भारत में मधुमेह कितनी तेजी से फैल रहा है इसका अंदाजा विश्व स्वास्थ्य संगठन की उस रिपोर्ट से लगाई जा सकती है जिसमें कहा गया है कि मधुमेह के रोगियों के मामले में भारत को विश्व की राजधानी माना जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक देश में सात करोड़ से ज्यादा लोग इस रोग से प्रभावित हैं। हालांकि अभी तक 6.2 करोड़ से अधिक मधुमेह रोगियों का पता लगा है। चीन 2.08 करोड़ और अमेरिका 1.77 करोड़ मरीजों की वजह से दूसरे और तीसरे स्थान पर है। उद्योग संगठन एसोचैम की स्वास्थ्य समिति के अनुसार यदि लोगों की वर्तमान जीवनशैली और भोजन की आदतें संतुलित आहार के साथ मिलकर बेहतर नहीं होती हैं तो 2035 तक 12.5 करोड़ भारतीय मधुमेह का शिकार हो सकते हैं।

14 नवंबर को ‘विश्व मधुमेह दिवस’ के अवसर पर एसोचैम द्वारा पेश किए गए एक रिपोर्ट के अनुसार, 2000 में दुनिया में 17.1 करोड़ मधुमेह रोगी थे जो 2030 तक 36.6 करोड़ यानी दोगुनी हो सकते हैं। गतिहीन जीवन शैली, फास्ट फूड और तनाव में अधिक खपत वाले अनियमित खाने की आदतों से मधुमेह होने की आशंका ज्यादा रहती है। बेहतर आहार, शारीरिक गतिविधि और वजन घटाने में परिवर्तन को बढ़ावा देने से इस बीमारी को रोका जा सकता है। लोगों में जागरूकता फैलाने के मकसद से एसोचैम अपने एएसएफसीएसआर (एसोचैम फाउंडेशन फॉर कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत आईटीसी लिमिटेड के सहयोग से दिल्ली और एनसीआर में विभिन्न स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर का लगातार आयोजन कर रहा है। यह क्रम पिछले दो महीने से चल रहा है। इन शिविरों के दौरान मधुमेह के लिए स्क्रीनिंग और परीक्षण की सुविधा, नैदानिक ​​सेवाओं तक पहुंच , डॉक्टर और जीवनशैली परामर्श मधुमेह के लक्षण, प्रसार, निदान, उपचार और रोकथाम से संबंधित परामर्श, परीक्षण नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य लोगों मे डायबिटीज के प्रति जागरुकता फैलाना है। —देबदुलाल पहाड़ी