बीजिंग। चीन ने पानी के नीचे चलने वाला वह ड्रोन मंगलवार को अमेरिका को लौटा दिया जो उसने विवादित दक्षिण चीन सागर से जब्त किया था। इस मामले में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के बीच बड़ा विवाद उत्पन्न हो गया था।

चीनी मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि चीनी और अमेरिकी पक्षों में मित्रवत चर्चा के बाद पानी के नीचे चलने वाले अमेरिकी ड्रोन को लौटाने का काम 20 दिसंबर को दोपहर बाद दक्षिण चीन सागर के संबंधित जलक्षेत्र में आसानी से पूरा कर लिया गया। बयान में इस सुपुर्दगी के बारे में ब्योरा नहीं दिया गया।

दक्षिण चीन सागर में एक अमेरिकी सर्वेक्षण वाहन द्वारा परिचालित ड्रोन को चीन की नौसेना के एक पोत ने जब्त कर लिया था। इसने अमेरिकी पोत से आग्रह के बावजूद इसे लौटाने से मना कर दिया था। शुरू में, चीनी सेना ने कहा था कि ड्रोन संबंधी घटना से उचित तरीके से निपटा जाएगा, लेकिन ट्रंप के ट्वीट के बाद कहा कि इसे सफलतापूर्वक सुलझा लिया जाएगा।

चीन पर भड़के थे ट्रंप

ट्रंप ने ट्वीट किया था, चीन ने अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र से अमेरिकी नौसेना के एक अनुसंधान ड्रोन को चुरा लिया है। इसे पानी से निकालकर एक अभूतपूर्व कदम के तहत चीन ले जाया गया है। अगले दिन उन्होंने फिर ट्वीट किया था,  हमें चीन को बता देना चाहिए कि उनके द्वारा चुराया गया ड्रोन हमें वापस नहीं चाहिए़़,  इसे वे ही रख लें।

चीन ने ड्रोन को चुराए जाने के ट्रंप के आरोप को खारिज किया था और कहा था कि इसे इसलिए जब्त किया गया,  ताकि विवादित दक्षिण चीन सागर में स्वतंत्र नौवहन को नुकसान न पहुंचे। बीजिंग का दावा है कि अमेरिका चीनी तट पर जासूसी कर रहा है।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनिंग ने मीडिया से कहा था, सबसे पहले तो बात यह है कि हम चोरी शब्द पसंद नहीं करते। यह सही भी नहीं है। उन्होंने अमेरिका के इन आरोपों को भी खारिज किया कि चीनी नौसेना के पोत ने ड्रोन को नियंत्रित कर रहे अमेरिकी सर्वेक्षण पोत यूएसएनएस बाउडिच से बार-बार संदेश मिलने के बावजूद ड्रोन को उठा लिया और इसे वहां से ले गया।

हुआ ने कहा, असल में क्या हुआ, उसे आप रक्षा मंत्रालय के बयान से देख सकते हैं कि चीनी नौसेना को अज्ञात उपकरण मिला और इसके बारे में पुष्टि के लिए पेशेवर तरीके से इसकी जांच की।