नई दिल्‍ली। लंबे समय से लंबित पड़ा वस्तु और सेवाकर संशोधन विधेयक आखिरकार बुधवार को राज्यसभा में 6 संशोधनों के साथ पेश किया गया। इस मौके पर केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इससे बड़ा बदलाव आएगा। यह अब तक का सबसे कड़ा आर्थिक सुधार है क्योंकि इससे पूरे देश में एक समान कर लगेगा। जीएसटी पर ज्यादातर दलों में आम सहमति के बाद ही इसे राज्यसभा में पेश किया है। हमने विवाद निपटारे के लिए राज्यों को ज्यादा अधिकार दिए हैं।

बता दें कि करीब 16 साल पहले 2000  में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नींव रखी थी। तभी से बहुमत न मिल पाने के कारण यह लगातार टलता रहा है। इसके बाद 2009 में दोबारा इसे लागू करने की कोशिशें की गईं,  लेकिन उस समय अधिकतर राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारें थीं, जिसके चलते जीएसटी का विरोध होता रहा। सभी गैर कांग्रेसी सरकारें नुकसान की भरपाई की मांग कर रही थीं। कई वर्षों की खींचतान और कांग्रेस का विरोध खत्म होने के बाद अब जीएसटी बिल की संभावनाएं बढ़ गई हैं। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी इसके पक्ष में सहमति जता दी है। अब ऐसा लगने लगा है कि जीएसटी को वह जलवायु मिल गई है, जिसमें उसके पल्‍लवन और पुष्‍पन में कोई अवरोध नहीं आएगा। यही नहीं, कांग्रेस की केमिस्‍ट्री कुछ ऐसी हो गई है कि नरेंद्र मोदी सरकार और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने एक दूसरे पर आमतौर से बरसते रहने की परंपरा को दरकिनार करते हुए बुधवार को संसद में एक दूसरे की तारीफों के पुल बांधे। राज्यसभा में ऐतिहासिक जीएसटी बिल के लिए संविधान संशोधन बिल पेश करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी को लेकर सहमति पर पहुंचने के लिए कांग्रेस का शुक्रिया अदा किया। जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग लगने वाले सारे टैक्स एक ही टैक्स में शामिल हो जाएंगे। इससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें पूरे देश में लगभग एक हो जाएंगी। मैन्युफैक्चरिंग की लागत घटेगी, जिससे सामान सस्ते हो जाएंगे। इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को होगा।

जीएसटी को दो स्तरों पर लागू किया जाएगा। पहला तो केंद्रीय स्तर पर और दूसरा राज्य स्तर पर। जब वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाला टैक्स जीएसटी लागू हो जाएगा, तो बाजार एकीकृत हो जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अधिकतर अप्रत्यक्ष कर जीएसटी में ही शामिल हो जाएंगे। केंद्र के स्तर पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क,  सेवा कर और अन्य तरह के सीमा शुल्क जीएसटी में शामिल होंगे। वहीं राज्य स्तर पर वैट,  मनोरंजन,  लॉटरी पर लगने वाला टैक्स आदि जीएसटी में शामिल होगा। केंद्र के स्तर पर लगने वाला केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) जीएसटी के आने से खत्म हो जाएगा। साथ ही साथ प्रवेश शुल्क और चुंगी भी खत्म हो जाएगी।

एक बात समझ लेनी होगी कि आखिर जब जीएसटी आम जनता के फायदे की चीज है तो फिर इसे मंजूरी मिलने में इतना समय क्यों लग रहा है और इस पर चर्चा पहले क्यों नहीं शुरू हुई। दरअसल, जीएसटी से भले ही आम जनता को फायदा हो लेकिन जीएसटी के आने से सरकारी खजाने में कमी आने का डर था। राज्यों को राजस्व के नुकसान का डर था। इसमें भी सबसे अधिक विरोध पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए जाने वाले टैक्स को लेकर हो रहा था, क्योंकि राज्यों का 50 फीसदी राजस्व इसी से आता है। इस समस्‍या के समाधान के लिए सरकार ने फैसला किया है कि जीएसटी में शामिल करने के बाद भी केंद्र तीन साल तक इस पर कोई टैक्स वसूली नहीं करेगा। इन तीन वर्षों तक राज्य खुद इस पर टैक्स वसूल कर सकते हैं,  जिससे उन्हें राजस्व की हानि नहीं होगी।

इसके अलावा केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) भी जीएसटी की राह में रोड़ा बना था। सीएसटी राज्यों के बीच होने वाले कारोबार पर लगने वाला टैक्स है। इसके खत्म हो जाने से भी राज्यों को उनके राजस्व में कमी आ जाने का डर था। लेकिन सीएसटी बंद होने से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र ने इस वित्त वर्ष में राज्यों को 11 हजार करोड़ रुपये देने का वादा किया है। एल्कोहल और तंबाकू पर लगने वाले टैक्स की वसूली राज्य ही करेंगे। सीएसटी को लेकर राज्यों का करीब 34 हजार करोड़ रुपये  बकाया था, जिसके चलते राज्य सरकारें नाराज थीं और जीएसटी के इस अहम सुधार का विरोध कर रही थीं। इन विभिन्न मुद्दों पर आपसी सहमति बनने के बाद ही जीएसटी बिल पर चर्चा शुरू हो सकी है। संसदीय कार्यकारी मंत्री अनंत कुमार ने कहा है कि जीएसटी बिल को राज्यसभा में भेजे जाने की मंजूरी मिल चुकी है, जिसे राज्यसभा में भी मंजूरी मिलने की पूरी संभावना है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि जीएसटी से जुड़े मुद्दे सुलझ चुके हैं, लेकिन कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो कुछ खास मुद्दों पर अभी भी सहमति नहीं बन पाई है। कांग्रेस की मांग है कि जीएसटी रेट पर लगने वाली सीमा को बिल में भी दिखाया जाना चाहिए। सरकार ने जीएसटी के लिए काफी बातचीत के बाद ज्यादातर पार्टियों का समर्थन हासिल कर लिया है।

वित्तमंत्री ने कहा, “मैं विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद का शुक्रगुज़ार हूं…” पहले वित्तमंत्री रहे कांग्रेस के पी चिदम्बरम ने अरुण जेटली के ‘दोस्ताना’ भाषण के लिए उनका शुक्रिया अदा किया। दोनों पक्षों के बीच दिख रहा यह सद्भाव कुछ हद तक उस असर का नतीजा है, जो राज्यों द्वारा जीएसटी को समर्थन देने से आया है और सरकार के मुताबिक, जिनकी वजह से आर्थिक विकास में दो फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। बता दें कि राज्यसभा में कुल 243 में से 60 सदस्य कांग्रेस के हैं, जो किसी भी अन्य पार्टी से अधिक हैं  और उनके समर्थन का अर्थ है,  अंतिम समय में किसी भी तरह की बाधा का सामना किए बिना जीएसटी कानून बन जाएगा।