आज भी अपने संस्कारों से हमारे बीच हैं अब्दुल कलाम

देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की दूसरी पुण्यतिथि है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी सादगी, महात्वाकांक्षा और युवाओं की प्रेरणा के रूप में जाना जाता है।

एपीजे अब्दुल कलाम सही मायने में भारत की जनता के राष्ट्रपति थे। कोई उन्हें देश को मिसाइल और परमाणु हथियार देकर शक्तिशाली बनाने के लिए याद करता है तो कोई उनका सम्मान इसलिए करता है कि अभिमान उन्हें छू नहीं गया था, राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे सामान्य जन बने रहे तो कोई बच्चों और छात्रों को प्रोत्साहित करने के उनके अथक कामों के लिए याद करता है। उनका जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में 15 अक्टूबर 1931 को एक गरीब मछुआरा परिवार में हुआ था। अवुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम का बचपन बहुत मुश्किलों में बीता। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष कर पढ़ाई की और वैज्ञानिक का करियर चुना। वह ऐसे विशिष्ट वैज्ञानिक थे, जिन्हें 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया था। वह 1999 से 2001 तक सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार थे और 1998 के परमाणु परीक्षणों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

एपीजे अब्दुल कलाम को भारत के मिसाइल कार्यक्रम और परमाणु सत्ता बनने का श्रेय दिया जाता है। मिसाइलमैन के नाम से मशहूर कलाम 25 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति बने। उन्हें 1981 में पद्मभूषण, 1990 में पद्मविभूषण और 1997 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया गया। देश के चोटी के वैज्ञानिक होने और राष्ट्रपति बनने के बावजूद एपीजे अब्दुल कलाम में कभी गरूर नहीं आया। उन्होंने हमेशा एक आम आदमी की जिंदगी जीने की कोशिश की और इसके लिए कई बार राष्ट्रपति के प्रोटोकोल तक की परवाह नहीं की।

83 साल के कलाम आईआईएम शिलांग में विद्यार्थियों को व्याख्यान देते हुए गिर गए थे और बाद में चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

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