बिहार की सियासत में इन दिनों मिट्टी और जमीन को लेकर लालू-राबड़ी और उनके मंत्री पुत्र भाजपा के निशाने पर हैं। तेजप्रताप पर पहले कथित रूप से संजय गांधी जैविक उद्यान को नियमों की अवहेलना कर मिट्टी देने का आरोप लगा। उसके बाद उन पर राजधानी पटना में एक निर्माणाधीन मॉल की जमीन को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। इसी मुद्दे पर संयुक्त प्रेस वार्ता में ओपिनियन पोस्ट के संवाददाता अभिषेक रंजन सिंह  के कुछ चुनिंदा सवालों का जवाब दे रहे हैं, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी 

तेजप्रताप पर पहले आपने मिट्टी घोटाले का आरोप लगाया और अब उनके ऊपर एक भूखंड की मिल्कियत का आरोप लगा रहे हैं, पूरा मामला क्या है?

आज लालू प्रसाद यादव ने खुद स्वीकार किया कि वह 500 करोड़ रुपये के मालिक हो गए हैं। वह हमेशा कहते थे कि वह एक चपरासी के बेटे हैं। लेकिन पच्चीस वर्षों में एक साधारण आदमी 500 करोड़ का मालिक कैसे बन गया। मात्र चार लाख रुपये लगाकर लालू प्रसाद और उनका परिवार करोड़ों का मालिक बन जाता है। यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है। यह ‘रेक टू रिचेस्ट’ की स्टोरी है। मेरा तो मानना है कि लालू प्रसाद पर फिल्म बननी चाहिए, ताकि लोगों को पता चले कि कम पैसे और समय में कैसे करोड़पति बना जा सकता है। अब यह सिर्फ मिट्टी का मामला नहीं है, बल्कि इस जमीन घोटाले के बाद मिट्टी का मुद्दा गौण हो गया है। उक्त दो एकड़ जमीन की कीमत दो करोड़ है, जबकि मॉल की कीमत 550 करोड़ रुपये है।

निर्माणाधीन मॉल की जमीन का क्या मुद्दा है और लालू परिवार इस कथित घोटाले में कैसे शामिल है?
यह जमीन डिलाइट मार्केटिंग की थी, जिसके मालिक कारोबारी हर्ष कोचर थे। बिहार में पंद्रह वर्षों तक इस कंपनी ने कोई कारोबार नहीं किया, बल्कि लालू प्रसाद के फायदे के लिए इसने काम किया। लालू प्रसाद ने फरवरी 2005 में उनसे यह जमीन खरीदी। रेलमंत्री बनने के बाद हर्ष कोचर की कंपनी को रेलवे की ओर से उन्हें दो होटल दिए गए। सुनियोजित तरीके से डिलाइट कंपनी को निष्क्रिय कर लारा नामक कंपनी बनी। 5 अगस्त 2016 को रागिनी इस कंपनी की एडिशनल डायरेक्टर बनीं। फिर अगले महीने यानी 30 सितंबर 2016 को वह लारा की डायरेक्टर बन गर्इं। उसी तरह चंदा को 26 जून 2014 को कंपनी की एडशिनल डायरेक्टर बनीं और 29 सितंबर 2014 को उन्हें कंपनी का निदेशक बना दिया गया। इस कंपनी का शेयर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके दोनों बेटे तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव के नाम पर है। अगर जमीन की खरीद में अनियमितता नहीं बरती गई है, तो लालू प्रसाद के बेटों ने अपने किसी घोषणा पत्र में इसका जिक्र क्यों नहीं किया। जहां पर यह मॉल बन रहा है, वह जमीन पांच लाख स्क्वायर फीट में है। भविष्य में यह बिहार के सबसे बड़े मॉल में शुमार होगा।

लेकिन लालू प्रसाद यादव ने आपके आरोप को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने वैध तरीके से यह जमीन खरीदी। क्या उनका कहना सही है?

पांच दिन बाद ही सही आखिरकार लालू प्रसाद ने यह तो स्वीकार किया कि उक्त जमीन उनकी है। उन्होंने डिलाइट कंपनी का इस्तेमाल अपनी बेनामी संपत्ति को वैधता प्रदान करने के लिए किया। लालू प्रसाद की दलील है कि उन्होंने अपनी बेनामी संपत्ति को वैध तरीके से खरीदा। यह अपने आप में विरोधाभास है। अगर उनका दावा इतना ही सही था, तो उनके पुत्रों ने अपने चुनावी हलफनामे में उक्त जमीन और अपनी कंपनी लारा का कोई जिक्र क्यों नहीं किया। दरअसल, यह दो एकड़ जमीन लालू प्रसाद ने हर्ष कोचर से 90 लाख रुपये में खरीदी। डिलाइट कंपनी तो लालू के बेटों को फायदा पहुंचाने का एक जरिया थी। जब प्रेम गुप्ता जैसे लोग लालू प्रसाद के सलाहकार हों, तो किसी दुश्मन की जरूरत नहीं रह जाती है। यह मामला प्रवर्तन निदेशालय और इनकम टैक्स का भी है। इन विभागों को भी इसकी जांच करनी चाहिए।

लालू प्रसाद यादव ने आपके आरोपों को नकारते हुए आप पर मानहानि का मुकदमा दायर करने की बात कह रहे हैं?
करीब एक हफ्ते पहले मैंने ठोस साक्ष्य और सबूत के उनके परिवार पर मिट्टी एवं भूमि घोटाले संबंधी आरोप लगाए। लेकिन पांच दिनों बाद उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी। वह लाख चाहे जो कहें, लेकिन वह मुकदमा नहीं करेंगे। क्योंकि उन्हें पता है कि अदालत में उनका केस खारिज हो जाएगा। लालू प्रसाद अपनी बेनामी संपत्तियों के खुलासे स्वयं करें, वरना आने वाले दिनों में हम उनकी बेनामी संपत्तियों का खुलासा करेंगे। ऐसे कई भूखंड हैं, जिनमें अनियमितता बरतते हुए उन्हें फायदा पहुंचाया गया है। लालू प्रसाद के कारनामों की वजह से देश और दुनिया में बिहार की छवि खराब है।

लालू प्रसाद तो आपके ऊपर घोटालों के आरोप लगा रहे हैं, उनका दावा कितना सही है?
सिर्फ कहने मात्र से कोई भ्रष्ट नहीं हो जाता, बल्कि इस संबंध में साक्ष्य और सबूत भी पेश किए जाते हैं। मैंने उन पर जो आरोप लगाए हैं, वह दस्तावेज के आधार पर लगाए हैं। अगर उनके पास मेरे खिलाफ कोई प्रमाण है, तो उसे पेश करें और अपने आरोपों को सिद्ध करें। लालू प्रसाद ने यह भी कहा कि सूबे की एनडीए सरकार में बिहार में सूई का एक कारखाना तक नहीं लगा। उन्हें तो यह सवाल नीतीश कुमार से पूछना चाहिए, क्योंकि उस समय तो मुख्यमंत्री वही थे।

इस कथित घोटाले के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आपकी क्या अपेक्षा है?
आपको याद होगा कि केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समर्थन किया था। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेनामी संपत्ति रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। अगर वह वाकई बेनामी संपत्ति के खिलाफ हैं और नैतिकता की बात करते हैं, तो उन्हें अपने दोनों मंत्रियों को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए। इससे राज्य की जनता में एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा।

क्या इस घोटाले के खिलाफ आपकी पार्टी राज्य में कोई मुहिम भी चलाएगी?
निश्चित रूप से यह भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला है। राज्य की जनता को इसकी जानकारी होनी चाहिए। सरकार से हम इस बाबत एक ठोस कार्रवाई चाहते हैं। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर हमारी पार्टी इस मुद्दे से जन-जन को अवगत कराएगी।