ओपिनियन पोस्‍ट।

भारत के लिए एक राहत देनेवाली खबर है। अमेरिका ने भारत को रूस से हथियार खरीदने की छूट दे दी है। इसके लिए अमेरिकी संसद ने बुधवार को नया राष्ट्रीय रक्षा विधेयक पास किया, जिसमें कई अहम फैसले किए गए। इस विधेयक के पास होने के साथ ही भारत रूस से हथियार खरीद पाएगा। रक्षा विधेयक के तहत अमेरिका और अमेरिकी रक्षा संबंधों के लिए महत्वपूर्ण साझेदार को राष्ट्रपति एक प्रमाणपत्र जारी कर सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंधों से छूट दे सकता है।

दरअसल,  अमेरिकी संसद ने राष्ट्रीय रक्षा विधेयक, 2019 पारित कर सीएएटीएस कानून के तहत भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगने की आशंका को खत्म करने का रास्ता निकाल लिया है। अमेरिकी कांग्रेस के सीनेट ने 2019 वित्त वर्ष के लिए जॉन एस मैक्केन नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट (एनटीएए) (रक्षा विधेयक) 10 मतों के मुकाबले 87 मतों से पारित कर दिया। अब यह कानून बनने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्ताक्षर के वास्ते व्हाइट हाउस जाएगा।

इस विधेयक में सीएएटीएसए के प्रावधान 231 को समाप्त करने की बात कही गई है। सीएएटीएसए के नए संशोधित प्रावधानों को कानूनी रूप मिलने के बाद भारत के लिए रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदना आसान हो जाएगा। हालांकि, उनका कहना है कि कानून की भाषा बेहद कठोर लग रही है, लेकिन रूस से रक्षा खरीद करने वाले देशों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने वाले प्रावधानों का बेहद नरम कर दिया गया है।

दूसरी तरफ इसी बिल के जरिये अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद में कटौती कर दी है। पहले उसे 75 करोड़ डॉलर (करीब 5 हजार करोड़ रुपये) दिए जाते थे,  लेकिन अब 15 करोड़ डॉलर (करीब 1 हजार करोड़ रुपये) दिए जाएंगे। पाकिस्तान को यह मदद आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दी जाती है।

आतंकियों पर मनमुताबिक कार्रवाई न किए जाने की वजह से अमेरिका उससे खफा है। इसी वजह से यह कटौती की गई। अमेरिका ने बिल के जरिये पाकिस्तान को आर्थिक मदद में कमी जरूर की है,  लेकिन इसकी वजह से अब पाकिस्‍तान उसे हक्कानी नेटवर्क और बाकी आतंकी संगठनों पर की जाने वाली कार्रवाई के सबूत देने के लिए बाध्य नहीं होगा।

भारत को कानून में छूट देने के लिए खुद रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने कांग्रेस को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि भारत अगर रूस से 30 हजार करोड़ रुपये का एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदता है और इस वजह से अगर भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाते हैं तो इससे अमेरिका को ही नुकसान होगा।

पिछले कई महीनों से व्यापार में बढ़ती खटास और टू प्लस टू डायलॉग के न होने के बाद जिस तरह से अमेरिका और भारत के रिश्तों में खटास को देखा जा रहा था, उसे अमेरिकी संसद ने पूरी तरह से निरस्त कर दिया और 716 अरब डॉलर का रक्षा विधेयक पारित किया है। इस विधेयक के पास होने से भारत के साथ देश की रक्षा भागीदारी मजबूत करने की बात कही गई है। ओबामा प्रशासन ने भारत को 2016 में अमेरिका के अहम रक्षा साझेदार का दर्जा दिया था।