विकास की रफ्तार घटने की आशंका

आनंद प्रधान

banks-notesनोटबंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा? इस प्रश्न पर अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों के बीच मतभेद है। यह स्वाभाविक है क्योंकि नोटबंदी जैसे बड़े फैसले के तात्कालिक से लेकर मध्यावधि और दीर्घकालिक असर का ठीक-ठीक अनुमान लगा पाना मुश्किल है। खुद मोदी सरकार का दावा है कि इस फैसले से कालेधन का सफाया होगा, फर्जी नोटों पर रोक लगेगी, आतंकी/आपराधिक ताकतों की फंडिंग रुकेगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा जिससे महंगाई कम होगी, बैंकों में जमा बढ़ने से ब्याज दरों में कमी होगी और उद्योगों को नया कर्ज मिलने से निवेश बढ़ेगा, इससे अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।

केंद्र सरकार का यह भी दावा है कि इस फैसले से कैशलेस लेनदेन की ओर बढ़ने से टैक्स चोरी रुकेगी, टैक्स देनेवालों की संख्या बढ़ेगी और इससे सरकार की आय बढ़ेगी जिसे वह इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार में खर्च करेगी जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी। सरकार यह भी दावा कर रही है कि कालेधन पर रोक लगने से उससे अत्यधिक प्रभावित सेक्टरों- रीयल इस्टेट में फ्लैटों/मकानों की कीमत में गिरावट आएगी और मध्यवर्ग के लिए मकान खरीदना आसान हो जाएगा। सरकार को यह भी भरोसा है कि इस फैसले से चार लाख करोड़ रुपए तक का कैश कालाधन व्यवस्था से बाहर हो जाएगा जिसका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर होगा।

(पूरी स्टोरी ओपिनियन पोस्ट पत्रिका के ताजा अंक (1-15 दिसंबर) में पढ़ें। ई-पत्रिका आप हमारी वेबसाइट से डाउनलोड भी कर सकते हैं)

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