दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव ने ‘आप’ को दिखाया ‘आईना’

सुनील वर्मा
नई दिल्ली । दिल्ली स्टेट गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव में आम आदमी पार्टी बड़ा झटका लगा है। पंजाब में उभार के कारण पंथक सियासत में पाँव ज़माने का सपना देख रही दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी ‘आप’ को 46 सीटों वाली इस कमेटी में एक भी सीट जीतने में नाकाम रही । दूसरी ओर बादल परिवार की इस चुनाव में गैर मौजदगी के बावजूद शिरोमणि अकाली दल ने एक बार फिर पूरे बहुमत से डीएसजीपीसी में कब्ज़ा बरक़रार रखा है ।
गौरतलब है कि दिल्ली स्टेट गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को एमसीडी चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा था। इसलिए ये नतीजे केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी के लिए किसी झटके से कम नहीं हैं। खास बात ये भी है कि शिरोमणि अकाली दल जिसे पंजाब में हाल ही में हुए चुनाव में फाइट से बाहर बताया जा रहा था उसने गुरुद्वारा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है।
दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय के मुताबिक 46 में से शिरोमणि अकाली दल ( बादल ) ने 35 सीटें हासिल की है। जबकि शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) सरना गुट को सिर्फ 7 वार्डो में जीत मिली। 4 सीटों पर निर्दलीय ने कब्ज़ा जमाया है । डीएसजीपीसी के वर्तमान अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने ग्रेटर कैलाश सीट 1230 वोटों से जीती। डीएसजीपीसी के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना अपने उम्मीदवारों की पराजय और बादल गुट को बहुमत मिलता देख छठे दौर की मतगणना के बाद ही मतगणना स्थल से चले गए थे ।
दोनों उम्मीदवार जीतने से बीजेपी गदगद
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की इज्जत भी बच गई है । दिल्ली भाजपा के दो नेताओं ने गुरुद्वारा चुनाव में कमल खिला दिया है । शिरोमणि अकाली दल (बादल) के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे दिल्ली भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सरदार कुलवंत सिंह बाठ और दिल्ली प्रदेश के आउटर दिल्ली जिला के सिख सेल के संयोजक स्वर्ण सिंह बरार ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है । बाठ ने अपनी सीट नवीन शाहदरा पर कब्जा बरकरार रखा है। पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के पूर्व निकले इस धार्मिक चुनाव के रिजल्ट से दिल्ली बीजेपी गदगद है।
334 उम्मीदवार थे मैदान में
डीएसजीपीसी के 46 सीटों पर हुए मतदान में असली लड़ाई शिरोमणि अकाली दल (बादल) और शिरोमणि अकाली दल (सरना दल) के बीच थी । हालांकि 3 और पंजीकृत पार्टियों पंथक सेवा दल, आम अकाली दल एवं अकाल सहाय वैल्फेयर सोसायटी ने भी सिख वोटरों के बीच घुसपैठ करने की पूरी कोशिश की । सरना और अकाली दल ने सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे जबकि पंथक सेवा दल ने 38, अकाल सहाय ने 11 और आम अकाली दल ने 9 सीटों पर चुनाव लड़ा। इसके अलावा निर्दलीय एवं गैर-पंजीकृत दलों के प्रत्याशी भी आजाद उम्मीदवार के रूप में उतरे थे। 6 फरवरी को 46 सीटों पर मतदान हुआ था। चुनाव के लिए 334 उम्मीदवार मैदान में थे। सभी सीटों को मिलाकर कुल 45.76 प्रतिशत वोट पड़े । हालांकि पिछले चुनाव के मुकाबले इस वर्ष का मतदान ज्यादा रहा। वर्ष 2013 में हुए चुनाव में करीब 42.4 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।

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