नई दिल्ली। काले धन को लेकर उठाए गए कदम के तहत सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोट पर रोक लगा दी है। उसके बाद जारी 2 हजार रुपये के नए करेंसी नोट जारी किए जा रहे हैं। रिज़र्व बैंक इस नए नोट में मंगलवार को सोशल मिडिया पर जीपीएस चिप लगे होने की खबर वायरल हो रही थी।

नोट में लगे चिप की बात पर बुधवार को वित्त मंत्री ने एक संवाददाता सम्मलेन में इस खबर का साफ तौर पर खंडन किया और कहा कि 2000 रुपये के नोट में चिप लगे होने की खबर पूरी तरह आधारहीन है और यह खबर कहां से आई है, इसका हमें भी पता नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 500 और 1000 रुपये के नोटों पर पाबंदी के फैसले को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सही दिशा में लिया गया कदम बताया है। जेटली ने इस फैसले को बोल्ड बताते हुए कहा कि इसे बहुत पहले ही ले लिया जाना चाहिए था।

उन्होंने कहा है कि इस फैसले का अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर होगा और दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि कालेधन पर लगाम लगाने की दिशा में ये कदम निर्णायक साबित होगा। वित्तीय लेन-देन में लोगों को हो रही तकलीफ की बात को बेबुनियाद करार दिया है। जेटली के मुताबिक जो ईमानदार हैं, वे इस फैसले से खुश हैं, जबकि जिनके पास काला धन है वही दुखी हैं।

इसके लिए एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो चलती है। ऐसा निर्णय अचानक लेना पड़ता है और इसे गोपनीय भी रखना पड़ता है। जो वैकल्पिक करेंसी आए वह पर्याप्‍त मात्रा में बैंकों में होनी चाहिए। पिछले कई महीनों से वैकल्पिक करेंसी छप रही थी, जिसे गोपनीय रखा गया था।

कल तक जो काम कैश देकर करते थे वही काम अब चैक से कर दीजिए। जन-धन योजना के बाद से ज्यादातर के पास खाते और चेक हैं। एसआईटी बनाना, फॉरेन मनी का कानून बनाना, ब्लैक मनी डिस्क्लोज करने की स्कीम लाना। ये सब एक प्रक्रिया का हिस्सा था।

इसके बाद ऐसा काम करना, जिससे लोगों के ऊपर कानूनी बाध्यता हो जाए कि वे बैंकिंग के जरिये ही कार्रवाई करें। जितना भी ब्लैक मनी, करप्शन-आतंक-फर्जी करेंसी का पैसा था वह सब इसमें शामिल था। मैं मानता हूं कि देश में इकनॉमी कैशलेस हो,  प्लास्टिक और ऑनलाइन मनी का इस्तेमाल बढ़े।

ब्लैक मनी किसी का मौलिक या नैतिक अधिकार नहीं है। इससे बैंकिंग व्यवस्था को मजबूती मिलती है। कभी न कभी अभी वाली सभ्यता को बदला जाना था। पीएम का साफ मत था कि पिछले 10 सालों में जैसी सरकार चली,  सिर्फ फाइल साइन करने वाली,  मैं वो नहीं करूंगा। देश की जनता के जीवन में प्रभाव डालने वाला काम करना चाहता हूं।

हर राज्य को इसका लाभ होगा। राज्यों का रेवेन्यू बढ़ेगा, क्योंकि कानूनी रूप से खरीदी गई वस्तुओं से टैक्स आएगा। कितना भी पैसा हो,  उसे बैंक में जमा करा सकते हैं,  लेकिन ये कोई इम्युनिटी स्कीम नहीं है। अगर आपकी इनकम का हिस्सा है, तो कोई चिंता की बात नहीं। लेकिन अनडिसक्लोज्ड इनकम है तो उस पर कानूनी प्रावधान होगा।

जो लोग बोल रहे हैं कि कम वक्त दिया वे दरअसल ब्लैक मनी को जस्टिफाई करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका एक ही राजनैतिक असर देखना चाहता हूं। इससे राजनीति और चुनाव प्रक्रिया भी स्वच्छ होगी।