चेन्नई। जयललिता की जीवनी ‘अम्मा जर्नी फ्राम मूवी स्टार टू पॉलिटिकल क्वीन’ में लेखिका वासंती ने एक घटना का विस्तार से जिक्र करते इस ओर इशारा किया है कि आखिर कौन सी एक घटना जयललिता के लिए राजनीतिक उत्थान का सबब बनी और इसके चलते वह एक मजबूत नेता बनकर उभरीं और तमिलनाडु में ‘अम्मा’ के नाम से मशहूर हुईं।
इस वाकये के मुताबिक 25 अगस्त 1989 के दिन जब मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने जब तमिलनाडु विधानसभा का बजट पेश करना शुरू ही किया था तभी विपक्ष की नेता जयललिता ने सदन में शिकायत करते हुए कहा कि सत्ता पक्ष के इशारे पर पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है। उनके फोन को टैप किया जा रहा है। कांग्रेस के सदस्यों ने उनका समर्थन किया और बहस की मांग की। स्पीकर ने बजट पेश किए जाने का हवाला देते हुए कहा कि इसके चलते बहस की अनुमति नहीं दी जा सकती।
इससे जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने सदन में शोरशराबा शुरू कर दिया और वेल तक पहुंच गए। इसके एक सदस्य ने करुणानिधि को धक्का देने की कोशिश की, जिससे उनका संतुलन बिगड़ गया और उनका चश्मा जमीन पर गिरकर टूट गया। अन्नाद्रमुक के एक सदस्य ने बजट के पन्नों को फाड़ दिया।
बढ़ते हंगामे के बीच स्पीकर ने सदन को स्थगित कर दिया। जयललिता भी सदन से निकलने लगीं तभी सत्ताधारी डीएमके के एक सदस्य ने उन्हें रोकने की कोशिश की। उसने उनकी साड़ी इस तरह से खींची कि उनका पल्लू गिर गया। जयललिता भी जमीन पर गिर गईं।
इस घटनाक्रम के बीच अन्नाद्रमुक के एक सदस्य जयललिता की मदद के लिए लपके। डीएमके सदस्य की कलाई पर जोर से वार कर जयललिता को उनके चंगुल से छुड़वाया। इस अपमान से आहत हुई जयललिता ने पांचाली की तरह प्रतिज्ञा ली कि अब उस सदन में तभी फिर कदम रखेंगी जब वह महिलाओं के लिए सुरक्षित हो जाएगा। यानी एक तरह से उन्होंने अपने आप से वादा किया कि अब वह तमिलनाडु विधानसभा में मुख्यमंत्री के रूप में ही वापसी करेंगी।
इसके दो वर्षों के भीतर 1991 में हुए चुनाव के दौरान अपने अपमान का जिक्र बार-बार अभियान में किया। नतीजतन उपजी सहानुभूति का उनको लाभ मिला और वह चुनाव जीतकर पहली बार मुख्यमंत्री बनीं और राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से कई उपाय किए। इस वजह से लोगों ने उनको ‘अम्मा’ कहना शुरू कर दिया।