सीमा पर तनाव है। किसी भी वक्त जंग छिड़ सकती है। कम से कम जो खबरें आ रही हैं उनसे तो यही अहसास हो रहा है। इस तनाव में भी यहां के लोगों ने मुस्कुराना नहीं छोड़ा। तनाव में कैसे शांत रहें यह सीखना है तो आप तुरंत सिक्किम आ जाएं। महसूस करेंगे कि कैसे अपने तनाव पर काबू पा सकते हैं। यहां जिंदगी के हर पन्ने पर खुशी की इबारत लिखी है। कमाओ, खाओ और सो जाओ- बस यही फलसफा है इनका। हर किलोमीटर पर बुद्ध की कोई न कोई निशानी मिल जाएगी। नहीं तो सड़क किनारे लगे सफेद झंडे ही आपको शांति का अहसास कराने के लिए काफी हैं।
सोच का यह बुनियादी अंतर है। सिक्किम के लोग सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाने को तैयार खड़े हैं। सब कुछ दांव पर लगाने के लिए तैयार हैं। बस उन्हें इतजार है एक इशारे का। यही अंतर है श्रीनगर और सिक्किम में, जो इस छोटे से प्रदेश की सौंदर्य छटा को और ज्यादा निखार रहा है। देश में सबसे ज्यादा खुश रहने वाला प्रदेश सिक्किम है। सिक्किम के ठीक दाहिने है भूटान, जो विश्व का सबसे ज्यादा खुश देश है। कुदरत ने जो नेमत भूटान को बख्शी है, वही सिक्किम को भी। भूटान से कहीं ज्यादा ही। यहां सब मानते हैं कि मुस्कुराना जरूरी है।
बार्डर के लोग क्या सोच रहे हैं, मैं यही सवाल लेकर जब उनके पास गया तो मुझे कुपुक गांव में वह चीनी मूल की लड़की इरोम मिली। क्या होगा, यदि जंग छिड़ी तो, उसने कहा पता नहीं। देख लेंगे जो होगा?
रेम्पो गांव के निवासियों से जब इस बाबत बातचीत की तो उन्होंने बताया कि हमें अपने देश से बेहद प्यार है। हम सेना के साथ हैं। जान की परवाह नहीं। यह तो एक न एक दिन जानी है। फिर अपने देश के लिए मरना तो सम्मान की बात है। यह बात उसने मुस्कुराते हुए कही। मैं उसके शब्दों पर कम उसके चेहरे पर ज्यादा ध्यान दे रहा था। रत्ती भर भी तनाव उसके चेहरे पर नजर नहीं आ रहा था। वह सच बोल रहा था। यहां लोग आमतौर पर सच ही बोलते हैं। उसने बताया कि अभी भी उनके गांव के तीन छोटे ट्रक ड्राइवर सेना के साथ काम कर रहे हैं। वे हर रोज बार्डर पर चिकन लेकर आते हैं।
मैं सोच रहा था एक श्रीनगर है जहां लोगों की हिफाजत में लगी सेना पर वहां के लोग पत्थर मारते हैं। सेना के साथ लड़ते हैं। और एक यहां के लोग हैं जो सेना के साथ मिल कर देश पर कुर्बान होना चाहते हैं। एक सैनिक जो मात्र सात दिन पहले ही कश्मीर से यहां बदली होकर आया है, उसने बताया कि निश्चित ही यहां उसे अच्छा लग रहा है। श्रीनगर में तो उन्हें हर वक्त डर लगा रहता था कि पता नहीं किस मोड़ पर कौन गद्दार मिल जाए। जबकि यहां तो हर कोई उनका मित्र है। सैनिकों के साथ यहां के निवासी परिवार की तरह रहते हैं। सचमुच ऐसा ही था वहां। सैनिक यहां के लोगों के घर के अंदर तक आ जाते थे। उनके बच्चों के साथ खेलते हैं। यह सिक्किम में ही संभव है। आखिर यूं हीं तो नहीं कहा जाता- मुस्कुराते रहिए, क्योंकि जिंदादिली इसी का नाम है।