पत्रकार से लेखक-निर्देशक बने अविनाश दास ने फिल्म ‘अनारकली आॅफ आरा’ बनाई है। फिल्म को लेकर अविनाश खासे उत्साहित हैं। इसकी वजह फिल्म की कहानी तो है ही लेकिन स्वरा भास्कर का बोल्ड अवतार भी है। स्वरा के अलावा पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा फिल्म का हिस्सा हैं। हालांकि फिल्म का टीजर लांच होते ही फिल्म चर्चा में आ गई। करन जौहर हों या फिल्म क्रिटिक्स फिल्म की चर्चा कर रहे हैं। निशा शर्मा ने बात की फिल्म के लेखक निर्देशक अविनाश दास से-
पहली फिल्म है? क्या उम्मीदें हैं फिल्म से या पहली फिल्म होने के नाते कोई डर है जो डरा रहा है?
देखिए, मैं मुंबई में कहानी कहने आया था। मुझे मौका मिला इसके लिए मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं। जब इस शहर में आया तो बस एक ही बात दिमाग में थी कि फिल्म बनानी है और मैं फिल्म बनाने में कामयाब रहा। आत्मविश्वास के साथ काम कर रहा हूं और जहां दृढ़ निश्चय होता है वहां डर नहीं होता। हां, इतना कह सकता हूं कि उत्सुकता जरूर है क्योंकि पोस्टर, टीजर की तैयारी करना मेरी जिंदगी का हिस्सा नहीं था और अब वह सब हिस्सा बना है तो उत्सुकता है।
चीजें लोगों तक जा रही हैं और लोग उन पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं तो अच्छा लग रहा है। जैसे करन जौहर जिनसे मेरी मुलाकात भी नहीं हुई है लेकिन ट्वीट कर उन्होंने फिल्म की कहानी के लिए उत्सुकता जाहिर की है। इसी तरह लोगों का जुड़ना आप में खुशी लाता है डर नहीं।
पत्रकारिता से निर्देशन के रुझान को किस तरह से देखें ?
जी मेरा सपना शुरू से ही फिल्में बनाने का था लेकिन परिस्थितियां कभी कभी आपके अनुकूल नहीं होतीं और आपको अपनी मंजिल तक पहुंचने में समय लगता है। इसी तरह समय लगा मुझे अनारकली आॅफ आरा बनाने में। चैनल में लंबे समय तक कार्यरत रहा। पर सोचता था कि एक दिन फिल्म जरूर बनाऊंगा। और एक दिन ऐसा आया भी (हंसते हुए) मेरी पत्नी ने दिल वाले दुल्हनिया के एक डायलॉग की तरह मुझे कहा ‘सिमरन जा जी ले अपनी जिंदगी’ और मैं मुंबई आ गया। थियेटर और लिटरेचर से मेरा नाता शुरू से ही रहा है जिसकी वजह से मुझे कहानी और फिल्म के डायलॉग लिखने में बहुत मदद मिली।
कितना मुश्किल रहा मुंबई में अपनी फिल्म के लिए पैसा लगाने वाले की तलाश से लेकर फिल्म बनाने तक का सफर?
मुंबई में आया तो प्रोड्यूसर की तलाश की। कई लोगों को कहानी सुनाई। कोई कहानी खरीदने की बात करता था तो कोई उसका निर्देशन करने की बात करता था। लेकिन मेरी जिद थी कि मेरी कहानी है मैं ही इसे कहूंगा। हालांकि इस बात का भी डर था कि करोड़ों रुपये लगाने के लिए कोई मिलेगा या नहीं। पर मेरी कहानी को प्रोड्यूसर मिल गया। इसके बाद मुझे खास दिक्कत नहीं हुई।
फिल्म की कास्ट को लेकर कुछ बताएं, स्वरा भास्कर को ही मुख्य किरदार के लिए क्यों चुना?
यह फिल्म एक महिला पर आधारित है, जिसके लिए मुझे एक दमदार अभिनेत्री की तलाश थी। सबसे पहले मैंने रिचा चड्ढा को इस किरदार के लिए चुना था। वह मान भी गर्इं थीं। दो महीने फिल्म की शूटिंग हुई भी लेकिन रिचा को शायद संदेह था कि फिल्म न चले या कुछ और मैं नहीं जानता। रिचा ने फिल्म में काम करने से मना कर दिया। यह मेरे लिए बड़ा झटका था। फिल्म रुक गई। प्रोड्यूसर ने भी हाथ खींच लिए। इन सब चीजों से पहले मेरी फिल्म को लेकर स्वरा से बात हुई थी और उसने कहा भी था कि सर आपने मुझे यह फिल्म नहीं दी। दो-तीन महीने बाद मेरे प्रोड्यूसर ने मुझे फोन किया और कहा कि एक बार स्वरा भास्कर को फिल्म की कहानी सुनाऊं, वह इस फिल्म के लिए फिट रहेंगी, अगर वह मान जाती हैं तो। मैंने स्वरा को फोन किया और कहा मेरी फिल्म अनारकली आॅफ आरा कर सकती हो क्या क्योंकि कहानी वह पहले ही सुन चुकी थी।
तो उसका जवाब था कि मैं कब से इस कॉल का इंतजार कर रही थी। मुझे फिल्म पूरी करने के बाद लग रहा है कि स्वरा के अलावा इस फिल्म के लिए कोई फिट नहीं हो सकता था। स्वरा ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है।
फिल्म की कहानी लिखने का ख़्याल कहां से आया?
स्त्रियों की दुनिया से मेरा ताल्लुक शुरू से ही रहा है। अगर मुझसे पूछा जाए कि एक से दस तक में आप किन किन विषयों पर काम करना चाहेंगे तो मेरा जवाब होगा एक से दस तक विषय स्त्री ही होगा। मैंने औरतों से खूब बातें की हैं और उन्हें सुना भी है। ऐसे ही एक बार मैंने यूट्यूब पर ताराबानो फैजाबादी का एक वीडियो देखा था। वह काफी अश्लील गाना था। तो उस वीडियो में 5-10 सेकेंड के लिए ताराबानो के चेहरे को दिखाया गया है, जहां मैंने देखा कि इतना अश्लील गाना गाते हुए उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं है। तो मुझे लगा कि कोई इतना अश्लील गाना गाते हुए चेहरे को निर्भाव कैसे रख सकता है। फिर मैंने उनकी कहानी जानी, फैजाबाद के किस्से सुने यह बात यहीं खत्म हो गई।
फिर साल 2011 में एक कांड हुआ। बिहार के गया में एक कार्यक्रम के दौरान पॉपुलर सिंगर देवी के साथ जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय के कुलपति ने कोई गलत हरकत की और देवी ने उनके खिलाफ आवाज उठा दी। मीडिया में यह मसला लंबे समय तक रहा। काफी हंगामा हुआ… हंगामा इतना बरपा कि विश्वविद्यालय के कुलपति को इस्तीफा देना पड़ा। इस घटना के बाद फैजाबादी की शख्सियत के साथ मैंने एक कहानी गढ़ी और कहानी को आगे बढ़ाया।
क्या है फिल्म की कहानी?
अनारकली आॅफ आरा एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसे हमारा समाज उदार भाव से नहीं देखता। नाचने वाली, गाने वाली… मेले ठेलों में जो स्त्रियां काम करती है, उनको हम मान कर चलते हैं कि ये हमारे परिवार का हिस्सा नहीं हैं। वे मर्दों से साथ बड़ी बेबाकी से बात करतीं हैं। ऐसे में हम मान लेते हैं कि वे हर किसी के लिए उपलब्ध हैं। और जब हम यह मान लेते हैं कि वे हमारे समाज के बाहर की कोई चीज हैं, तो उसे लेकर हमारे दिल में कोई इज्जत भी नहीं होती। तो उन्हें हम हल्के में लेते हैं। इस फिल्म में यही दिखाया गया है कि इनका भी आत्म सम्मान है। और अपने आत्म सम्मान के लिए ये भी लड़ाई लड़ सकती हैं।
नाचने वाली, गाने वाली… मेले ठेलों में जो स्त्रियां काम करती है, उनको हम मान कर चलते हैं कि ये हमारे परिवार का हिस्सा नहीं हैं। वे मर्दों से साथ बड़ी बेबाकी से बात करतीं हैं। ऐसे में हम मान लेते हैं कि वे हर किसी के लिए उपलब्ध हैं। और जब हम यह मान लेते हैं कि वे हमारे समाज के बाहर की कोई चीज हैं, तो उसे लेकर हमारे दिल में कोई इज्जत भी नहीं होती। तो उन्हें हम हल्के में लेते हैं। इस फिल्म में यही दिखाया गया है कि इनका भी आत्म सम्मान है।