देश भर में होने वाले कॉमन मेडिकल टेस्ट यानी NEET अध्यादेश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूरी दे दी है। चाइना दौरे से रवाना होने से पहले राष्ट्रपति ने देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाख़िले के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) के दायरे से राज्य बोर्डों को एक वर्ष के लिए बाहर रखने संबंधी अध्यादेश पर दस्तख़त कर दिए हैं। इससे पहले राष्ट्रपति ने इस मामले को लेकर कानूनी मश्वरा किया था। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से पूछा था कि आखिर क्यों सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से सहमति जताने के बाद अब सरकार इस मामले में पलटी मार रही है। लिहाजा राष्ट्रपति को दी सलाह में अटॉर्नी जनरल ने सरकार के अध्यादेश पर अपनी सहमति जताई थी। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब राज्यों के बोर्ड को एक साल तक NEET से छूट मिल गई है और यह एक साल के लिए टल गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इस साल राज्य सरकारों को नीट से बाहर रखा गया है। लेकिन निजी कालेज की सीटें नीट के जरिए ही भरी जाएंगी। उन्होंने कहा कि 24 जुलाई को होने वाले नीट के दूसरे चरण की परीक्षा निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक़ ही होगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि केवल इस साल के लिए छात्रों के पास यह अधिकार होगा कि या तो वे राज्य सरकारों की ओर से आयोजित होने वाली परीक्षा में बैठें या नीट में। नड्डा ने कहा कि शैक्षणिक सत्र 2017-18 के लिए परास्नातक (पीजी) के लिए इस साल दिसंबर में होने वाली प्रवेश परीक्षा नीट ही होगी। सरकार ने इस अध्यादेश के ज़रिए सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को पलट दिया जिसमें देश के सभी सरकारी, डीम्ड यूनिवर्सिटी और निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए एक समान प्रवेश परीक्षा नीट को अनिवार्य कर दिया गया था। नीट परीक्षा का पहला दौर एक मई को हो चुका है जिसमें लगभग 6.5 लाख छात्र बैठे थे। इस परीक्षा की अगली तारीख 24 जुलाई है। लेकिन इस अध्यादेश के जारी होने के बाद राज्य बोर्डों के छात्रों को 24 जुलाई को होने वाली परीक्षा में बैठने की ज़रूरत नहीं होगी।