें शारीरिक यातना माना जाता है।
एक आॅनलाइन अखबार ‘द लोकल स्वीडन’ ने खबर दी है कि बलात्कार के शिकार पुरुषों के लिए स्वीडन में विश्व का पहला केंद्र खोला गया है। स्टॉकहोम के साउथ सेंट्रल हॉस्पिटल में पहले से ही सेक्स उत्पीड़न की शिकार लड़कियों और महिलाओं के लिए एक केंद्र चल रहा है, जहां डॉक्टर, नर्स, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता आदि की सभी सुविधाएं मुफ्त में 24 घंटे उपलब्ध हैं। अब यही सुविधाएं वहां सेक्स उत्पीड़न और बलात्कार के शिकार लड़कों और पुरुषों को भी उपलब्ध हैं।
स्टॉकहोम के साउथ सेंट्रल हॉस्पिटल के डॉ. लोट्टी हेल्स्टोर्म का कहना है- ‘इस बात की संभावना ज्यादा होती है कि पुरुष का बलात्कार दूसरे पुरुष करें। स्त्रियों द्वारा ऐसा करने की संभावना अपेक्षाकृत कम होती है।’
यूरोप में स्वीडन में सबसे अधिक बलात्कार के मामले होते हैं। हालांकि इसका एक कारण यह भी है कि वहां बलात्कार और सेक्स उत्पीड़न की प्रत्येक घटना को रिपोर्ट करने की प्रभावशाली व्यवस्था है। अन्य कई देशों में ऐसा नहीं है। 2014 में स्वीडन में 20,300 यौन अपराध रिपोर्ट हुए। इनमें से 6,700 बलात्कार की श्रेणी में आते थे। इसी वर्ष में पुरुषों के साथ हुए यौन अपराध के 370 मामले दर्ज किए गए। पिछले एक दशक में स्वीडन में बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि हुई है। इसका एक कारण यह भी है कि वहां बलात्कार की कानूनी परिभाषा अपेक्षाकृत उदार है। स्वीडन के बारे में यहां थोड़ा जिक्र करना इसलिए जरूरी हुआ क्योंकि वहां वेश्यावृत्ति गैरकानूनी नहीं है अर्थात वेश्यावृत्ति कोई अपराध नहीं है।

देश में हिमटू के मामले
अब भारत पर नजर डालें। 16 अक्टूबर 2018 की मुंबई डेटलाइन से मिरर नाओ डिजिटल ने प्रेस ट्रस्ट आॅफ इंडिया के हवाले से खबर दी कि महाराष्ट्र के परभणी जिले में 38 वर्षीय सचिन मितकारी नामक एक शादीशुदा युवक ने आत्महत्या कर ली। अपने एक पत्र में आत्महत्या का कारण बताते हुए उसने लिखा कि उसके साथ काम करने वाली एक महिला लगातार उससे सेक्स की मांग करती थी। उस महिला को यह पता था कि सचिन शादीशुदा है। वह महिला सचिन को ब्लेकमेल करने की धमकी भी देती थी। सचिन ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि वह उस महिला से तंग आकर आत्महत्या कर रहा है। पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है।
फिल्म ‘रेस 3’ के अभिनेता साकिब सलीम ने बताया कि 21 साल की उम्र में एक व्यक्ति उसकी पैंट में जबरन हाथ डालने की कोशिश करता था। यह बात साकिब सलीम ने एक दैनिक समाचार पत्र को बताई। बाद में इस खबर को इंडिया टुडे ने अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया। 16 अक्टूबर 2018 को नई दिल्ली डेटलाइन से जारी इस खबर का शीर्षक है- साकिब सलीम सेक्सुअली हैरेस्ड इन 21: ही ट्राइड टु पुट हिज हैंड इन माय पैन्ट्स।
दक्षिण भारत के अखबार डेक्कन क्रॉनिकल ने प्रेस ट्रस्ट आॅफ इंडिया के हवाले से 16 अक्टूबर 2018 की बंगलुरु डेटलाइन एक खबर प्रकाशित की जिसमें कहा गया कि स्पोर्ट्स अथार्टी आॅफ इंडिया (भारतीय खेल प्राधिकरण) के एक 59 वर्षीय कबड्डी कोच ने इसलिए खुदकुशी कर ली क्योंकि उनके ऊपर एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने का आरोप लगा था और पॉक्सो कानून के अंतर्गत एक केस भी दायर हुआ था। ऐसा भी हो सकता है कि यह आरोप सही हो और ऐसा भी हो सकता है कि गलत हो।
पॉक्सो कानून अर्थात (प्रोटेक्शन आॅफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल आफेंसेस एक्ट) के बारे में ‘सेव इंडियन फेमिली मूवमेंट’ का कहना है कि नाबालिग लड़के या लड़की के खिलाफ किए गए सेक्स दुष्कर्म के मामले में इस अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज हो सकता है। सेव इंडियन फेमिली मूवमेंट का हेल्पलाइन नंबर 8882-498-498 है। लेखक ने इस नंबर पर बात की। बाद में इस मूवमेंट के बृजेशजी का फोन आया। उन्होंने बताया, ‘इस मूवमेंट की एक मांग है कि देश में अगर महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक महिला आयोग हो सकता है, तो पुरुषों की सुरक्षा के लिए भी एक पुरुष आयोग होना चाहिए।’ इस संबंध में ये लोग कुछ सांसदों से भी मिले हैं।
इस मूवमेंट के बारे में एक लेख इंडिया टुडे (इंग्लिश) में अक्टूबर 2015 में छपा था। लेख का शीर्षक था: रेप्ड, टार्चड बाई वाइव्स: हेल्पलाइन फॉर इंडियन मेन गेट्स 100 काल्स टु रिपोर्ट एब्यूज डेली (अर्थात्- बलात्कार और पत्नियों से उत्पीड़ित भारतीय पुरुषों के 100 फोन हेल्पलाइन पर रोज आते हैं)। मीटू और हिमटू का उद्देश्य एक ही है कि समाज में यौन दुराचार या यौन उत्पीड़न रोका जाए। 