नई दिल्ली। अगले वित्त वर्ष में आम बजट जनवरी महीने में पेश किया जा सकता है। नरेंद्र मोदी सरकार बजट को लेकर चली आ रही ब्रिटिश कालीन परंपरा को खत्म करने की दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है। ऐसा हुआ तो अब तक फरवरी महीने के आखिरी दिनों में पेश होता आ रहा बजट जनवरी में पेश किया जा सकता है। रेल बजट को आम बजट में मिलाने के लिए मंत्रालय की मुहर पहले ही लग चुकी है। वहीं सरकार अब बजट की कॉपी भी छोटी करने के उपायों में लगी है। सरकार योजनागत और गैर योजनागत खर्च को मिलाना चाहती है। वहीं इसे पूंजी और राजस्व परिव्यय से बदलने पर विचार हो रहा है। सरकार का यह भी कहना है कि जीएसटी लागू होने से भी बजट का फॉर्मेट बदलेगा। इससे बजट की कॉपी छोटी हो जाएगी। इससे बजट का पार्ट बी काफी छोटा हो जाएगा। इसमें केवल प्रत्यक्ष कर के बारे में ही लिखा जाएगा।

एक अंग्रेजी दैनिक में छपी खबर के मुताबिक, आम बजट पेश किए जाने के समय को लेकर अंतिम फैसला किया जाना बाकी है। वित्त मंत्रालय में चर्चा है कि आर्थिक नीतियों के अमल में तेजी लाने के लिए यह नया कदम उठाया जा सकता है। अब तक बजट के मुताबिक 31 मार्च को वित्त वर्ष खत्म होने के बाद मंत्रालयों को बजट की रकम आवंटित होने में मई महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है।

मंत्रालय के एक वरिष्‍ठ अधिकारी के मुताबिक, इस मामले में फिलहाल आखिरी फैसला नहीं किया गया है, लेकिन इसे जनवरी महीने के आखिरी दिनों में किया जा सकता है। गणतंत्र दिवस की तैयारियों के साथ ही इसको लेकर भी गतिविधियां तेज की जा सकती हैं। फिलहाल बजट में टैक्स बदलाव और वित्त विधेयकों को संसद मई महीने के दूसरे सप्ताह में बहस करने के बाद पास करती है।

बजट के साथ ही सरकार वित्त वर्ष में कुछ सप्‍ताह के विस्तार के लिए संसद की मंजूरी चाहती है। आर्थिक नीतियों के मद्देनजर सरकार ने अगले वित्त वर्ष में ठोस कदम उठाने के संकेत दिए हैं। सरकार की दलील है कि संविधान में बजट पेश किए जाने की तारीख और वक्त को लेकर कोई ठोस प्रावधान नहीं किए गए हैं। 1999 तक बजट शाम के 5 बजे पेश किए जाते रहे हैं। ब्रिटिशकालीन इस परंपरा को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने बदलकर बजट पेश किए जाने का समय दिन के 11 बजे कर दिया था।

सूत्रोंके अनुसार सरकार का विचार है कि बजट गतिविधियां हर साल 31 मार्च तक समाप्त हो जाना चाहिए। फिलहाल यह दो चरणों में फरवरी से लेकर मई के बीच होता है। संविधान में बजट पेश किए जाने के बारे में कोई विशेष तारीख का उल्‍लेख नहीं है। इसे सामान्य रूप से फरवरी के आखिरी दिन पेश किया जाता है और दो चरण में होने वाली संसदीय प्रक्रिया के तहत यह मई के मध्य तक चला जाता है।