कैश न मिला तो तैश में आएंगे लोग

नई दिल्‍ली। मीठा है खाना आज पहली तारीख है। एक गाने की इस पंक्ति का सीधा संबंध सैलरी से है। महीने की पहली तारीख शुरू होते ही वेतनभोगियों को कैश उपलब्ध कराने के लिहाज से सरकार के लिए अगले 10 दिन चुनौतीपूर्ण होंगे। लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक कैश न मिला तो उनका तैश में आना लाजिमी है।

नोटबंदी के 22वें दिन भी बैंकों और एटीएम में कतारें कम नहीं हुईं। इस संकट को भांपते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल से बात कर अगले 10 दिनों तक बैंकों और एटीएम में कैश उपलब्ध कराने की तैयारी का जायजा लिया।

सूत्रों के मुताबिक, पटेल ने उन्हें आश्वस्त किया है कि अगले एक हफ्ते तक बाजार में कैश की कमी न रहे,  इसके लिए नकद प्रवाह और खुल्ले की भी पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है। वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि अगले 10 दिनों तक बाजार में भरपूर कैश उपलब्ध कराने के लिए रिजर्व बैंक ने पुख्ता तैयारी की है।

रणनीति के तहत पिछले तीन दिनों से आरबीआई ने एटीएम और बैंकों में कैश कम उपलब्ध कराया ताकि वेतनभोगियों को विभिन्न माध्यमों से भुगतान के लिए पर्याप्त रकम दी जा सके। इसके अलावा रिजर्व बैंक नए नोटों के साथ अपने रिजर्व कैश को भी बाजार में लाएगा, ताकि लोगों को परेशानी से निजात मिल सके।

सरकार के सामने मुश्किल यह है कि नोट छपने के बाद भी उसे बाहर आने में 21 दिन लगते हैं। छपाई फैक्टरियां सुरक्षा मानकों की दृष्टि से बाहर नोट भेजने में कम से कम इतना समय लगा देती हैं। आरबीआई और वित्त मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो आरबीआई के पास पर्याप्त नकदी है।

ज्यादातर एटीएम पर 500 रुपये के नोटों की सप्लाई तेज कर दी गई है। जिन शाखाओं में वेतन और पेंशन खाते हैं, वहां कैश सप्लाई 20 से 30 प्रतिशत बढ़ा दी गई है। उधर, लखनऊ में मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने रिजर्व बैंक व कोषागार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर सभी बैंक शाखाओं में कर्मचारियों के लिए अलग से काउंटर खोलने व रिजर्व बैंक को पर्याप्त कैश उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

उत्तराखंड के ज्यादातर बैंक अभी तक छोटे और नए नोटों की किल्लत से जूझ रहे हैं। बैंक सूत्रों के अनुसार तीन दिन पहले ही पीएनबी में पांच करोड़ की करेंसी आई थी। नोटबंदी के बाद यह पहला अवसर है जब लोग अपनी तनख्वाह के पैसे को भारी मात्रा में बैंक से निकालेंगे। लोग अपने जरूरी खर्चों और अन्य सुविधाओं के लिए इस दौरान बैंकों से भारी मात्रा में कैश निकालते हैं। नोटबंदी की वजह से पहले से ही बैंक और एटीएम में कैश की कमी है। ऐसे में सरकार की मुश्किल बढ़ सकती है।

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