अरविंद शुक्ला
कला, संस्कृति और खेलकूद से सजे तीन दिवसीय गोरखपुर महोत्सव ने न सिर्फ गोरखपुर के लोगों का दिल जीता बल्कि प्रदेश के उन तमाम लोगों के मन में अमिट छाप छोड़ दी जो इस तरह के महोत्सवों को सिर्फ फूहड़ता परोसने वाला करार देते थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह शहर और पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसी शहर में पहली बार आयोजित इस महोत्सव के समापन समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर महोत्सव ने दिखा दिया कि महोत्सव की क्या पहचान होती है। विशुद्ध स्थानीय लोक परंपरा, लोक संस्कृति, लोक कलाकारों और लोक गायन को आगे बढ़ाने के लिए इस तरह के आयोजन आगे भी होते रहने चाहिए। इस महोत्सव में हर वर्ग, हर क्षेत्र के लोगों को जोड़ने का प्रयास हुआ।
इससे पहले बर्फीली हवाओं और कड़ाके की ठंड के बीच संस्कृति विद्यालय के बच्चों द्वारा मंत्रोच्चारण व शंखनाद के साथ 11 जनवरी को गोरखपुर महोत्सव का रंगारंग शुभारंभ गोरखपुर विश्वविद्यालय में हुआ। इस दौरान 25 स्कूलों के बच्चों ने आठ राज्यों की सांस्कृतिक झलक पेश की, वहीं प्रख्यात नृत्यांगना ममता शंकर के डांस ग्रुप ने समारोह में चार चांद लगा दिए। छात्राओं ने ‘एक सुर एक ताल’ कार्यक्रम में एक साथ प्रस्तुति देकर महोत्सव को यादगार बना दिया। इस महोत्सव का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री धर्मराज सिंह ने किया। इस अवसर पर महोत्सव समिति के अध्यक्ष और कमिश्नर अनिल कुमार सिंह, आईजी मोहित अग्रवाल और गोरखपुर के जिलाधिकारी राजीव रौतेला भी मौजूद थे।
अनिल कुमार सिंह ने इस मौके पर कहा कि महोत्सव हमारी सांस्कृतिक धरोहर के संवाहक हैं। इनके माध्यम से जहां लोक संस्कृति के मुताबिक वातावरण बनता है वहीं लोग एक दूसरे के निकट आकर सांस्कृतिक मूल्यों से अवगत होते हैं। पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने महोत्सव की महत्ता और बच्चों के उत्साह को देखते हुए कहा कि भारत की संस्कृति विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। अपनी सभ्यता को सुरक्षित करना हम सभी का दायित्व है। महोत्सव और मेले राष्ट्रीयता, अपनी संस्कृति, सामाजिक दायित्व और सभ्यता को प्रदर्शित करते हैं।
महोत्सव के पहले दिन मशहूर गायक शंकर महादेवन जैसे ही मंच पर आए, उन्हें सुनने के लिए जुटी भीड़ का उत्साह और भी बढ़ गया। अपने चहेते कलाकार का लोगों ने जोरदार इस्तकबाल किया। कार्यक्रम स्थल पर कुछ देर के लिए ठंड भी बेअसर हो गई। शंकर महादेवन ने अपनी सुरीली आवाज से लोगों को 2 घंटे तक खूब थिरकाया। ‘तुझे सब है पता मेरी मां…’ और ‘कल हो न हो…’ जैसे गानों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया तो ‘कजरारे-कजरारे…’ गाने पर लोग पंडाल में झूमने लगे। महोत्सव के दूसरे दिन जानी मानी लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने सोन चिरैया कार्यक्रम के तहत भोजपुरी गानों से विश्वविद्यालय परिसर को संगीतमय बना दिया। उन्होंने सोहर सुनाकर सबका दिल जीत लिया और बिरहा गीत से इसे आगे बढ़ाया। ‘काहे को जाए विदेश हो रसिया… ’ सुनाकर लोगों को भावुक कर दिया। इसके बाद बॉलीवुड अभिनेता रवि किशन ने अपनी प्रस्तुतियों से महोत्सव की शाम को सतरंगी कर दिया। महोत्सव के तीसरे और आखिरी दिन बॉलीवुड की महफिल को भजन गायक अपूप जलोटा, गायक शान, संगीतकार ललित पंडित और भूमि द्विवेदी ने यादगार बना दिया। सर्द रात और बड़े पंडाल के बावजूद लोगों की भीड़ इतनी ज्यादा हो गई कि पैर रखने की जगह नहीं बची। शान ने जब ‘चांद सिफारिश जो करता… ’ गाया तो पूरा विश्वविद्यालय परिषद मस्ती में झूमने को मजबूर हो गया।
गोरखपुर महोत्सव में बॉलीवुड नाइटके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद, प्रदर्शनी और शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम रखे गए। इस दौरान इंटर स्कूल चैम्पियनशिप के तहत 16 प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए गए जिनमें पेंटिंग, चेस, क्यूब्स, स्पेलिंग, लोकगीत, संस्कृत श्लोक, डांस, फैंसी ड्रेस, बैनर डिजाइनिंग आदि शामिल किया गया। महोत्सव के समापन समारोह में स्थानीय कलाकारों ने भोजपुरी लोकधुनों को दुर्लभ वाद्य यंत्रों के माध्यम से प्रस्तुत कर माहौल को नई ऊंचाई प्रदान की। लोक कला के माहिर हरिप्रसाद सिंह के निर्देशन में एक मंच पर नगाड़ा, मृदंग, ढोलक, हुड़का, खजड़ी, उपंग, कसावर, झाल, सारंगी ने लोगों को लोकधुन से सराबोर कर दिया। बीच-बीच में भोजपुरी के फनकारों ने शारदा सिन्हा, मो. खलील, बिरहा गायक हीरालाल, बालेश्वर के गाए गीतों की प्रस्तुति से कार्यक्रम को और भी खास बना दिया। वहीं विमल बावरा ने महोत्सव का थीम सांग पेश कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। लोक कलाकार छेदीलाल ने शानदार फरुआही नृत्य पेश किया। आखिर में स्वरबैंड ने आधुनिक वाद्य यंत्रों पर आधारित कार्यक्रम पेश किया।
मुख्यमंत्री के शहर में इस तरह का आयोजन हो और विपक्ष सवाल न उठाए ऐसा तो संभव ही नहीं था। मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महोत्सव पर सवाल उठाने वालों पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि यह किसी परिवार का नहीं बल्कि जनता और समाज का महोत्सव था। सैफई महोत्सव से कम खर्च में प्रदेश के सभी जिलों में जनसहभागिता के बूते इस तरह के महोत्सव आयोजित किए जाएंगे। अन्य महोत्सव में जहां फूहड़ता का प्रदर्शन, हुल्लड़बाजी, मारपीट और लूटपाट तक होती थी वहीं गोरखपुर महोत्सव में तीन दिन तक धैर्य, मर्यादाओं, पवित्रता के साथ लोगों ने महोत्सव को यादगार और शानदार बना दिया। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि गोरखपुर महोत्सव के साथ कहीं और की फोटो लगाकर महोत्सव पर उंगली उठाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव केवल नाच-गाने का नहीं, प्रतिभाओं को मंच देने का अवसर है। इसमें 50 हजार विद्यार्थियों की सहभागिता रही। पांच हजार विद्यार्थियों ने एक साथ योग किया। जिनको इसमें बुराई नजर आ रही है उन्हें दृष्टि दोष है। जनता समय आने पर ऐसे सभी लोगों को जवाब देगी। महोत्सव में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए मुख्यमंत्री ने 22 विभूतियों को सम्मानित भी किया।
शिल्पकार भी हुए सम्मानित
महोत्सव समिति के अध्यक्ष और कमिश्नर अनिल कुमार सिंह ने समापन समारोह में शिल्पकारों को सम्मानित किया। बेस्ट क्राफ्ट के लिए अंतरराष्ट्रीय परिवार सेवा संस्थान, गोरखपुर (मूज क्राफ्ट) को प्रथम पुरस्कार, द्वितीय पुरस्कार विकास प्राइवेट कंपनी, चौरीचौरा (टेराकोटा) और तृतीय पुरस्कार सहारनपुर के उस्मान (उड-कालीन) को दिया गया। इसी प्रकार बेस्ट डिस्पले के लिए दीन दयाल वेल्फेयर सोसायटी, गोरखपुर को प्रथम (जेम्स एंड ज्वेलरी), द्वितीय पुरस्कार पटाया पंजाब के जगदीश गिरी को (फूलकारी सूट), तृतीय पुरस्कार दिल्ली के दीपक (पेचवर्क्स) को दिया गया। बेस्ट सेल के लिए हरिद्वार के सुरेंद्र पाल (शॉल, सदरी) को प्रथम, झांसी के विजेंद्र कुमार को द्वितीय (हैंडलूम बेडशीट) और तृतीय पुरस्कार रुड़की के सुमित कुमार (शॉल) को दिया गया। इसी प्रकार ट्रेड फेयर में बेस्ट डिस्प्ले के लिए एहसान एग्रो वुड प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड को प्रथम, शिव आयरन वर्क्स को द्वितीय और राज आई हॉस्पिटल को तृतीय पुरस्कार दिया गया। इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों की प्रदर्शनी में कृषि एवं इको टूरिज्म को प्रथम, सूचना विभाग की स्वामी विवेकानंद की प्रदर्शनी को द्वितीय और एनडीआरएफ की प्रदर्शनी को तृतीय पुरस्कार दिया गया।