सुनील वर्मा
नयी दिल्ली । कभी जनलोकपाल आंदोलन और बाद में आम आदमी पार्टी की संस्थापक टीम का हिस्सा रही जिन हस्तियों ने केजरीवाल की तानाशाही के विरोध में ‘आप’ का साथ छोड़कर स्वराज इंडिया नाम से नयी राजनीतिक पार्टी का गठन किया था उसका जादू दिल्ली में दिखाई देने लगा है । नवगठित स्वराज इंडिया पार्टी पहली बार दिल्ली नगर निगम चुनाव में ठीक उसी तरह के नतीजे सामने लाने में जुटी है जैसे नतीजे कभी आप ने पेश किए थे। ‘आप’ ने भले ही उस आम आदमी से दूरी बना ली हो जिसने उसे आगे बढ़ाया, लेकिन स्वराज इंडिया जिस शैली में काम कर रही है उसे देखकर जरूर लगता है की स्वराज इंडिया नेताओं की नहीं जन साधारण की पार्टी है।
अप्रैल में होने जा रहे नगर निगम चुनाव में स्वराज इंडिया ने तीनों नगर निगम की सभी 272 सीटों पर अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने का फैसला लिया है । स्वराज इंडिया ने अब तक जिस तरह 55 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है वो उसकी रणनीति का इशारा नहीं देता बल्कि इस बात का भी संकेत देता है की दिल्ली के तीनों राजनीतिक दलों बीजेपी, कांग्रेस और आप से आजिज जनता इस चुनाव में स्वराज इंडिया के जरिए नगर निगम की तश्वीर बदल सकती है ।
स्वराज इंडिया ने अब तक 55 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए हैं जिनकी औसत आयु मात्र 39 साल है। उम्मीदवारों में युवाओं और महिलाओं को विशेष तरज़ीह दी गई है। पार्टी ने अब तक कुल मिलाकर 23 महिलाओं की उम्मीदवारी की घोषणा की है। इनमें से 4 सीटें ऐसी भी हैं जो महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं हैं। जिन 55 युवा पुरुष और महिला उम्मीदवारों को अभी तक टिकट दिया गया है उनमें 38 ऐसे हैं जो जनलोकपाल आंदोलन से जुड़े सक्रिय कार्यकर्ता थे।
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव कहते है कि ‘ स्वराज इंडिया का गठन पारंपरिक राजनीतिक तौर तरीकों से अलग हटकर एक नया बदलाव लाने के लिए किया गया है। पार्टी ने अब तक के अपने कार्यों, अभियान और कार्यक्रमों से इसकी पुष्टि की है। साथ ही एक मजबूत उम्मीदवार चयन प्रक्रिया के जरिये साफ़ छवि के उम्मीदवारों को जगह देने की शुरुआत की है, जिसमें युवाओं और महिलाओं का विशेष योगदान होगा।’
योगेंद्र यादव कहते है ‘पार्टी ने उन महिलाओं को टिकट दिया है जिनमें अपने दम पर प्रतिनिधित्व करने का माद्दा है, जिनकी पहचान किसी पुरुष नेता की पत्नी मात्र होने की ही नहीं है बल्कि अपने अपने क्षेत्र की स्वतंत्र कार्यकर्ता होने की भी है।’
योगेंद्र यादव कहते है- ‘दिल्ली को एक सार्थक विकल्प देने के उद्देश्य से स्वराज इंडिया आगामी एमसीडी चुनावों में हिस्सा ले रही है। बीजेपी शाषित नगर निगम को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने वाले पार्षदों के ख़िलाफ़ दिल्ली के आम लोगों में भारी गुस्सा है। जिसका जवाब अगले चुनाव में बीजेपी को मिल जाएगा।’
दरअसल स्वराज इंडिया उम्मीदवारों के चयन लिए बेहद पारदर्शी तरीका अपनाया है । तीनों निगम के लिए तीन अलग स्क्रीनिंग कमिटी का गठन किया है जो उम्मीदवारों पर जांच, पड़ताल, सलाह और विचार करके चयन समिति को नाम भेजती है। चयन समिति नामों की घोषणा करती है। इसके अलावा अंजलि भारद्वाज की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र इंटेग्रिटी कमिटी का भी गठन किया गया है जिसे प्रत्याशियों के ख़िलाफ़ किसी भी तरह की शिकायत पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार है।
योगेंद्र यादव के मुताबिक – ‘स्थानीय निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव सबसे अहम होते हैं, लेकिन यही दुर्भाग्य से इन्हीं चुनावों को सबसे अगंभीरता से और बिना मुद्दों के लड़े जाता हैं। स्वराज इंडिया दिल्ली नगर निगम का चुनाव स्वच्छता, सीवर के पानी, सड़क के कूड़े और सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट के मुद्दे पर लड़ रही है। हर शहर और गांव को साफ और स्वच्छ रखने का एक ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है।
स्वराज इंडिया नगर निगम चुनाव में दिल्ली की राजनीति की दिशा और दशा बदल देगा ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि उसने राजनीति में पारदर्शिता से जुड़े ये पांच फैसले लिए हैं ।
1. इंटीग्रिटी कमेटी करेगी उम्मीदवारों पर नियंत्रण
पार्टी ने इंटीग्रिटी कमेटी बनाई है। इसमें अध्यक्ष अंजलि भारद्वाज हैं। पर्यावरणवादी रवि चौपड़ा, सुप्रीम कोर्ट के वकील पीएस शारदा आदि हैं। ये पार्टी के सदस्य नहीं हैं। पार्टी उम्मीदवार घोषित करेगी। किसी उम्मीदवार के आपराधिक, भ्रष्टाचार, जातिवाद, सांप्रदायिकता से जुड़ी कोई शिकायत आती है तो कमेटी का फैसला अंतिम और बाध्यकारी होगा। यह प्रक्रिया लोकसभा, विधानसभा आदि सभी चुनावों पर लागू होगी।
2. अनारक्षित सीटों पर भी दलितों और महिलाओं को मौका
पार्टी ने अनारक्षित सीटों पर भी दलितों और महिलाओं को मौका देने का फैसला लिया है। युवाओं को अधिक मौका दिया जाएगा। दिल्ली एमसीडी के उम्मीदवारों की औसत आयु 38 साल है।
3. आरटीआई का अधिकार लागू होगा
पार्टी ने खर्च, बैठक, चंदा आदि से लेकर हर तरह की जानकारी के लिए सदस्यों और आम लोगों को सूचना हासिल करने का अधिकार दिया है।
4. हाईकमान खत्म करने का फैसला
पार्टी सबसे निचली इकाई पर टिकी होगी। फैसले इसी अनुसार होगी। फैसले सदस्यों की राय से लिए जाएंगे, न कि पार्टी को बॉस नेता नियंत्रित करेंगे। टिकट प्राइमरीज तय करेंगी।
5. हर सदस्य को देना होगा आय-व्यय ब्योरा
पार्टी के हर सदस्य को अपने आय और व्यय के स्रोत बताने होंगे और ब्योरा देना होगा। पार्टी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होगी और किसी नेता के खिलाफ बोलने पर अनुशासनहीनता की कार्रवाई नहीं होगी। यह व्यवस्था सबसे निचली इकाई से लेकर सबसे ऊपर तक होगी। पार्टी की अपनी एक एंटीक्रप्शन टीम होगी जो यह देखेगी कि कोई सदस्य भ्रष्टाचरण तो नहीं कर रहा।