कश्मीर घाटी में लौट रही है जिंदगी

श्रीनगर। अलगाववादियों की ओर से सप्ताहांत शनिवार को हड़ताल में छूट दिए जाने से शहर और कश्मीर के अन्य हिस्सों में कार्यालय, दुकान और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान शनिवार (19 नवंबर) को खुले और 133 दिन के बंद के बाद घाटी में जनजीवन पटरी पर लौटता हुआ दिखा।

घाटी में पिछले कुछ सप्ताह से स्थिति आमतौर पर शांतिपूर्ण रही है। हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के आठ जुलाई के एक मुठभेड़ में मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में हिंसक प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच कई दौर की झड़पें हुईं। इन हिंसक घटनाओं में 86 लोगों की मौत हुई और 5000 सुरक्षाकर्मियों समेत कई अन्य घायल हो गए।

हिंसक झड़पों की शुरुआत के बाद पहली बार शनिवार सुबह दुकान, कार्यालय, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और पेट्रोल पंप खुले। जहां कुछ ने अलगाववादियों की परवाह किए बिना पहले ही दुकान खोलना शुरू कर दिया था वहीं कुछ दुकानें हड़ताल से छूट मिलने पर कुछ देर के लिए खुलती थीं।

ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में सड़कों पर बहुत अधिक यातायात देखने को मिला क्योंकि सार्वजनिक परिवहन के पूरी तरह चालू होने के बाद लोग अपनी दैनिक गतिविधियों के लिए बाहर निकले। यातायात प्रबंधन के लिए अधिकारियों ने अधिक संख्या में यातायातकर्मियों की तैनाती की है। लोगों के सामान्य जीवन फिर से शुरू करने की इसी तरह की खबरें घाटी के अधिकतर अन्य जिला मुख्यालयों से भी मिल रही हैं।

दसवीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के बाद घाटी में जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। अधिकारियों ने शुक्रवार (18 नवंबर) रात पोस्टपेड नंबरों पर मोबाइल इंटरनेट सेवा फिर से बहाल कर दी। हालांकि प्रीपेड नंबरों पर इस तरह की सेवा अब तक चालू नहीं की गई है और उसे फिर से बहाल किए जाने के बारे में कोई घोषणा भी नहीं की गई है। अलगाववादी साप्ताहिक हड़ताल कार्यक्रम जारी कर रहे हैं। उन्होंने पहली बार शनिवार (19 नवंबर) से दो दिन के लिए हड़ताल में छूट की घोषणा की।

 

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