खून की होली खेलने वाले गैंगस्टर का मुठभेड़ में अंत

ओपिनियन पोस्‍ट
नागौर। राजस्‍थान पुलिस को कुख्तात अर्न्‍तराजीय गैंगस्टर आनंदपाल सिंह नागौर को मार गिराने में बड़ी सफलता मिली है, पुलिस की मुठभेड़ में आनंदपाल मालासर में एंनटाउंटर में मार गिराया गया । पुलिस के मुताबिक आनंदपाल को जिन्दा पकड़ने की व्यूह रचना राजस्थान पुलिस ने शनिवार की दोपहर ही रच ली थी। इसमें हरियाणा पुलिस का भी अहम सहयोग रहा है। बताया जा रहा है कि हरियाणा से उसके दो गुर्गों को पहले हरियाणा पुलिस ने ​शनिवार दोपहर अरेस्ट किया था। इसके बाद राजस्थान पुलिस से आनंदपाल के चुरू में होने की पुख्ता सूचना मिली कि वह मालासर गांव में हाइवे के पास एक मकान में छिपा हुआ है । यह मकान श्रवण सिंह का बताया जा रहा है। श्रवण सिंह नीचे रहता था जबकि आनंदपाल इस मकान में उपर रहता था।
पुलिस की टीम को आनंदपाल के खिलाफ घेरेबंदी की गई, जिसमें एनकाउंटर के दौरान आनंदपाल की मौत हो गई, इस एनकाउंटर के दौरान आनंदपाल को छह गोलियां लगी थी। एनकाउंटर में दो पुलिस के भी जवान भी घायल हुए हैं, जिन्हें सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्त कराया गया है। एनकाउंटर के दौरान पुलिस ने आनंदपाल के साथी गट्टू और देवेंद्र को पकड़ लिया है। आनंदपाल की मौत की पुष्टि खुद डीजीपी मनोज भट्ट ने की है।
आनंदपाल का जन्म नागौर के लाडनूं तहसील के सांरदा गांव में हुआ था, वह शुरुआत से ही ऐसे शौक रखता था,जिसके लेकर वह चर्चा में आ गया। वह बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर घूमने का शौकीन था। अपने साथ हमेशा आधुनिक और खतरनाक हथियार रखता था, बहुत ही कम समय में उसने अपराध की दुनिया में अपना बड़ा नाम स्थापित किया था। आनंदपाल पर कई लूट, हत्या, डकैती सहित दर्जनों मामले दर्ज हैं।
आनंदपाल दहशत का दूसरा नाम था। उसका खौफ राजस्थान के साथ पड़ोसी राज्य हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश और यूपी में था। खतरनाक हथियारों से वह हमेशा लैस रहता था और उस पर हत्या, डकैती, लूट आदि के दर्जनों मामले दर्ज है। अपराध की दुनिया में आनंदपाल की एंट्री दलबीर गैंग के जरिए हुई थी, जब उसने 1997 में बलबीर बानूडा और राजू ठेहट से दोस्ती की। ये दोनों ही अपराधी शराब के धंथे से जुड़े थे। लेकिन जिस तरह से 2005 में इस गैंग ने एक हत्या की, उसे लेकर दोनों गैंग में दरार पड़ गई। शराब के ठेके पर यह विवाद शुरु हुआ था, जब सेल्समैन विजयपाल की राडू ठेहट से कहासुनी हो गई थी। पुलिस के अनुसार दोनों के बीच कहासुनी कुछ ज्यादा बढ़ गई थी, जिसके चलते राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी।
आनंदपाल ने जिस तरह से 2011 में गोदारा के फोगावट में हत्याकांड की घटना को अंजाम दिया, उसने उसे कुख्यात बना दिया। 2006 में दलबीर गैंग के साथ दुश्मनी के बाद आनंदपाल ने लगातार कई घटनाओं को अंजाम दिया। 2006 में उसने राजस्थान के डीडवाना में जीवनराम गोदारा की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी, सीकर के गोपाल में फोगावट हत्याकांड को अंजाम दिया, 29 जून 2011 को सुजानगढ़ में तीन लोगों पर गोली चला दी। लगातार आपराधिक घटनाओं के चलते वह मोस्टवांटेड की लिस्ट में आ गया।

कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह का शव
कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह का शव

आनंदपाल ने अपने गैंग की शुरुआत महज 10-20 लोगों के साथ की थी, लेकिन उसने इस गैंग को 200 लोगों में तब्दील कर दिया था। इसने बकायदा एक टीम बनाई थी, जब उसकी पूरी टीम तैयार हो गई तो उसने खुद को फागी एसओजी के सामने सरेंडर कर दिया। गैंग मुख्य रूप से नागौर, सीकर, चूरू, जयपुर में अपना कारोबार करता था, यहां ये लोग अमीरों को अपना निशाना बनाते थे। लेकिन समय के साथ इस गैंग में भी दो फाड़ हो गए, एक गुट आनंदपाल के साथ था तो दूसरा गुट राजू ठेहट के साथ। ये दोनों ही जेल के भीतर से अपना कारोबार चलाते थे
पुलिस ने आनंदपाल को 2015 में पकड़ लिया था लेकिन, तीन सितंबर 2015 को पेशी पर ले जाते समय आनंदपाल पुलिसकर्मियों को नशीली मिठाई खिलाकर भाग गया था। उसकी फरारी में पुलिस की भी ​भूमिका को लेकर भी सवाल उठे थे। इसके बाद आनंदपाल की नागौर में वसूली की रकम लेने आए आनंदपाल का पुलिस से सामना हुआ। दोनों तरफ से गोलियां चली और इसमें एक पुलिस कर्मी की मौत हो गई थी। जबकि कई पुलिस कर्मी घायल हो गए थे। आनंदपाल एके 47, ऑटोमैटिक मशीन गन, बम और बुलेट प्रूफ जैकेट इस्तेमाल करता था। उसे बुलेट प्रूफ जैकेट पहन खून की होली खेलने का शौक रहा है और आज भी उसकी यह फितरत में था। आनंदपाल ने बीकानेर जेल में अपने विरोधियों पर खूनी हमला कर गोलियों से छलनी कर दिया था। उसी दौरान विधानसभा में भी यह मामला कई दिनों तक सुर्खियों में रहा था।

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