सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कर्नाटक के पारंपरिक भैंसा दौड़ खेल ‘कंबाला’ पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि इस मामले में अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी। पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल ( PETA) द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान की। इसमें कंबाला को कानूनी जामा पहनाने के लिए लाए गए प्रिवेंशन ऑफ क्रूअल्टी टू एनिमल्स ( कर्नाटक अमेंडमेंट) ऑर्डिनेंस, 2017 को चुनौती दी गई थी।

कंबाला कमिटी और विभिन्न कन्नड़ संगठनों ने इस खेल पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ कई जगहों पर प्रदर्शन किया था। वहीं ऐनिमल राइट्स ऐक्टिविस्ट यह दावा कर रहे थे कि भैंस मार खाने के डर से खेल में दौड़ते हैं। वहीं आयोजकों का कहना है कि इस खेल में कई बदलाव किए गए हैं, लिहाजा अब इस खेल में कोई हिंसा नहीं है और यह पशुओं के साथ बेहद फ्रेंडली तरीके से आयोजित किया जाने वाला खेल है। आपको बता दें कि कंबाला खेल कर्नाटक के तटीय इलाकों में जमींदारों व लोगों द्वारा खेला जाता है जो आमतौर पर नवंबर में शुरू होकर मार्च तक चलता है। इसमें भैसों की दौड लगाई जाती है।