सुनील वर्मा

दक्षिण भारत के प्राकृतिक हरियाली और समुद्र तटीय राज्‍य केरल को उसकी बेमिसाल खूबसूरती लिए जाना जाता है। लेकिन पिछले अब इस खूबसूरत राज्य को मानों नफरत और कट्टरता की नजर लग चुकी है। अब यहां बड़े पैमाने पर गैर मुस्लिम इस्‍लाम धर्म कबूल कर रहे हैं। गैर मुस्लिम लड़कियां धर्मांतरण कर मुस्लिम नौजवानों से निकाह कर रही हैं। मदरसों में इस्‍लामिक तालीम के नाम पर कट्टरता का पाठ पढाया जा रहा है। सूबे के मुस्लिम नौजवान अपनी पहचान छिपाकर सीरिया और यमन जा रहे हैं और इस्‍लामिक आतंकवादी संगठन आईएस के जेहाद का हिस्‍सा बन रहे हैं। इसी सूबे के पढ़े लिखे नौजवान अपने ही देश में जेहादी ताकतों को खाद पानी दे रहे हैं।

इन तमाम कारगुजारियों के पीछे जो एक नाम गूंज रहा है वो है पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया यानी पीएफआई का। दलितों और कमजोरों के हक की लड़ाई के लिए 2006 में बने इस संगठन पर आज कई तरह के गंभीर आरोप लग रहे हैं। ये हम नहीं कह रहे बल्कि राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई एक जांच रिपोर्ट कह रही है।

सवालों के घेरे में पीएफआई
सवाल है कि लव जिहाद के मामले से पीएफआई का क्‍या लेना देना, उस पर सवाल क्‍यों उठ रहे हैं ? एनआईए की टीम पीएफआई के पदाधिकारियों से पूछताछ क्‍यों कर रही है? दरअसल, इन दोनों ही मामलों में पीएफआई के संगठनात्‍मक रूप से शामिल होने के साक्ष्‍य मिलते हैं। एनआईए की जांच से जुड़े एक वरिष्‍ठ अधिकारी कहते हैं-‘अखिला व अथीरा नाम की जिन दोनों लड़कियों के धर्मांतरण और अंतरधर्मीय विवाह का मामला है, उसमें दोनों लड़कियों को साईनाबा नाम की जिस मेंटर ने इस्‍लाम धर्म कबूल करने के लिए बहलाया-फुसलाया, उसके कट्टरवादी संगठन ग्रुप पीएफआई से रिश्ते हैं। वह पीएफआई की महिला फ्रंट की राष्‍ट्रीय अध्यक्ष है। पीएफआई के अलावा वह इस संगठन की राजनीतिक विंग एसडीपीआई और सोशल विंग सत्यथारिणी और एक अन्‍य मुस्लिम संगठन माकार्जुल हिदाया से भी जुड़ी हैं। एनआईए ने अखिला व अथीरा नांबियार मामले में कई चीजें एक समान पाई हैं।’ एनआईए की रिपोर्ट में बताया गया है कि केरल स्थित पीएफआई, एसडीपीआई और सत्यथारिणी ने मिलकर इस काम को अंजाम दिया।

पीएफआई का वजूद
आरएसएस को धुर विरोधी मानने वाले पीएफआई संगठन का अपना कॉडर है, अपना झंडा और अपना लिबास भी। पीएफआई की कट्टरता और नकारात्‍मक मौजूदगी का अहसास जुलाई 2010 में उस वक्‍त लगा था जब कोट्टायम जिले में एक कॉलेज के प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर इस संगठन से जुड़े लोगों ने हमला कर उनका हाथ काट दिया था। क्‍योंकि प्रोफेसर पर आरोप था इम्तिहान में सवाल के जरिये उन्‍होंने पैगंबर साहब की शान में गुस्ताखी की है।

खुफिया ब्‍यूरो में कार्यरत एक अधिकारी के मुताबिक-‘2006 में जब पीएफआई का वजूद सामने आया तो इसका मकसद दलितों और अल्पसंख्यकों की आवाज बनना था। बाद के दिनों में जैसे-जैसे खाड़ी देशों से पैसे की आमदरफ्त बढ़ी तो पीएफआई के मकसद बदलने लगे। पीएफआई ने संघ परिवार को अपना दुश्मन मान लिया। एक साजिश के तहत वह गैर मुस्लिम समाज के गरीब लोगों का इस्‍लाम धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करने के मिशन में जुट गया। ताकि अपनी कौम का विस्‍तार हो सके। इसके लिए लालच से लेकर लोगों का ब्रेनवॉश करने के हथकंडे अपनाये जाने लगे। हाल के दिनों में इस तरह के मामले तेजी से बढ़े हैं और इन पर विवाद के कारण पीएफआई सवालों के घेरे में आया है।’

लगाम लगाने की कवायद
मामले की गंभीरता को इस नजरिये से भी देखा जाना चाहिए कि चौतरफा उठ रही आवाजों के बीच केंद्र सरकार पीएफआई के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर मंथन कर रही है। हाल के महीनों में इसी सिलसिले में गृह मंत्रालय में कई बैठकें हुई हैं, जिनमें इस संगठन के लोगों के खिलाफ चल रहे मामलों पर चर्चा की गई। क्‍योंकि संगठन का विस्‍तार और प्रभाव केरल से बाहर तमिलनाडु और कर्नाटक समेत कई राज्यों में दिख रहा है और तमाम जगहों पर धार्मिक कट्टरता से लेकर राजनीतिक हत्‍याओं में इसकी भूमिका सामने आ रही है। पीएफआई की मुसीबतें इस बात से भी बढ़ गई हैं कि इसी विवाद के बीच एक न्‍यूज चैनल ने स्टिंग कर खुलासा किया है कि पीएफआई भारत को इस्‍लामिक राष्‍ट्र बनाने, खाड़ी देशों से हवाला के जरिये धन मंगाने, साम्‍प्रदायिक तनाव पैदा करने, गैर मुस्‍िलमों को प्रलोभन देकर इस्‍लाम धर्म में कनवर्जन कराने और हिंदू युवतियों का ब्रेनवाश कर मुस्लिम नौजवानों से उनकी शादियां कराने के मिशन पर काम कर रहा है।
हालांकि पीएफआई ने एक बयान जारी कर इस स्टिंग को सरकारी एजेंसियों की साजिश बताया है, लेकिन एनआईए के प्रवक्‍ता और महानिरीक्षक आलोक मित्‍तल कहते हैं-‘पीएफआई पर लगे आरोप नए नहीं हैं क्‍योंकि यह संगठन काफी पहले से कई गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल है। संगठन से जुड़े लोगों का संबंध जिहादी आतंकियों से होने के कई साक्ष्‍य जांच एजेंसी ने हासिल किए हैं। संगठन पर इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने का भी आरोप है।’

एनआईए ने गृहमंत्रालय को पहले भी एक जांच रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें पीएफआई को राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया था। एनआईए प्रवक्‍ता का कहना है-‘पीएफआई में ज्‍यादातर शीर्ष पदाधिकारी वही लोग हैं जो 2001 में प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़े हुए थे। 1982 से 1993 तक सिमी के जनरल सेक्रेटरी रहे ईएम अब्‍दुराहिमन संगठन के शुरुआती चेयरमैन रहे। पीएफआई की राजनीतिक विंग सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इंडिया (एसडीपीआई) के केरल अध्‍यक्ष ई अबुबकर भी 1982 से 1984 तक केरल में सिमी के प्रदेश अध्‍यक्ष रहे हैं।’

ओपिनियन पोस्‍ट ने पीएफआई के नेशनल जनरल सेक्रेटरी मोहम्‍मद अली जिन्‍ना से दिल्‍ली प्रेस क्‍लब में एक समारोह के दौरान संगठन पर कट्टरवाद को लेकर लग रहे सवालों की बाबत बात की तो उन्‍होंने सभी आरोपों को झूठा बताते हुए इसे केंद्र सरकार की साजिश बताया।
वैसे पीएफआई की कारगुजारियों को लेकर गृह मंत्रालय इन दिनों उसकी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहा है। आंतरिक सुरक्षा से जुड़े संयुक्‍त निदेशक स्‍तर के एक अधिकारी के मुताबिक-‘पीएफआई 6 आतंकी घटनाओं में भी शामिल रहा है। इसके अलावा जबरन धर्मांतरण और लव जिहाद में भी पीएफआई का बड़ा रोल है। पीएफआई के प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी से भी संबंध होने के कई प्रमाण हैं। इसके अलावा कुन्नूर में ट्रेनिंग कैंप चलाने, हिन्‍दू धार्मिक संगठन के नेताओं की हत्या से जुड़े होने की फाइलें मंत्रालय के पास हैं। इसकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के पर्याप्त साक्ष्‍य सरकार के पास हैं।’

नया विवाद
केरल लव जिहाद मामले में अब तक तीन अर्जियां सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी हैं। इन सभी अखिला मामले की सुनवाई हो चुकी है जिस पर 27 नवंबर को इस पर फैसला होगा। सुप्रीम कोर्ट के तीन वकीलों ने एक अर्जी दायर कर धर्म परिवर्तन मामलों की जांच एनआईए से कराने की अर्जी दी थी। अब सबसे ताजा अर्जी केरल की रहने वाली अर्जी बिंदू संपत नाम की महिला ने 30 अक्‍टूबर को दाखिल की है जिसमें कहा गया है कि उनकी बेटी निमिषा ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर मुस्लिम युवक से शादी की थी और 2016 से वह गायब है। बिंदू संपत ने ओपिनियन पोस्‍ट से बातचीत में आरोप लगाया-‘मेरी बेटी लव जिहाद की शिकार हुई है। उसे प्रेमजाल में फंसाया गया है, उसका उत्पीड़न हुआ, उसे गर्भपात के लिए मजबूर किया गया, सज्जाद रहमान नाम के शख्स ने उसका ब्रेनवॉश करके धर्म परिवर्तन कराया और फिर निकाह के बाद अफगानिस्तान के खोरासान प्रांत में किसी आईएस कैंप में ले जाकर रख दिया है।’

बिन्‍दू संपत का आरोप है कि उनकी बेटी को धर्म परिवर्तन कराने में ईसा उर्फ बैक्सन नाम की एक लड़की ने मजबूर किया, जो खुद पीएफआई की सहयोगी संस्‍था सत्‍याथारिणी से जुड़ी है। सुप्रीम कोर्ट में बिंदू संपत की तरफ से बंदी प्रत्‍यक्षीकरण याचिका दाखिल करने वाली वकील ऐश्वर्या भाटी कहती हैं- ‘एक देशभक्त हिन्‍दू परिवार की लड़की निमिषा जिसका भाई सेना में अफसर और वह खुद डेंटल कॉलेज में पढ़ती थी। उसके साथ अगर ऐसा हुआ है तो जाहिर है कि वो कट्टरपंथी इस्लामी साजिश का शिकार हुई है। ऐश्‍वर्या कहती है-‘केरल में जो कुछ हो रहा है सब आर्गनाइज तरीके से हो रहा है।’

अकेले केरल में लव जिहाद के 94 मामले
केरल सरकार भले ही लव जिहाद के मामलों को लेकर एनआईए जांच का पहले विरोध करती रही हो लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मिलने पर केरल पुलिस ने ऐसे 94 मामलों की लिस्ट तैयार कर एनआईए को सौंपी जिनमें महिलाओं का धर्म परिवर्तन कराया गया है। जांच एजेंसी को सौंपे जाने वाले इन मामलों में रिलेशनशिप्स और विवाह के 23 मामले भी शामिल हैं।
एनआईए प्रवक्‍ता के मुताबिक जांच एजेंसी इन सभी मामलों की तह में जाने के लिए गहराई से जांच में जुटी है। शक है कि धर्म परिवर्तन कराकर निकाह कराने वाली हिंदू लड़कियों की संख्या काफी ज्‍यादा हो सकती है। जांच से जुड़े एक अन्‍य एनआईए अधिकारी के मुताबिक- ‘फिलहाल इन सभी मामलों की पुष्टि की जा रही है। जिन लड़कियों का धर्मांतरण कर विवाह कराया गया है, वे सभी गरीब परिवारों से हैं और दबाय या लालच के कारण चुप्पी साधे हुए है।’