केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि आम बजट में उन पांच राज्यों के लिए विशेष घोषणाएं नहीं की जाएंगी जहां फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। चुनाव आयोग को केंद्र की ओर से यह स्पष्टीकरण दिया गया है। इसके साथ ही सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि आम बजट एक फरवरी को ही पेश होंगे।

पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा के एक दिन बाद से ही विपक्षी दल केंद्र सरकार पर यह आरोप लगा रहे थे कि वह आम बजट के जरिये इन राज्यों में चुनावी लाभ लेने की कोशिश कर रही है। उन्हें आशंका थी कि बजट में लोकलुभावन घोषणाओं के जरिये इन राज्यों के मतदाताओं को रिझाया जा सकता है। विपक्षी दलों ने आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से गुहार लगाई थी कि इस दौरान बजट पेश करने से सरकार को रोका जाए। इस पर आयोग ने केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा था।

पारंपरिक तौर पर 28 फरवरी को बजट पेश किए जाने की जगह एक फरवरी को बजट पेश करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए केंद्र ने चुनाव आयोग से कहा कि इस बारे में सरकार ने सितंबर 2016 में ही अपना इरादा जता दिया था। इसके बाद नवंबर 2016 में कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी थी। अपना इरादा इतना पहले जाहिर करने के पीछे उसका मकसद नए वित्त वर्ष के पहले दिन से शुरू होने वाले निवेश चक्र को बरकरार रखना था।

31 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है। इस दिन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण के बाद सदन में आर्थिक सर्वे पेश किया जाएगा। इसके अगले दिन यानी पहली फरवरी को बजट पेश होगा। इस बार न सिर्फ परंपरा से हटकर पहली तारीख को बजट पेश किया जा रहा बल्कि रेल बजट और आम बजट को अलग-अलग पेश करने की एक सदी पुरानी परंपरा भी खत्म की जा रही है। अब आम बजट में ही रेलवे के लिए बजट प्रावधान शामिल रहेंगे। साथ ही योजना व्यय और गैर योजना व्यय के अंतर को भी खत्म करने का फैसला किया गया है।

गौरतलब है कि यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में चार फरवरी से शुरू होने वाले विधानसभा चुनाव आठ मार्च तक चलेंगे। विपक्ष की मांग थी कि निष्पक्ष चुनाव के लिए बजट को 8 मार्च के बाद पेश किया जाना चाहिए। 31 मार्च तक कभी भी बजट पेश किया जा सकता है। इस मामले में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी चिट्ठी लिखी गई थी। विपक्ष का कहना था कि भाजपा ने ही यूपीए सरकार के समय 2012 में यह मुद्दा उठाया था कि चुनावों के दौरान आम बजट पेश नहीं किया जाना चाहिए। बजट पर रोक लगाने के संबंध में विपक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी और तत्काल सुनवाई की मांग की गई थी मगर सर्वोच्च अदालत ने इससे इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत का कहना था कि समय आने पर ही इस याचिका पर विचार किया जाएगा।