बाजी पलटने की जुगत

रमेश कुमार ‘रिपु’
क्या मध्य प्रदेश की सियासी बाजी पलट जाएगी? भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दो सौ से अधिक सीटें जीतने के लक्ष्य पर पानी फिर जाएगा? क्या प्रदेश में सत्ता विरोधी रुझान है? क्या चेंजमेकर की हवा बह रही है? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के नेता अपने-अपने तरीके से देते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह कहकर खलबली मचा दी कि ‘मुख्यमंत्री आते-जाते रहते हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले बदलते रहते हैं। आज मैं हूं, कल कोई और हो सकता है।’ उनके इस बयान पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ कहते हैं, ‘शिवराज सरकार ने आखिर किया ही क्या है। केवल घोषणावीर बनने के सिवा। प्रदेश को विकास के नाम पर कर्जदार बना दिया। आम जनता से लेकर किसान तक परेशान हैं। कमीशन वाली सरकार से और उम्मीद की भी क्या जा सकती है। अब जनता उनकी चालाकी को समझ गई है। प्रदेश में परिवर्तन की लहर है।’
शिवराज सरकार ने चुनावी वर्ष में सत्ता विरोधी रुझान का मुकाबला करने के लिए सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं और घोषणाओं की झड़ी लगा दी है। बावजूद इसके, मिशन 2018 में उनके सामने कई रोड़े हैं। लगातार चार विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की हार से यह संदेश गया कि प्रदेश में परिवर्तन की हवा चल पड़ी है। इन उपचुनावों में जीत से कांग्रेसी उत्साहित हैं कि अबकी बार सत्ता उनके हाथ आ जाएगी। प्रदेश में इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। पिछले पंद्रह वर्षों से यहां भाजपा की सरकार है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल अपने सभी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बात कहने से नहीं चूकते, ‘कांग्रेस को इस बार डेढ़ सौ से अधिक सीटें मिलेंगी। भाजपा के 25 मंत्री भी चुनाव हारेंगे। वर्ष 2003 के चुनाव में भी कांग्रेस के 25 मंत्री हारे थे। जनता बदलाव चाहती है।’ अजय सिंह के बयान से जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा सहमत नहीं हैं। वे बड़े आत्मविश्वास से कहते हैं, ‘कांग्रेस को वहम है कि इस बार उसकी सरकार बन रही है। उपचुनाव में कांग्रेस ने वही सीट जीती है जो पहले भी उसकी थी। जनता का रुझान उपचुनाव और आम चुनाव में अलग-अलग होता है। लोगों ने सरकार की कल्याणकारी याजनाओं को स्वीकारा है। इसलिए भाजपा की ही सरकार फिर बनेगी।’ लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सरताज सिंह नरोत्तम मिश्रा की बातों पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, ‘प्रदेश के किसान समस्याओं से जूझ रहे हैं इसलिए आत्महत्या कर रहे हैं। बदहाल किसान आंदोलन कर रहे हैं और मंत्रियों का यह कहना कि किसान नाटक कर रहे हैं, किसानों के जख्मों पर नमक लगाने जैसा है। भावान्तर योजना किसानों की समस्याओं का हल नहीं है। समर्थन मूल्य ही लागत से कम है। फिर यह दावा कैसा है कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जनता खुश है।’

अपने ही खफा
अकेले सरताज सिंह सरकार के कामकाज से नाखुश नहीं हैं बल्कि भाजपा के कई और नेता यह मानते हैं कि जनता शिवराज सरकार के खिलाफ है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अंदरूनी रिपोर्ट में भी यह कहा गया है कि 70 फीसदी जनता शिवराज सरकार से नाराज है। मंत्री और विधायकों के सरकार विरोधी बयान भी चौंकाते हैं। मसलन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आरक्षण का समर्थन करते हैं लेकिन उनके बयान से मंत्री गोपाल भार्गव सहमत नहीं हैं। उन्होंने पार्टी लाइन से अलग जाकर सार्वजनिक मंच से आरक्षण की खिलाफत करते हुए कहा कि इससे सवर्ण वोटर नाराज है। यह अलग बात है कि बाद में बवाल मचने पर उन्होंने अपने बयान का खंडन किया। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष डॉ. हितेश वाजपेयी ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा, ‘मध्य प्रदेश की अवधारणा अंत्योदय की है लेकिन ब्राम्हण समाज के लोगों में असुरक्षा का भाव तेजी से बढ़ रहा है, यह ठीक नहीं है।’ गाडरवारा के भाजपा विधायक ने सरकार की नई रेत नीति पर सवाल उठाते हुए कहा था, ‘जम कर अवैध उत्खनन हो रहा है। रेत नीति ठीक नहीं है।’ इससे जाहिर है कि सरकार के मंत्री और उसके विधायक ही सत्ता को घेर रहे हैं। बची हुई कसर दूसरे सांसद और विधायक पूरी कर रहे हैं।
राजनीतिक असंतोष को काबू करने की बजाय शीर्ष संगठन में आपसी मतभेद से भाजपा में आॅल इज वेल की तस्वीर बनती नहीं दिख रही है। इसके अलावा भाजपा की किरकिरी उसके कुछ नेताओं की वजह से खूब हुई है। पार्टी के पास इसका जवाब नहीं है। मंत्री लाल सिंह आर्य पर हत्या का आरोप लगने के बाद पार्टी की खूब भद्द पिटी। हालांकि जिला अदालत के आदेश पर स्थगन मिल जाने से वे राहत महसूस कर सकते हैं लेकिन इससे उनकी और पार्टी की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। रीवा के सेमरिया से भाजपा विधायक नीलम मिश्रा की उद्योग एवं खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ला से पटरी नहीं बैठ रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर आरोप लगाया था कि उनके क्षेत्र में अवैध खनन खनिज मंत्री के इशारे पर हो रहा है। इसमें तत्कालीन कलेक्टर राहुल जैन के लिप्त होने का आरोप लगाया था। मोदी फेस्ट में सागर के सांसद लक्ष्मीनारायण यादव ने दो टूक कह दिया कि वे अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे। भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री कमल पटेल हरदा ने नसरूल्लांग में नर्मदा नदी में रेत के अवैध खनन को लेकर सत्ता और संगठन के खिलाफ कई दिनों तक मोर्चा खोल रखा था। कमलनाथ के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर ने उनकी तारीफ में कहा, ‘उन्होंने बहुत विकास कराया है। किंगमेकर हैं। जनता उन्हें पसंद करती है।’ इससे पहले भी गौर सरकार पर सवाल उठाते रहे हैं।

अफसरों का समर्थन नहीं
भीतर ही भीतर बंटी भाजपा के लिए सत्ता का चौथा सोपान ज्यादा कठिनाई भरा है। व्यापम मामले से जूझती सरकार जैसे तैसे क्लीन चिट पा गई फिर भी व्यापम से मामा शिवराज की बड़ी किरकिरी हुई। अवैध खनन, भावान्तर का उलटा दांव और प्रमोशन में आरक्षण की वजह से सामान्य वर्गों में नाराजगी भी सरकार के लिए सिरदर्द है। कांग्रेस से ज्यादा भाजपा गुटबाजी और बयानबाजी से परेशान है। भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह संगठन के मामले में कमजोर हैं। इसलिए उन्हें केवल चुनाव पर फोकस करने को कहा गया है। वे कमलनाथ जितने लोकप्रिय भी नहीं हैं। ऐसे में मिशन 2018 भाजपा के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 230 में 200 से ज्यादा सीटें जीतने का जो लक्ष्य दिया है वो भी खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। संघ और भाजपा की आंतरिक सर्वे रिपोर्ट में शिवराज के 19 मंत्रियों से जनता नाराज है। साथ ही प्रदेश की 105 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां शिवराज सरकार की तमाम लोकलुभावन योजनाएं और भाषणों का कोई असर नहीं हुआ है। पार्टी भी मानती है कि 70 ऐसी सीटें हैं जिन पर मामला फंस सकता है। भाजपा की हालत पतली है और कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। मंजिल तक पहुंचने के लिए भाजपा ने सियासी चक्रव्यूह की रचना शुरू कर दी है। एक-एक विधायक से चर्चा और उनके विधानसभा क्षेत्र के सर्वे में यह खुलासा हुआ कि विधायकों के कामकाज से जनता खुश नहीं है। अफसरों का समर्थन मंत्रियों और विधायकों को न मिलने की बात सामने आई है। इसके बाद कई अफसरों को बदला गया। पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल की जगह मोहम्मद सुलेमान को बिठाया गया। ऊर्जा विभाग की जवाबदारी अजीत केसरी को दी गई। जल संसाधन का प्रमुख सचिव राधेश्याम जुलानिया को बनाया गया। कई जिले के एसपी, कलेक्टर और संभाग के आईजी बदले गए हैं ताकि भाजपा के प्रति जनता की नाराजगी दूर की जा सके।

भाजपा ने बदली रणनीति
भाजपा ने अपनी रणनीति बदलते हुए तय किया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ को उनके इलाके में घेरा जाए। भोपाल में किरार समाज के परिचय सम्मेलन के बाद रणनीति बनी कि जातीय आधार पर सीटों पर फोकस किया जाए। ओबीसी की 40 सीटों पर ओबीसी नेताओं को टिकट दिया जाए। मुख्यमंत्री भी ओबीसी हैं। इसके अलावा 65 हजार पोलिंग बूथों पर बूथ समतियां बनाने की भी रणनीति बनी है। पार्टी अब तक केवल 41 हजार समिति ही बना पाई है। प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं के लक्ष्य की समय सीमा भी पांच माह कम कर दी है ताकि उसका लाभ विधानसभा चुनाव में मिल सके। इसके अलावा सोशल मीडिया के जरिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को हीरो के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है जिसमें शिवराज को राउडी राठौर की भूमिका में दिखाया जा रहा है। हालांकि भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पराशर का कहना है कि भाजपा के मीडिया सेल से ऐसा कोई वीडियो जारी नहीं किया गया है।

कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव
25 जून से शुरू हो रहे मानसून सत्र में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कांग्रेस कर रही है। इसमें शिवराज सरकार की विफल योजनाओं और 150 से अधिक घपलों को चिन्हित किया गया है। इनमें अवैध रेत खनन, प्याज खरीद, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, शौचालय निर्माण, इंदिरा आवास, मनरेगा, बिजली खरीद, बुंदेलखंड पैकेज, बांध निर्माण, भावान्तर योजना, मिड डे मील घोटाला, पौधारोपण घोटाला, फसल बीमा, डंपर घोटाला, पेंशन घोटाला, यूनिफार्म खरीद घोटाला, साइकिल घोटाला, सिंहस्थ घोटाला आदि शामिल हैं। शिवराज सरकार ने हर साल दो लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि प्रदेश में 26 लाख बेरोजगार हैं। बढ़ते अपराध, महिला अत्याचार, दुष्कर्म की बढ़ती घटनाएं आदि मामलों पर सरकार को घेरने का मन कांग्रेस ने बनाया है।

कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस ने 230 विधानसभा सीटों को 60 क्षेत्रों में बांटा है। कांग्रेस हर बूथ पर 10 यूथ का फार्मूला लागू कर रही है। प्रदेश में 65 हजार बूथ हैं। इन पर 6.5 लाख कार्यकर्ता तैनात किए जा रहे हैं। कांग्रेस ने नरम हिंदुत्व का फार्मूला भी अपनाने का निर्णय लिया है। इस मामले पर कमलनाथ कहते हैं, ‘भाजपा अकेली हिंदू धर्म की ठेकेदार नहीं है। हम सब मंदिर जाते हैं। भाजपा के लिए धर्म सियासी विषय हो सकता है लेकिन हमारे लिए आस्था है।’ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी प्रदेश के किस-किस मंदिर में जाएंगे इसकी सूची कांग्रेस ने बनाई है। राहुल गांधी महाकाल का आशीर्वाद लेने के बाद प्रदेश में चुनावी शंखनाद करेंगे। प्रदेश कांग्रेस ने उनके लिए ऐसे मंदिरों की सूची बनाई है जो आस्था के बड़े केंद्र हैं। वे 16 बड़े मंदिरों में जाएंगे। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा कहते हैं, ‘भगवान को धोखा नहीं दिया जा सकता। वह जानता है कि चुनावी चक्कर में कौन आया है और सच्चे मन से कौन आया है।’
बहरहाल, भाजपा सत्ता विरोधी रुझान को कम करने में लगी है और कांग्रेस उसे भुनाने में। सत्ता विरोधी रुझान को रोकने के लिए भाजपा के 20-30 प्रत्याशी बदले जा सकते हैं। पिछले वर्ष मंदसौर में 6 जून को प्रदर्शन कर रहे छह किसान पुलिस की गोली से मारे गए थे। अपने हालिया मंदसौर दौरे में राहुल गांधी उन मृतक किसानों के परिवार वालों से मिलने उनके घर गए। मंदसौर में ही एक आम सभा में राहुल गांधी ने कहा कि अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो दस दिन के भीतर किसानों के कर्ज माफ किए जाएंगे और गोलीकांड के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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