ओपिनियन पोस्‍ट।

देश के रक्षक कब भक्षक बन जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन सेना की निष्‍पक्षता भी समय समय पर सामने आती है। सैन्‍य अदालत ने फर्जी मुठभेड़ के सिलसिले में मेजर जनरल एके लाल समेत सात सैन्यकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट मार्शल का यह फैसला ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसु) के कार्यकर्ताओं प्रबीन सोनोवाल, प्रदीप दत्ता, देबाजीत बिस्वास, अखिल सोनोवाल और भाबेन मोरन की हत्या के मामले में आया है।

मेजर जनरल लाल को लेह स्थित 3 इन्फैंट्री डिविजन के कमांडर पद से 2007 में तब हटा दिया गया था जब एक महिला अधिकारी ने उनके खिलाफ योग सिखाने के बहाने ‘अनुचित व्यवहार’ और ‘बदसलूकी’ का आरोप लगाया था।

बात 24 साल पुरानी है। असम के तिनसुकिया जिले में फरवरी 1994 में फर्जी मुठभेड़ का मामला सामने आया था। असम सरकार के पूर्व मंत्री और भाजपा नेता जगदीश भुइयां के अनुसार 18 फरवरी, 1994 को सेना ने तिनसुकिया जिले के विभिन्न इलाकों से नौ युवकों को हिरासत में लिया। उन्‍हें एक चाय बगान अधिकारी की हत्या के शक में पकड़ा गया था। ये युवक ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के सदस्य थे। उनमें से पांच को उल्फा उग्रवादी बताकर फर्जी मुठभेड़ में मार डाला गया और चार को कुछ दिन बाद छोड़ दिया गया।

मारे गए युवकों के नाम-प्रबीन सोनोवाल, प्रदीप दत्ता, देबाजीत बिस्वास, अखिल सोनोवाल और थाबेन मोरन थे। भुइयां ने 22 फरवरी, 1994 को गुवाहाटी हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर लापता युवकों को पेश करने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने सेना को पकड़े गए सभी नौ युवकों को पेश करने का आदेश दिया। तब सेना ने पांच युवकों के शव नजदीकी ढोल्ला पुलिस थाने में पेश किया और उन्हें उल्फा उग्रवादी बताकर मुठभेड़ में मारे जाने की बात कही।

विभिन्न स्तरों पर की गई शिकायतों के आधार पर इस साल 16 जुलाई को कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू हुई और 27 जुलाई को वह पूरी हुई। रविवार को सेना ने इस कार्रवाई की पुष्टि की। भाजपा नेता भुइयां ने कोर्ट मार्शल के फैसले पर खुशी जाहिर की है। इसे न्यायिक व्यवस्था, लोकतंत्र,  अनुशासन और सेना की निष्पक्षता की जीत बताया है।

सजा पाने वालों में एक पूर्व मेजर जनरल, 2 कर्नल और 4 अन्य सैनिक शामिल हैं। यह फैसला असम के डिब्रूगढ़ जिले के डिंजन स्थित 2 इन्फैन्ट्री माउंटेन डिविजन में हुए कोर्ट मार्शल में सुनाया गया। हालांकि उच्च स्तर पर (जैसे कोलकाता स्थित ईस्टर्न आर्मी कमांड और नई दिल्ली स्थित आर्मी हेडक्वॉर्टर्स से) इसकी पुष्टि होनी बाकी है। सूत्रों ने बताया कि इसकी आधिकारिक पुष्टि होने में 2 से 3 महीने लग सकते हैं।

सूत्रों ने बताया कि जिन 7 लोगों को दोषी ठहराया गया है, उनमें मेजर जनरल ए. के. लाल, कर्नल थॉमस मैथ्यू, कर्नल आर. एस. सिबिरेन, जूनियर कमिशंड ऑफिसर्स और नॉनकमिशंड ऑफिसर्स दिलीप सिंह, जगदेव सिंह, अलबिंदर सिंह और शिवेंदर सिंह शामिल हैं। दोषी सैन्यकर्मी इस फैसले के खिलाफ आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।

दरअसल, तलप टी एस्टेट के असम फ्रंटियर टी लिमिटेड के जनरल मैनेजर रामेश्वर सिंह की उल्फा उग्रवादियों ने हत्या कर दी थी। इसके बाद सेना ने ढोला आर्मी कैंप में 9 लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें से 5 लोग 23 फरवरी 1994 को कुख्यात डांगरी फेक एनकाउंटर में मार दिए गए।