कुआलालंपुर।

मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में एक धार्मिक स्कूल में आग लगने से 25 छात्रों और शिक्षकों की मौत हो गई। अधिकारियों के मुताबिक तहफ़ीज़ दारुल क़ुरान इत्तिफ़ाक़िया में आग तड़के उस वक़्त लगी जब बच्चे सो रहे थे। अग्निशमन विभाग के निदेशक खिरुद्दीन दुहराम ने बताया, ” मृतकों में 23 बच्चे और 2 वार्डन शामिल हैं।” अधिकारियों को अंदेशा है कि आग शॉर्ट सर्किट से लगी।

कई अन्य बच्चों को पास के ही अस्पताल में ले जाया गया है। इनमें से कुछ ने धुएं के कारण दम घुटने की शिकायत की है। निजी इस्लामी स्कूल अपनी वेबसाइट पर बच्चों और उनके परिवार वालों की क्लास में ली गई तस्वीरें लगाता है। अधिकारियों का कहना है कि ये पिछले 20 सालों में देश में हुई आग की घटनाओं में सबसे भयंकर हो सकती है।

हाल के दिनों में लगातार आग लगने की घटनाओं पर मलेशियाई प्रशासन ने निजी स्कूलों के सुरक्षा उपायों पर चिंता जताई है। स्थानीय मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक 2015 से अब तक 200 बार आग लगने की ऐसी घटनाएं हुई हैं। प्रधानमंत्री नजीब रज्ज़ाक ने ट्वीट कर हताहतों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।

मलेशियाई अग्निशमन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले दो दशक में आग लगने की यह सबसे भीषण और दर्दनाक घटना है। दो मंजिली इमारत के ऊपरी तल पर आग लगी थी। घटना के कुछ मिनट के अंदर पहुंचे अग्निशमन दल के दस्ते ने आग पर एक घंटे के अंदर काबू पा लिया था।

प्रवेश के लिए था सिर्फ एक दरवाजा

मलेशिया के मंत्री तेंगकू अदनान तेंगकू मानसर ने बताया कि बच्चों ने बाहर निकलने की भरपूर कोशिश की थी, लेकिन लोहे की ग्रिल होने की वजह से वे भाग नहीं सके। कुआलालंपुर के पुलिस प्रमुख अमर सिंह ने बताया कि स्कूल में सिर्फ एक प्रवेश द्वार होने के कारण छात्र खुद को बचा न सके।

मौके पर मौजूद अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आग की पहली लपट बेडरूम में दिखी थी। अग्निशमन विभाग ने गैर-पंजीकृत और निजी धार्मिक स्कूलों (ताहफिज) में आग से निपटने की व्यवस्था पर पहले ही चिंता जताई थी। देशभर में फैले इन स्कूलों में वर्ष 2015 से अब तक आग लगने की 211 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। देश में 500 से ज्यादा ताहफिज स्कूल हैं।