अब बेंगलुरु की सड़कों पर अकेले चलने में डर लगता है…

निशा शर्मा।

दिल्ली के बाद बेंगलुरु में महिलाओं के खिलाफ़ अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। यह वो शहर है जो देश ही नहीं दुनिया में भी आईटी हब के नाम से जाना जाता है। जहां देश ही नहीं विदेशों से भी लोग  पढ़ने और काम करने आते हैं। लेकिन आजकल यह शहर महिलाओं के साथ हो रही बदसलूकी का गवाह बन गया है।

नए साल के मौके पर बेंगलुरु में जब पूरा शहर जश्न में डूबा हुआ था तब शहर में कई स्थानों पर महिलाओं और लड़कियों से बड़े पैमाने पर एक साथ छेड़छाड़ की खबरें आईं। जिसके बाद कानून व्यवस्था पर सवाल भी उठे। लेकिन महिलाओं से छेड़छाड़ का सिलसिला थमा नहीं। इस शुक्रवार को शहर में बुर्का पहने एक महिला से छेड़छाड़खानी की खबर है। जानकारी के मुताबिक उत्तरी बेंगलुरु के केजी हाली इलाके में शुक्रवार की सुबह बुर्का पहने एक महिला अकेली जा रही थी जब उस पर हमला हुआ.

ओपिनियन पोस्ट  ने बेंगलुरु में रहने वाले लोगों से बातचीत की और जाना कि महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं के बाद बेंगलुरु को किस नज़र से देखते हैं-

बेंगलुरु के माराथल्ली में रहने वाली निशा जो एक जानी-मानी आईटी कंपनी में कार्यरत हैं कहती हैं कि उन्हें कभी भी बेंगलुरु में डर नहीं लगा। शिफ्ट में नौकरी की वजह से कईं बार देर रात भी वह घर आई हैं लेकिन अब लगातार आ रही खबरें कहीं ना कहीं डर पैदा कर रही हैं।

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रंजना बेंगलुरु के मलेशपालेया में रहती हैं। रजना बैंगलुरु में महिलाओं की सुरक्षा पर कहती हैं कि बेंगलुरु तो क्या कोई भी जगह महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। नए साल की घटना रंजना के लिए पहली ऐसी घटना थी जिसे उसने चौंकाने वाली बताया। साथ ही वह कहती हैं कि इसके पीछे सिर्फ कानून और पुलिस ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि बीमार मानसिकता भी जिम्मेदार है। जैसे भारत में बहुत कम जगह है जहां सेक्स एजुकेशन दी जाती है जबकि यह बहुत जरुरी चीज़ है।

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वेंकैट अनंथरमन बेंगलुरु के ही रहने वाले हैं लेकिन वह बेंगलुरु में होने वाली इन घटनाओं को गंभीर बताते हैं और उन्हें जल्द रोकने की कोशिश की बात करते हैं। वेंकैट का कहना है कि यह एक मानसिकता की देन है जिसमें लड़की को परेशान करने, गाली देने, उसका पीछा करने या उसको प्रताड़ित करने में लड़के खुद की बहादुरी मानते हैं। खराब मानसिकता वाले लड़के यहां तक मानते हैं कि ऐसा करके उन्होंने कुछ बड़ा हासिल कर लिया है।

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वेंकैट बताते हैं कि उत्तरी बेंगलुरु इंडस्ट्रियल एरिया है, वहां के ज्यादातर लोग पढ़े लिखे नहीं हैं। वहां कहा जा सकता है कि अशिक्षा की वजह से महिलाओं के साथ छेड़खानी जैसी घटनाएं हुई। लेकिन नए साल में महिलाओं के साथ हुई छेड़छाड़ एक पॉश इलाके की घटना है। जहां पढ़े- लिखे लोग रहते हैं। देखिए पढ़ाई दो तरह से की जाती है एक पैसा कमाने के लिए दूसरा सबके सम्मान के साथ –साथ बौद्धिक विकास करना। महिलाओं के साथ होने वाली बदसलूकी एक गलत मानसिकता और सख्त कानून का ना होना है। यहां लोगों में एक मानसिकता यह भी है कि लड़की को छेड़ेंगे तो क्या होगा लड़की रोएगी और क्या करेगी। वहीं देख लीजिए जहां गृहमंत्री की मानसिकता महिलाओं के लिए संकीर्ण हो वहां आम जनता से क्या उम्मीद की जा सकती है। यह नहीं होना चाहिए इसके लिए सख्त़ कानून होना चाहिए ताकि लड़कियों से बदसलूकी करने से पहले लड़कों को सोचना पड़े। साथ ही महिलाओं को भी सेल्फ डिफेंस की शिक्षा दी जानी चाहिए।

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मनोरमा सिंह जो एक पत्रकार हैं मानती हैं कि बेंगलुरु में महिलाओं के खिलाफ होने वाली घटनाओं नें कहीं ना कहीं डर तो पैदा किया ही है। नए साल में हुई घटना ने उन्हें डरा दिया है उसके बाद महिलाओं के खिलाफ होने वाली घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। करीब 2 से 3 साल में यहां घटनाओं का ग्राफ बढ़ा है। नए साल में महिलाओं के साथ हुई बदसलूकी के बाद शुक्रवार को फिर महिला के साथ हुई छेड़छाड़ बताती है कि सरकार के कान पर कोई जूं नहीं रेंगी है। सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध नहीं है। सरकार को महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर होना पड़ेगा । महिलाओं को यह भरोसा दिलाना होगा कि वह बेंगलुरु में सुरक्षित हैं। मुझे पत्रकार होने के बावजूद अब उन्ह जगहों पर अकेले जाने में डर महसूस हो रहा है जहां मैं पहले अकेले जाया करती थी।

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