तीन पाक राजनयिकों को एनआईए ने घोषित किया ‘वांटेड’

अाेपिनियन पाेस्ट ।
ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई पाकिस्तानी राजनयिक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की वांटेड की लिस्ट में शामिल हुआ हो। जी हां, एनआईए ने पाकिस्तान के एक दो नहीं बल्कि तीन राजनयिकों को वांटेड घोषित किया है। इतना ही नहीं जांच एजेंसी ने बकायदा तस्वीर भी जारी की है। राजनयिक का नाम अमीर जुबैर सिद्दीकी है। उसकी तैनाती कोलंबो में पाकिस्तानी उच्चायोग में वीजा परामर्शदाता के रूप में हुई थी। यह राजनयिक उन लोगों की सूची में शामिल है जो दो पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ मिलकर अमेरिकी और इजरायली दूतावास पर 26/11 जैसा हमला करवाना चाहता था।


एजेंसी का कहना है कि श्रीलंका में तैनात चौथा पाकिस्तानी राजनयिक भी इस साजिश में शामिल था। यह कदम उस समय सामने आया है जब जांच एजेंसी इस मामले में इंटरपोल से मदद मांगने की तैयारी कर रही है। वह उन पाकिस्तानी अधिकारियों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस चाहती है जिन्हें कथित तौर पर इस्लामाबाद बुला लिया गया है। फरवरी में एनआईए द्वारा दायर की गई चार्जशीट में जहां सिद्दीकी का नाम शामिल था वहीं तीन अन्य अधिकारियों की पहचान नहीं हो पाई थी। सिद्दीकी के अलावा दोनों पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों को वांटेड सूची में डाला गया है।

एनआईए गत फरवरी माह में ही आमिर जुबैर सिद्द‍ीकी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है, जबकि तीन अन्य अधिकारियों का नाम अभी पता नहीं चल पाया है। दो अन्य पाकिस्तानी अधिकारियों को भी ‘वांटेड लिस्ट’ में शामिल किया गया है, लेकिन दोनों के कोड नेम ‘वीनीथ’ और ‘बॉस उर्फ शाह’ इसमें शामिल किए गए हैं।

एक अधिकारी ने कहा कि यह पहली बार है जब भारत ने किसी पाकिस्तानी राजनयिक को वांटेड सूची में डाला है या उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस चाहता है। एनआईए के अनुसार पाकिस्तानी अधिकारी जो कि साल 2009 से 2016 के बीच कोलोम्बो में तैनात थे उन्होंने चेन्नई और दक्षिण भारत की दूसरी जगहों पर अपने एजेंट्स की मदद से महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर हमला करने की योजना बनाई थी।

सिद्दीकी ने इसके लिए श्रीलंका के नागरिक मुहम्मद साकिर हुसैन और दूसरे लोगों को हायर किया था। इन लोगों में अरुण सेल्वाराज, सिवाबालन और थमीम अंसारी थे। इन सभी को एजेंसी ने गिरफ्तार कर लिया था।

एनआईए का दावा है कि इन्हें हायर करने के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने उनसे रक्षा प्रतिष्ठानों, परमाणु प्रतिष्ठानों और सेना की हरकतों और कुछ स्थानों की तस्वीरें खींचकर देने को कहा था। इतना ही नहीं इन लोगों को सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के लैपटॉप चुराने और नकली भारतीय नोटों को सप्लाई करने के निर्देश दिए थे।

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