नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है, लेकिन अभी तलाक-ए-एहसन और तलाक-ए-हसना की व्यवस्था बरकरार है। सर्वोच्च अदालत की पांच सदस्यीय बेंच में तीन ने इसे असंवैधानिक करार दिया। इस खंडपीठ में चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख), जस्टिस कुरियन जोसफ (क्रिश्चिएन), जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन (पारसी), जस्टिस यूयू ललित (हिंदू) और जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) शामिल थे। इस फैसले पर पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘तीन तलाक पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय ऐतिहासिक है।
Judgment of the Hon’ble SC on Triple Talaq is historic. It grants equality to Muslim women and is a powerful measure for women empowerment.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 22, 2017
पांच सदस्यीय बेंच में से तीन जजों के मुताबिक तुरंत ट्रिपल तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत यानी एक बार में तीन तलाक गैर कानूनी और इस्लाम के खिलाफ है। यह इस्लाम का हिस्सा नहीं है और इसलिए मुस्लिम इस तरीके से तलाक नहीं ले सकते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मुस्लिमों में अब तलाक कैसे होगा? भारतीय मुसलमान दो और तरीकों से तलाक ले सकते हैं- तलाक-ए-एहसन और तलाक-ए-हसना।
तलाक-ए-एहसन- एक बार में एक तलाक बोलने के बाद तीन महीने तक इंतजार किया जाता है। इस दौरान अगर पति और पत्नी दोनों के बीच सुलह हो जाती है तो फिर तलाक नहीं होगा। अगर सुलह नहीं हुई तो तीन महीने के बाद तलाक हो जाएगा।
तलाक-ए-हसना- इसमें पत्नी के मेंस्ट्रुअल साइकल के बाद तलाक बोलने के बाद अगले मेंस्ट्रुअल साइकल के बाद फिर से तलाक बोला जाता है और फिर तीसरे महीने के मेंस्ट्रुअल साइकल के बाद तलाक बोलने के तीन महीने तक लगातार तलाक बोलने के बाद तलाक हो जाएगा।
तीन तलाक पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि वह संभवत: बहुविवाह के मुद्दे पर विचार नहीं करेगी। वह केवल इस विषय पर गौर करेगी कि तीन तलाक मुस्लिमों द्वारा ‘‘लागू किए जाने लायक’’ धर्म के मौलिक अधिकार का हिस्सा है या नहीं।
पीठ ने तीन तलाक की परंपरा को चुनौती देने वाली मुस्लिम महिलाओं की अलग-अलग पांच याचिकाओं सहित सात याचिकाओं पर सुनवाई की थी। याचिकाकर्ताओं का दावा था कि तीन तलाक की परंपरा असंवैधानिक है। केंद्र सरकार भी तीन तलाक के खिलाफ रही है।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से यह कहा गया था कि अगर कोर्ट इस तीन तलाक की व्यवस्था को खत्म कर देगा तो सरकार इसके लिए कोई नई व्यवस्था लाएगी। हालांकि, मुस्लिम संगठनों की ओर से लगातार तीन तलाक के पक्ष में आवाज बुलंद की जाती रही है और इसे जायज ठहराने की दलीलें दी जाती रही हैं।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी फैसले को एक नए युग की शुरूआत बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मुस्लिम महिलाओं के लिए स्वाभिमानपूर्ण एवं समानता के एक नए युग की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की विजय है।