….तो दिल्ली में जुटेंगे जाट

संध्या द्विवेदी। 

‘चुनाव से पहले किये वादे को केंद्र पूरा करेगा या जाट एक बार फिर एक बड़े आंदोलन को अंजाम देंगे, यह सरकार को तय करना है।’ अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने चेतावनी दी है।

यशपाल मलिक ने कहा कि हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के लाखों जाट ट्रैक्टर, ट्राली, पैदल दिल्ली की तरफ कूच करने की तैयारी कर चुके हैं। लाखों की तादाद में 20 मार्च को जाट दिल्ली की तरफ कूच करेंगे या नहीं यह कल यानी 16 मार्च को हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामविलाश शर्मा की अगुवाई में बनी कमेटी के साथ होने वाली बैठक के नतीजों पर निर्भर करेगा। बैठक में राम विलाश शर्मा के साथ दो और मंत्री भी होंगे। हरियाणा सरकार ने जाट आंदोलन की मांग पर विचार करने के लिये तीन मंत्रियों की कमेटी बनाई है।

यशपाल मलिक से जब यह पूछा गया कि यूपी चुनाव के वक्त उन्होंने जाट आरक्षण को बड़ा मुद्दा क्यों नहीं बनाया? तो उनका जवाब था। हमने मुद्दा बनाया था। 8 मार्च को हमने रैली भी की थी। लेकिन वोटिंग के पहले चरण के ठीक तीन दिन पहले अमित शाह ने एक बैठक कर जाट समाज को आश्वासन दिया था कि भाजपा सरकार उनकी सभी मांगे सुनेगी। इसी इरादे को जताते हुए भाजपा ने 16 जाट उम्मीदवारों को भी टिकट दिया था। इसीलिये हमने पहले हरियाणा सरकार से मुलाकात करना तय किया है। इससे यह साफ हो जायेगा कि केंद्र सरकार का वादा चुनावी था या उनका इरादा पक्का था।

जाट समुदाय की पार्टी रालोद के उम्मीदवारों की बुरी तरह हुई शिकस्त के सवाल पर यशपाल मलिक का जवाब था, हम सामाजिक संगठन हैं। जाट समुदाय के हितों के लिये आवाज उठाना अखिल भारतीय जाट संघर्ष समिति का लक्ष्य है। रालोद एक राजनीतिक संगठन है, जिसकी हार या जीत का विश्लेषण करना हमारा काम नहीं है।

एक सवाल के जवाब में यशपाल मलिक ने कहा कि यूपी का जाट समुदाय हमारे साथ है। यूपी चुनाव के वक्त भी यह मुद्दा था। लेकिन लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के मुद्दो में अंतर होता है। विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी होते हैं।

चुनाव के पहले चरण के ठीक तीन दिन पहले अमित शाह द्वारा जाट समुदाय के लोगों के साथ बैठक करना भी कहीं न कहीं एक सकारात्मक कदम की तरह देखा गया।  यूपी में जाट समुदाय का करीब चालीस प्रतिशत वोट भाजपा को मिलने के पीछे इसी भाजपा द्वारा मिले इसी आश्वासन ने अहम भूमिका निभाई। लेकिन अब 20 मार्च को यूपी, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के 8-10 लाख जाट एकजुट होने की तैयारी कर चुके हैं।

हरियाणा के अलग अलग जिलों में 29 जनवरी से क्रमिक धरना-प्रदर्शन चल रहा है। लेकिन इस धरने से आम लोगों की आवाजाही या उनके कामों पर असर नहीं पड़ रहा है। बिना आम लोगों को असुविधा पहुंचाये अभी तक यह आंदोलन चल रहा था। हालांकि 20 मार्च को अगर आंदोलन हुआ तो फिलहाल हमने शांतिपूर्ण ही धरना देने की तैयारी की है। लेकिन सेना या पुलिस के जरिये इस आंदोलन को दबाने की कोशिश की गई तो फिर आंदोलन को उग्र होने से कोई नहीं रोक सकेगा।

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