ओपिनियन पोस्‍ट।

जापान भयंकर ‘जेबी’ तूफान की वजह से चर्चा में है। जेबी कोरियाई शब्‍द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है “निगलना” अर्थात वह तूफान जो निगल जाए। वैसे तो हिंदी शब्‍द जेबी का अर्थ होता है “वह जो जेब में रखा जा सके” यानी कि “छोटे आकार का”। हम जापान के तोकुशिमा में आए जिस शक्तिशाली तूफान ‘जेबी’  की बात कर रहे हैं, उसकी चपेट में आकर अब  तक 11 लोगों की जान जा चुकी है और 90 से अधिक लोग घायल हो गए हैं।

जापान सरकार ने दस लाख लोगों को सुरक्षित निकालने के निर्देश जारी किया है। मंगलवार को आया यह तूफान बोट,  कारों सहित अन्य वाहनों को उड़ा ले गया, जिससे वे क्षतिग्रस्त हो गए। इस तूफान से कई मकानों को भी नुकसान पहुंचा है। जापान के 25 साल के इतिहास में ‘जेबी’ सबसे शक्तिशाली तूफान बताया जा रहा है।

इस भीषण तूफान के कारण बड़े पैमाने पर परिवहन सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। घरेलू विमानन कंपनियों ने 600 से अधिक उड़ानें रद कर दी हैं तो रेल परिवहन पर भी असर पड़ा है।

तूफान सबसे पहले शिकोकू द्वीप पर पहुंचा, जहां 208 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं। क्योटो शहर के एक इलाके में एक घंटे में 3.9 इंच बारिश हुई। कई जगहों पर बिजली गुल हो गई और गाड़ियां पलट गईं। ओसाका के समीप स्थित कांसाई एयरपोर्ट के रनवे पर पानी भर जाने से एयरपोर्ट को बंद करना पड़ा। तीन हजार पर्यटक वहां फंसे हैं। बुलेट ट्रेन लाइनों को भी अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।

टीवी चैनलों पर जारी फुटेज में तट रेखा के समीप तेज और ऊंची लहरें दिख रही हैं। तेज हवा के कारण 2,591 टन का एक टैंकर पुल से टकरा गया। पुल को काफी नुकसान हुआ है। उसे फिलहाल बंद कर दिया गया है। जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने तूफान ‘जेबी’ के चलते पूर्वी और पश्चिमी जापान दोनों क्षेत्रों में भारी बारिश और शक्तिशाली तेज हवाओं के चलने की चेतावनी दी है।

मौसम एजेंसी के प्रमुख अनुमानकर्ता रयुता कुरोरा ने बताया कि जेबी अपने केंद्र से 162 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। यह 1993 के बाद से आया सबसे भीषण तूफान है। तेज हवाओं ने मकानों की छतों तक को उड़ा दिया, पुलों पर खड़े ट्रक पलट गए और ओसाका खाड़ी में खड़े टैंकर जहाज को भी उड़ा दिया।

प्रधानमंत्री शिन्जो आबे ने लोगों से जल्द से जल्द जगह खाली करने की अपील की और अपनी सरकार से निवासियों को बचाने के लिए उपाय करने का निर्देश दिया। 20 प्रांतों में 16 हजार लोगों ने मंगलवार की रात राहत शिविरों में गुजारी।

अधिकारियों ने बताया कि यहां फंसे यात्रियों को नौकाओं और बसों के जरिये समीप के कोबे हवाई अड्डा ले जाया जा रहा है। यहां से रोजाना 400 विमान उड़ान भरते हैं। कंसाई एयरपोर्ट के रनवे पर पानी भरने से उड़ाने बंद हैं।