अनुपम खेर की अगुवाई में इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक ‘मार्च फॉर इंडिया’

नई दिल्ली । देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ के विरोध में सम्मान लौटाने के लिए फिल्म निर्माताओं की आलोचना कर चुके, अभिनेता और भारतीय जनता पार्टी के समर्थक अनुपम ने आज सहिष्णुता पर चर्चा के लिए राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकाला। उन्होंने ‘मार्च फॉर इंडिया’ नामक मार्च की अगुवाई की। खेर ने कहा कि भारत एक ‘सहिष्णु देश’ है और इसे किसी को ‘असहिष्णु’ कहने का हक नहीं है। अनुपम ने कहा, “हर देश में कुछ समस्याएं होती हैं, लेकिन किसी को भी हमारे देश को असहिष्णु कहने का हक नहीं है।” मार्च के बाद सभी ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। इस मार्च में गायक अभिजीत , फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर और अशोक पंडित जैसी लोकिप्रिय हस्ती भी शामिल रहीं।
इससे पहले अनुपम ने ट्वीट किया था कि हम सभी को बोलना होगा। वरना कभी कभी बार-बार दोहराया गया झूठ भी सच जैसा लगने लगता है।’ अभिनेता ने लिखा, ‘कलाकारों, लेखकों, चित्रकारों आदि द्वारा राष्ट्रपति भवन तक सात नवंबर को निकाले जाने वाले अपने मार्च के संबंध में कल आपको विस्तृत जानकारी देंगे। सहिष्णुता पर चर्चा।’ खेर ने अभिनेता शाहरुख खान पर की गई कुछ टिप्पणियों के बाद ‘दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के अपने सह-अभिनेता का बचाव भी किया।
देश में असहिष्णुता पर शाहरुख की टिप्पणी के बाद योगी आदित्यनाथ ने अभिनेता की तुलना पाकिस्तानी आतंकवादी हाफिज सईद से की थी। ट्विटर के माध्यम से 60 वर्षीय खेर ने शाहरुख खान के खिलाफ कुछ भाजपा नेताओं के विवादित बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने ट्वीट किया था , ‘भाजपा के कुछ सदस्यों को वाकई अपनी जुबान काबू में रखने और शाहरुख के बारे में अपशब्दों का उपयोग बंद करने की जरूरत है। वह राष्ट्रीय हस्ती हैं और हमें उनपर गर्व है।’ शाहरुख खान द्वारा ‘असहिष्णुता के वातावरण’ के विरोध में बुद्धिजीवियों का समर्थन करने के दो दिन बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अभिनेता को पाकिस्तान चले जाना चाहिए।
भाजपा नेता कैलाश विजवर्गीय द्वारा शाहरुख के खिलाफ कई ट्वीट किए जाने के बाद विवाद शुरू हुआ जिनमें नेता ने अभिनेता को ‘राष्ट्र विरोधी’ बताया और कहा था कि अभिनेता रहते भले ही भारत में हैं, लेकिन उनकी ‘आत्मा’ पाकिस्तान में है।
मार्च के दौरान मीडिया से बदसलूकी
राष्ट्रीय संग्रहालय से राष्ट्रपति भवन तक आयोजित ‘मार्च फॉर इंडिया’ रैली में उस समय विचित्र हालात बन गए जब कुछ लोग मीडिया के खिलाफ नारे लगाने लगे और उन्होंने पत्रकारों से धक्का-मुक्की की।
एक जानेमाने चैनल के संवाददाता से कहा, ‘‘कुछ लोग चिल्ला रहे थे और मीडिया को पक्षपाती कह रहे थे। उन्होंने कहा कि हम पक्षपातपूर्ण पत्रकारिता करते हैं। उन्होंने हमारे साथ धक्का मुक्की की।’’

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