पूरे चीन को कवर करेगी यह मिसाइल

नई दिल्‍ली।

भारत अब पाकिस्‍तान नहीं, चीन को लक्ष्‍य मानकर सामरिक तैयारी में लगा है, क्‍योंकि चीन हमेशा पाकिस्‍तान का पक्ष लेता रहता है। इस स्थिति में पाकिस्‍तान को सबक सिखाने के लिए चीन से भी निपटना होगा। हालांकि चीन के लिए युद्ध घाटे का सौदा है और वह भारत से युद्ध में उलझना भी नहीं चाहेगा, लेकिन उसकी हरकतों का जवाब देने के लिए भारत शिद्दत से तैयारी में लगा है। शायद यही वजह है कि भारत एक ऐसी मिसाइल बना रहा है, जो पूरे चीन को कवर कर सके।

भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद के बीच अमेरिका ने एक रिपोर्ट भी जारी की है, जो चीन की चिंता बढ़ा सकती है। अमेरिका के दो टॉप न्यूक्लियर एक्सपर्ट का कहना है कि भारत लगातार अपने परमाणु शस्त्रागार में आधुनिकता ला रहा है ताकि वह चीन और पाकिस्तान पर नजर रख सके। डिजिटल जरनल ऑफ्टर मिडनाइट में छपे एक आलेख के मुताबिक,  भारत ऐसी मिसाइल बना रहा है जिसकी जद में पूरा चीन होगा। इस मिसाइल का बेस दक्षिण भारत में होगा और चीन को यहीं से निशाना बनाया जा सकेगा।

आर्टिकल “इंडियन न्यूक्लियर फोर्सेज 2017” में न्यूक्लियर एक्सपर्ट हंस एम क्रिस्टेंस और रॉबर्ट एस नॉरिस ने लिखा, “भारत के पास 150-200 परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त प्लूटोनियम मौजूद है, लेकिन वह 120-130 ही बनाएगा।” रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास 600 किलोग्राम प्लूटोनियम मौजूद है, जिसके जरिये 150-200 न्यूक्लियर वॉरहेड्स बनाए जा सकते हैं।

क्रिस्टेंस और नॉरिस ने कहा कि अग्नि-1 मिसाइल का अगला प्रारुप टू-स्टेज, सॉलिड फ्यूल अग्नि-2 मिसाइल 2000 किलोमीटर से ज्यादा दूर तक न्यूक्लियर ले जा सकती है। इसके जरिये पश्चिमी, सेंट्रल और दक्षिणी चीन पर अटैक किया जा सकता है।

वहीं,  भारत की अग्नि-4 मिसाइल उत्तर-पूर्वी भारत से बीजिंग और शंघाई समेत लगभग पूरे चीन पर हमला करने की क्षमता रखती है, लेकिन भारत इससे भी ज्यादा रेंज वाली अग्नि-5 तैयार कर रहा है। अग्नि-5 तीन स्टेज और सॉलिड फ्यूल से चलने वाली इंटरकॉन्टीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) है, जिसकी क्षमता 5000 किलोमीटर से ज्यादा तक न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने की है।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत के पास सात परमाणु सक्षम प्रणाली हैं। इनमें दो विमान,  जमीन से संचालित होने वाली चार बैलेस्टिक मिसाइल और समुद्र से मार करने में सक्षम एक बैलेस्टिक मिसाइल हैं। कम से कम चार और प्रणालियों पर काम चल रहा है। उन्हें तेजी से विकसित किया जा रहा है।

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