निशा शर्मा।

रियो ओलंपिक में भारत की बेटियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। किसी के हिस्से पदक आया तो किसी के नहीं लेकिन सभी की मेहनत को लोगों ने खूब सराहा। दीपा कर्मकार जिमनास्टिक्स में शानदार प्रदर्शन किया, उसके बाद साक्षी मलिक और फिर पीवी सिंधू ने कांस्य और रजत पदक अर्जित कर रियो ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन को लेकर उपजे निराशा भरे परिदृश्य को एक झटके में दूर कर दिया।

तीनों खिलाड़ियों का भव्य स्वागत हो रहा है। दीपा  का कहना है कि उन्होंने ऐसे शानदार स्वागत की उम्मीद नहीं की थी क्योंकि उन्हें लगा था कि पदक जीतने की नाकामी शायद उनकी उपलब्धि को कम कर देगी लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं हुआ। ओलिंपिक के वॉल्ट फाइनल में क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय बनकर इतिहास रचने वाली दीपा की एक झलक पाने के लिए पूरा शहर उमड़ा था। दीपा कर्मकार ने फाइनल में कुछ पॉइंट से पदक चूकने के बाद कहा था कि उन्‍होंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, 2020 ओलंपिक में और बेहतर प्रदर्शन करेंगी।

वहीं दूसरी ओर रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाने वाली बैडमिंटन खि‍लाड़ी पीवी सिंधू का हैदराबाद एयरपोर्ट पर सोमवार सुबह शानदार स्वागत किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में उनके फैंस एयरपोर्ट पहुंचे, जबकि डबल डेकर बस में विजय जुलूस भी निकाला गया । सिंधू के साथ उनके कोच पुलेला गोपीचंद भी थे। सिंधु को हैदराबाद एयरपोर्ट करने उनके माता-पिता पहुंचे। हैदराबाद एयरपोर्ट से मुंबई की ट्रांसपोर्ट सेवा बेस्ट की डबल डेकर ओपन बस में सवार होकर सिंधू गची बाउली स्टेडियम के लिए निकलीं। इस बस को फूलों से सजाया गया था।

ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतकर भारत के पदकों का खाता खोलने वाली महिला पहलवान साक्षी मलिक की जीत सभी मायनों में खास है। साक्षी ने देश की झोली में पहला पदक डाला। यही नहीं ओलिंपिक के समापन समारोह में कांस्य पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक भारतीय दल की ध्वजवाहक भी रहीं।

देश की तीनों बेटियों ने देश में उत्साह और उम्मीद की जो लहर पैदा की उसका असर बचाए और बनाए रखा जाना चाहिए। इससे ही देश में दीपा, साक्षी और सिंधू जैसी क्षमता, लगन और जज्बे वाले खिलाड़ी सामने आएंगे। अब ओलंपिक में खिलाडिय़ों का प्रदर्शन देश  की प्रतिष्ठा का पैमाना है। वह समय गुजर चुका जब ओलंपिक में शामिल होना ही पर्याप्त समझा जाता था। यह समय तो कुछ कर दिखाने और अपने कौशल से दुनिया को चमत्कृत करने का है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस कोशिश में कई बार पदक नहीं भी मिलते, जैसे कि जिमनास्ट दीपा करमाकर को नहीं मिला, लेकिन इससे उनकी उपलब्धि कम नहीं हो जाती। साक्षी, सिंधू और साथ ही दीपा की सफलता को केवल इससे नहीं आंका जाना चाहिए कि उन्होंने क्या हासिल किया। यह भी देखा जाना चाहिए।

साक्षी, सिंधू, दीपा के साथ-साथ उनके प्रशिक्षकों का भी लोगों को उत्साह बढ़ाना चाहिए। जिनकी मेहनत से यह खिलाड़ी इस मुकाम को हासिल किया है।