ओपिनियन पोस्ट
वाशिंगटन। अपने पहले ही शासकीय आदेश के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के मुस्लिम देशो से दुश्मनी मोल ले ली है । शपथ लेने के हफ्ते भर के भीतर ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा निर्णय लेते हुए सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगा दी। यह रोक फिलहाल 90 दिनों के लिए लगाई गई है जिसे बढ़ाया भी जा सकता है। जिन देशों के नागरिकों के आने पर रोक लगाई गई है उनके नाम- ईरान, इराक, सीरिया, लीबिया, यमन, सूडान और सोमालिया हैं। इसी के साथ ट्रंप ने अमेरिका के शरणार्थी कार्यक्रम पर भी चार महीने के लिए रोक लगा दी है। इसके चलते अमेरिका में किसी भी देश के शरणार्थी प्रवेश नहीं कर सकेंगे। राष्ट्रपति के तौर पर पहली बार रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) के दौरे पर गए ट्रंप ने दोनों शासकीय आदेशों पर हस्ताक्षर किये। इन आदेशों का अमेरिका में विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी समेत दुनिया भर में विरोध शुरू हो गया है।
रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी के रूप में डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव में ही कह दिया था कि राष्ट्रपति बनने पर वह अमेरिका में कट्टरपंथी मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाएंगे। तभी पूरी दुनिया में उसका विरोध हुआ था लेकिन ट्रंप ने अपना रुख नहीं बदला था। 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद उन्होंने साफ कहा था कि वह अपनी घोषणाओं पर काम करेंगे और कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद को खत्म करके दम लेंगे। ताजा फैसला उनके तेवरों के अनुरूप देखा जा रहा है।
ट्रंप ने कहा कि ये फैसले उन्होंने अमेरिकी नागरिकों को इस्लामिक आतंकवादियों के हमलों से बचाने के लिए किये हैं। अब हम कट्टरपंथियों को अमेरिका में नहीं देखना चाहते हैं। प्रोटेक्शन ऑफ द नेशन फ्रॉम फॉरेन टेररिस्ट एंट्री इन टू दे यूनाइटेड स्टेट्स, के शीर्षक से जारी आदेश में साफ कहा गया है कि 9/11 के हमले के बाद उठाए गए कदम कट्टरपंथियों के अमेरिका में आने से नहीं रोक पाए।
जिन विदेशी लोगों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर और उसके बाद के हमलों को अंजाम दिया, वे कट्टरपंथी अमेरिका में पर्यटन, पढ़ाई, नौकरी इत्यादि का वीजा लेकर आए थे। कुछ ऐसे भी थे जो अमेरिका के शरणार्थी सहायता कार्यक्रम का फायदा लेकर आए थे।
हमें प्यार करने वाले ही अमेरिका आएं
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, हम ऐसे देशों के लोगों को अमेरिका में नहीं बुलाना चाहते जो विदेश में हमारे सैनिकों के लिए खतरा बने हुए हैं और उनसे लड़ रहे हैं। हम ऐसे लोगों को चाहते हैं जो अमेरिका में आकर हमारे देश और हमारे लोगों को अपने जैसा प्यार करें- हमारा साथ दें। हम वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन के शहीदों को भूल नहीं सकते। हम उन्हें केवल मौखिक श्रद्धांजलि नहीं दे सकते बल्कि हमें उनकी शहादत के लिए कुछ करना भी है। शासकीय आदेश में कहा गया है कि युद्ध, आपदा, सामाजिक संघर्ष या आतंकी हमलों के शिकार देशों के लोग मौका देखकर अमेरिका आने की कोशिश करते हैं। उन्हीं में कट्टरपंथी आतंकी भी शामिल होते हैं। ट्रंप के पेंटागन दौरे में उप राष्ट्रपति माइक पेंस और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस भी साथ थे।