नई ऑटो नीति बनाने की तैयारी में जुटी केंद्र सरकार ने ऑटोमोबाइल कंपनियों को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने वैकल्पिक और स्वच्छ ईंधन वाले वाहनों का उत्पादन नहीं किया तो उन्हें उत्पादन की इजाजत नहीं दी जाएगी। अपनी बेबाकी के लिए मशहूर सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यह चेतावनी दी है। इसका मतलब साफ है कि कंपनियों को पेट्रोल-डीजल कारों की जगह इलेक्ट्रिक या ऐसे ईंधन से चलने वाले वाहन तैयार करने होंगे जो कम प्रदूषण फैलाते हों।

गडकरी ने अॉटो कंपनियों के संगठन सियाम के सम्मेलन में कहा कि वाहन कंपनियों को वैकल्पिक ईंधन की ओर बढ़ना चाहिए। चेतावनी भरे लहजे में गडकरी ने कहा कि भले ही आपको यह पसंद हो या नहीं, मैं आपसे कहूंगा भी नहीं लेकिन इन वाहनों को ध्वस्त कर दूंगा। चौंकाने वाले उनके इस बयान से वाहन कंपनियों में हडकंप मच गया है। गडकरी के अलावा नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने यह चेतावनी अलग से दे दी कि ऑटो कंपनियों को शोध व विकास और नई तकनीक पर अब ज्यादा खर्च करना होगा। कांत ने कहा कि जैसा अभी उद्योग में चल रहा है, वैसा आगे नहीं चलेगा। आने वाला समय इलेक्ट्रिक वाहनों का है। कंपनियों को उसी के हिसाब से कामकाज में बदलाव करना होगा।

गडकरी और कांत की चेतावनी को ऑटो उद्योग भावी नीति का संकेत मान रहा है क्योंकि इन दोनों की अगुआई में नई वाहन नीति बनाई जा रही है। इस नीति में इलेक्ट्रिक कारों को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर एक कैबिनेट नोट तैयार है जिसमें चार्जिंग स्टेशनों पर ध्यान दिया जाएगा। यह नोट आखिरी चरण में है और इसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। सरकार जल्द ही इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर नीति लाएगी। इसे लागू करने में कोई देरी नहीं की जाएगी। गडकरी ने कहा कि नई ऑटो नीति इसलिए जरूरी है क्योंकि सरकार प्रदूषण रोकने के साथ ही पेट्रोलियम उत्पादों का आयात घटाना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2030 तक आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता को 20 फीसद तक कम करने का लक्ष्य रखा है।

गडकरी ने कहा कि जो लोग सरकार का समर्थन कर रहे हैं, वह फायदे में रहेंगे, लेकिन जो लोग बस नोट छापने में लगे हुए हैं, उन्हें परिणाम भुगतना पड़ेगा। बाद में सरकार यह दलील नहीं सुनेगी कि उनके पास पुराना स्टॉक पड़ा हुआ है। कंपनियों को समझ लेना चाहिए कि पेट्रोल-डीजल कारों के दिन लद गए हैं। उन्होंने कार निर्माताओं से रिसर्च करने की अपील की। वह बोले कि अब तो बैटरियों की कीमत भी 40 फीसदी कम हो गई है, इसलिए इलेक्ट्रिक कारों के बारे में भी सोचा जा सकता है।

होंगे कई फायदे 
इलेक्ट्रिक वाहनों से सरकार को प्रदूषण से लड़ने में मदद मिलेगी। भारत के शहरों में प्रदूषण की बड़ी वजह डीजल व पेट्रोल से चलने वाले वाहन हैं। गडकरी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश में सिर्फ वैकल्पिक ईंधन से चलने वाले वाहन हों। इसके लिए उन्होंने इंडस्ट्री के लोगों को ‘कुछ नया सोचने, रिसर्च करने और नई तकनीक पर काम करने’ की सलाह दी। उन्होंने कहा, आज हर आदमी के पास कार है। सड़कों पर कारों की संख्या बढ़ती जा रही है और अगर यही रफ्तार रही तो सड़कों पर एक अतिरिक्त लेन बनाने की जरूरत पड़ जाएगी।

अगर इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा मिलता है तो देश में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। प्रदूषण का स्तर तेजी से गिरेगा।ग्लोबल वार्मिंग और कार्बन डाइऑक्साईड कम होने से सेहत पर असर पड़ेगा। देश में हर साल 12 लाख लोगों की मृत्यू प्रदूषण के कारण होती है। इससे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सीधा असर पड़ेगा। इलेक्ट्रिक कार के आने से रोजगार के अवसर बढ़ेगें। नई इंडस्ट्री पैदा होगी, बैटरी रिसाइकिल व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा। लोगों की जेब पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा। लिथियम बैटरी कम से कम एक बार में तीन से पांच साल तक चलती है। एक दिन में 100 किलोमीटर चलने के लिए 20 से 25 रुपये का ही खर्चा आएगा। हालांकि देश में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कार लाने के लिए सरकार को युद्ध स्तर पर पेट्रोल पंपों की तरह बैटरी चार्जिंग प्वाइंट भी बनाना होगा।

हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कारों के सड़क पर दौड़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर 60,000 करोड़ रुपये के ईंधन की सालाना बचत होगी। सरकार ने हाइब्रिड गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए मोटरबाइक पर 29,000 रुपये और कार पर 1.38 लाख रुपये की छूट देने की बात भी कही है।

अमरावती होगा पहला डीजल-पेट्रोल कार मुक्त शहर 
आंध्र प्रदेश की प्रस्तावित राजधानी अमरावती में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही चलेंगे। बताया जा रहा है कि यूके के मास्टर आर्किटेक्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को यह सलाह दी है। यहां इको फ्रेंडली और प्रदूषण रहित वाहन होंगे। नई राजधानी में 51 प्रतिशत हरियाली, 10 प्रतिशत पानी, 14 प्रतिशत रोड और 25 प्रतिशत इमारत होगी।

टेस्ला ने बदल दी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में पूरी तरह से बदलाव की स्क्रिप्ट टेस्ला कंपनी ने लिखी है। 2003 से लेकर अभी तक बेहद कम समय में टेस्ला ने इस दिशा में बेहतरीन काम कर पूरी दुनिया की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के सामने चुनौती खड़ी कर दी। 2017 के शुरुआती महीने तक कंपनी दो लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें बेच चुकी है। टेस्ला धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों की सबसे बड़ी कंपनी बनने की कगार पर है। कंपनी को 2008 में पहली कामयाबी मिली जब उसने इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स वाहन बनाए। यही नहीं इलेक्ट्रिक वाहनों के इकोसिस्टम को बेहतर बनाने के लिए यूरोप और अमेरिका के कई जगहों पर कंपनी ने सुपरचार्जिंग सेन्टर भी खोले। छोटी-छोटी जगह मसलन रेस्टोरेंट व महत्वपूर्ण रास्तों पर भी चार्जिंग सेंटर खोले गए हैं।