वेतन बढ़ोतरी एवं अन्य मांगों को लेकर बैंक यूनियनों और सरकार के बीच कोई हल नहीं निकलता देख देशभर के 10 लाख बैंक कर्मचारी बुधवार को दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए। हड़ताल का असर भी दिखना शुरू हो गया है। इसकी वजह से 85 हजार बैंक शाखाएं बुधवार को बंद रहीं जो गुरुवार को भी बंद रहेंगी।
शाखाएं बंद रहने से बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुईं और कई शहरों में एटीएम पर भी ताले लग गए।एटीएम बंद होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोग कैश के लिये एक एटीएम से दूसरे एटीएम की दौड़ लगा रहे हैं। महीने की आखिरी तारीख होने के कारण लोगों के वेतन भुगतान और पेंशन राशि के भुगतान में भी परेशानी हो रही है।
ऑल इंडिया बैंक आफिसर्स कंफेडरेशन (एआईबीओसी) के महासचिव टीटी फ्रेंकों के मुताबिक, सोमवार को मुख्य श्रम आयुक्त के साथ हुई वार्ता विफल होने के बाद बैंककर्मियों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा। इस हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों के अलावा निजी क्षेत्र के कुछ पुराने बैंक और कुछ विदेशी बैंकों के करीब दस लाख अधिकारी एवं कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए।
एडिशनल चीफ लेबर कमिशनर राजन वर्मा ने यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) के बैनर तले बैंक यूनियन और इंडियन बैंक असोसिएशन के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर हड़ताल को टालने का प्रयास किया था मगर बात नहीं बनी। यूएफबीयू के तहत नौ यूनियन आती हैं। इनमें ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन, ऑल इंडिया बैंक इंप्लॉइज एसोसिएशन, नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स भी शामिल हैं।
बता दें कि बैंक कर्मचारियों के वेतन में पिछली बढ़ोतरी नवंबर 2012 में हुई थी जो अक्टूबर 2017 तक के लिए प्रभावी थी। तब 15 फीसदी वेतन बढ़ोतरी हुई थी। बैंक कर्मचारियों ने इसके बाद वेतन बढ़ोत्तरी की सरकार से मांग की। बैंक यूनियनों की मांग पर सरकार की ओर से इंडियन बैंक एसोसिएशन ने 5 मई 2018 की मीटिंग में केवल 2 फीसदी की वेतन वृद्धि का प्रस्ताव रखा जिसे बैंक यूनियनों ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने 30 और 31 मई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का फैसला लिया।