उन्नीस साल पहले राज्य की सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस की हालत लगातार बिगड़ती चली गई. पार्टी हाईकमान ने बहुतेरी कोशिश की, लेकिन मर्ज घटने के बजाय बढ़ता गया. यानी गुटबाजी ने कोई प्रयास सफल नहीं होने दिया. अब राहुल गांधी ने खुद जिम्मेदारी ली है कि वह ओडिशा में कांग्रेस के पक्ष में माहौल तैयार करेंगे और उनका साथ देंगे प्रदेश अध्यक्ष निरंजन पटनायक.
साल 2017 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस को दहला कर रख दिया. इस चुनाव के बाद कांग्रेस ने मुख्य विपक्षी दल का तमगा भी खो दिया. भाजपा ने वोटों और जिला परिषद सीटों की संख्या के नजरिये से कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया. कांग्रेस राज्य की 854 जिला परिषद सीटों में से केवल 60 ही जीत सकी. पिछली बार उसके पास 128 सीटें थीं. जबकि भाजपा की सीटें 36 से बढक़र 298 हो गईं. सत्तारूढ़ बीजद की सीटें भी 654 से घटकर 473 रह गईं. इन नतीजों के बाद कांग्रेस की अंतर्कलह विद्रोह में तब्दील हो गई. विधायकों ने अध्यक्ष प्रसाद हरिचंदन के विरुद्ध जंग का ऐलान कर दिया. उनके लगातार दबाव के चलते पिछले साल प्रसाद हरिचंदन को हटाकर वरिष्ठ नेता निरंजन पटनायक को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. पटनायक के आने के बाद से कार्यकर्ता उत्साहित हैं. वहीं राज्य में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की जिम्मेदारी खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने ली है. पार्टी को पुनस्र्थापित करने के लिए उन्होंने गंभीर प्रयास शुरू कर दिए हैं. फलस्वरूप निर्जीव हो चुकी कांग्रेस की रंगत लौटने लगी है. लेकिन, पार्टी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. राहुल गांधी की यात्रा से पहले दल के कार्यकारी अध्यक्ष एवं झारसुगुड़ा के विधायक नब किशोर दास और सुंदरगढ़ के विधायक जोगेश सिंह ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजद का दामन थाम लिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीकांत जेना एवं चंद्रशेखर साहू भी कांग्रेस से नाता तोड़ चुके हैं.
राहुल गांधी राज्य के दो दौरे कर चुके हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद वह पहली बार 25 जनवरी को भुवनेश्वर आए और फिर छह फरवरी को उन्होंने पश्चिम ओडिशा के भवानी पाटना एवं इस्पात नगरी राउरकेला में जनसभाओं को संबोधित किया. तीनों जगह उमड़ी भीड़ से पार्टी का मनोबल बढ़ा है. हाल में राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ की सत्ता से भाजपा को बेदखल करने के बाद राहुल गांधी आत्मविश्वास से भरे नजर आ रहे हैं. उनके तेवर काफी आक्रामक हैं. अब उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के विरुद्ध भी मोर्चा खोल दिया है. अपनी जनसभाओं में राहुल ने पटनायक पर जिस बेबाकी से हमला किया, उसने स्थानीय राजनीतिक पंडितों को चौंकाया है. पटनायक अभी तक भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी बनाए रखने की नीति पर चल रहे हैं. लेकिन, राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि नवीन पटनायक का रिमोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में है और वह उनके इशारे पर काम कर रहे हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि विकास का उनका वादा हवा- हवाई हो गया है. वह अपने बड़े-बड़े वादे पूरे करने में असफल रहे हैं. राहुल गांधी का भाषण मुख्यत: राफेल मुद्दे पर केंद्रित रहा.
राउरकेला की जनसभा में एक व्यक्ति कागज का हवाई जहाज लेकर आया था, तो उसकी ओर इशारा करके राहुल ने तंज कसते हुए कहा, यह मोदी का राफेल जहाज है. राहुल ने कहा कि कांग्रेस के सत्ता में लौटने पर वह राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ की तरह ओडिशा में भी दस दिनों के अंदर किसानों का कर्ज माफ कर देंगे, धान का खरीद मूल्य 2,600 रुपये प्रति क्विंटल कर देंगे और देश के सभी गरीबों के लिए मिनिमम गारंटीड इनकम की व्यवस्था करेंगे. किसानों को आश्वस्त करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी जमीनें जबरन नहीं ली जाएंगी. अगर कोई लेगा, तो उसे बाजार से चार गुनी अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी. अगर कोई उद्यमी जमीन लेकर पांच साल तक उद्योग नहीं लगाएगा, तो वह जमीन किसानों को वापस कर दी जाएगी. उन्होंने आदिवासियों को आश्वासन दिया कि जल, जंगल, जमीन पर पहला हक उनका होगा और अनुसूचित जिलों में पेसा कानून लागू किया जाएगा. इस्पात नगरी में उन्होंने मोदी की वादा खिलाफी की याद दिलाते हुए पूछा, क्या राउरकेला में ब्राह्मणी नदी पर दूसरा पुल बन गया? क्या आईजीएच में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बन गया? गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी ने अपनी राउरकेला यात्रा (1 अप्रैल, 2015) के दौरान उक्त वादे किए थे. राउरकेला के संकल्प समावेश में राहुल गांधी ने प्रतीकात्मक रूप में तीन लोगों को गारंटी कार्ड प्रदान किया. आदिवासियों के बीच अपनी छवि बनाने के लिए वह राउरकेला में मंच से कुछ दूर पारंपरिक लोकनृत्य करती महिलाओं के साथ लगभग पांच मिनट तक नाचे. राउरकेला में सालों बाद कांग्रेस एक बड़ी जनसभा करने में कामयाब रही, जिसका श्रेय जुझारू आदिवासी नेता जार्ज तिर्की को जाता है. बीरमित्रपुर के निर्दलीय विधायक तिर्की लगभग पांच माह पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं.
दूसरी तरफ बीजद और भाजपा ने राहुल गांधी के आरोप को पूरी तरह खारिज कर दिया. नवीन पटनायक ने अपना रिमोट नरेंद्र मोदी के हाथ में होने की बात को बकवास करार दिया. वहीं भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता एवं केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री सह स्थानीय सांसद जुएल ओराम ने राहुल के आरोप को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि अगर नवीन पटनायक का रिमोट मोदी के हाथ में होता, तो ब्राह्मणी नदी पर दूसरा पुल न जाने कब बन गया होता. बीजद हमारा सबसे बड़ा शत्रु है और उसे सत्ता से बेदखल करना भाजपा का लक्ष्य है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निरंजन पटनायक के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के सभी धड़ों में समन्वय बनाकर चलने की है. आगामी चुनाव में अपना दूसरा स्थान बचाए रखने की चुनौती भी कांग्रेस के सामने होगी. भाजपा अगर दूसरे स्थान पर काबिज हो जाती है, तो कांग्रेस के सामने अस्तित्व का संकट पैदा हो सकता है. समस्या यह है कि सालों से गुटों में बंटी और अंतर्कलह से जूझती कांग्रेस चुनाव से पहले क्या इन सबसे निजात पा सकेगी?