सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्‍ली सरकार और केंद्र की रस्‍साकसी

नई दिल्लीदिल्‍ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकार क्षेत्र को लेकर रस्‍साकसी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई पर आम आदमी पार्टी की सरकार ने रोक लगाने की मांग की है। इसके लिए उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। दिल्ली सरकार की मांग है कि  हाईकोर्ट के फैसला देने पर रोक लगाई जाए। दिल्ली सरकार की अधिवक्‍ता इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि हाईकोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है,लेकिन सरकार चाहती है कि उच्चतम न्यायालय हाईकोर्ट के फैसला देने पर रोक लगा दे।

जयसिंह ने कहा कि दो साल से यह मामला चल रहा है, जिससे दिल्ली का कामकाज प्रभावित हो रहा है। राज्य और केंद्र के बीच अधिकार क्षेत्र को लेकर कई याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की है। दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच का विवाद सुप्रीम कोर्ट को सुनना चाहिए और कोर्ट ही यह फैसला दे कि दिल्ली राज्य है या नहीं। हालांकि चीफ जस्टिस ने कहा है कि अगर हाईकोर्ट अपना फैसला सुनाता है तो सुप्रीम कोर्ट आया जा सकता है। पहले ही हाईकोर्ट के सुरक्षित फैसले पर रोक क्यों चाहती है। अब सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है।

मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दावा है कि कानून के तहत केवल सुप्रीम कोर्ट ही राज्यों और केंद्र के अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट यह भी फैसला दे कि दिल्ली एक राज्य है या नहीं। चीफ जस्ट‍िस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच अनुच्‍छेद 239 ए के तहत दिल्ली सरकार की पिटीशन पर सुनवाई करेगी। 

बता दें कि पिछले दिनों राज्य और केंद्र के बीच अधिकार क्षेत्र को लेकर फाइल की गई सभी याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। वर्तमान व्‍यवस्‍था के तहत दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है। दिल्ली में पुलिस और भूमि से जुड़े सभी मामले केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

केजरीवाल सरकार के कदम को दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की उनकी पुरानी मांग से जोड़कर देखा जा रहा है।

यह है मामला

पिछले साल केजरीवाल सरकार ने दिल्ली सरकार में अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर जारी केंद्र की अधिसूचना को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। केंद्र सरकार की अधिसूचना में साफ किया गया था कि केजरीवाल को अहम पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति करने का अधिकार नहीं है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी केंद्र सरकार की इस अधिसूचना को ‘सस्पेक्टेड’ बताया था। हाईकोर्ट की टिप्‍पणी के बाद केंद्र सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई थी। आप सरकार ने लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग पर भी सवाल उठाए हैं। पिछले सालएलजी ने दिल्ली सरकार के कई अधिकारियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। आप ने कहा है कि एलजी एक चुनी हुई सरकार की अनदेखी कर रहे हैं। आप का आरोप है कि हमारे 67 एमएलए चुनकर कर आए हैं, लेकिन फिर भी केंद्र सरकार दिल्ली पर नियंत्रण रखना चाहती है।

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