इस बार भी भाकियू का हाथ अकालियों  के साथ

पंजाब में किसान वोट हमेशा से निर्णायक रहा है। यहां पौने तीन करोड़ की आबादी में करीब डेढ़ करोड़ किसान हैं। भारतीय किसान संगठन से करीब अस्सी हजार किसान जुड़े हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इस संगठन ने अकाली दल का साथ दिया था। इस बार संगठन किसके साथ रहेगा और क्यों रहेगा? इस मुद्दे पर ओपिनियन पोस्ट संवाददाता संध्या दिवे्दी की किसान यूनियन के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लख्खोवाल से हुई बातचीत के अंश।

कर्ज के कारण किसानों की आत्महत्या क्या विधानसभा चुनावों में मुद्दा बनेगा?

हां, बिल्कुल। पंजाब में डेढ़ करोड़ किसान हैं। यहां सत्ता में कौन आएगा, यह किसान ही तय करते हैं। केवल हमारे संगठन से ही अस्सी हजार के करीब किसान जुड़े हैं। हमने पिछले विधानसभा चुनाव में अकाली दल का समर्थन किया था, इस बार भी हम अकालियों के साथ ही रहेंगे।

क्या किसानोंं की दुर्दशा के लिए मौजूदा सरकार जिम्मेदार नहीं। चार जिलों में घूमने के बाद एक बात तो साफ हो गई कि एक एकड़ से कम जमीन वाला किसान भी कर्जे में है?

बिल्कुल सरकार ही जिम्मेदार है। मगर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पूरे देश में शायद पंजाब ही ऐसा राज्य है जहां किसानोंं को मुफ्त बिजली मिलती है। ट्यूबवेल मुफ्त में पानी उगलते हैं। सरकार की नाकामियों पर संगठन सरकार से जरूर चर्चा करेगा। हम चुनाव करीब आने पर न केवल कर्ज माफी का मुद्दा उठाएंगे बल्कि कर्ज का ब्याज कम करने की बात करेंगे। अभी तीन लाख तक का कर्ज चार प्रतिशत की दर से मिलता है। उसके ऊपर तो दस-ग्यारह प्रतिशत तक पहुंच जाता है। हमारी मांग होगी कि ब्याज सबसे ही चार प्रतिशत की दर से लिया जाए। पानी के स्तर का नीचे जाना भी मुद्दा बनाएंगे। इसके समाधान के लिए भी चर्चा होगी। इसके अलावा पंजाब की जमीन दालों की पैदावार के लिए भी ठीक है। हम मांग करेंगे कि दालों के बीज यहां की जमीन के मुताबिक सरकार किसानोंं को मुहैया कराए। गन्ने के खेती को भी प्रोत्साहन दिया जाए। चीनी कुछ महंगी हो ताकि मिल मालिक का फायदा बढ़े और वह किसानोंं से ज्यादा दामों में गन्ना खरीदें।

आपको क्या लगता है कि सरकार इन सब मांगों पर राजी होगी?

बिल्कुल राजी होगी। पहले भी किसानोंं के लिए इस सरकार ने काफी कुछ किया है। इसलिए हमें भरोसा है कि सरकार हमारी समस्याएं समझेगी।

पिछले साल किसानों को सरकार की तरफ से मिले पेस्टीसाइड की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठे थे। सफेद मक्खी के हमले ने सारी कपास की फसल को बर्बाद कर दिया था?

यह बड़ा मुद्दा है। हम भी सरकार से नाराज हैं। और दोषी कंपनी या इस घोटाले में शामिल लोगों को सजा दिलाने की बात भी हम कर रहे हैं। हमें लगता है कि सरकार इस तरफ कदम बढ़ाएगी। हालांकि अभी तक दोषी कंपनी का पता नहीं लग पाया है।

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